आज मकर संक्रांति का पर्व भी है और पत्रकारिता का भी एक पर्व है। आप इसे कैसे देखते हैं ?
आज पाञ्चजन्य के 75 वर्ष पूर्ण होने पर मैं बहुत सारी शुभकामनाएं देता हूं। एक बात मैं जरूर कहूंगा कि निष्ठा के साथ इतने लंबे समय तक अपनी पत्रकारिता की धारा को बनाए रखना अपने-आप में पाञ्चजन्य की बहुत बड़ी उपलब्धि है और इसके लिए अभिनंदनीय है। कार्य प्रारंभ तो होते हैं परंतु कई संकटों के बाद भी उसी निष्ठा के साथ चलते रहना बहुत कठिन है। आज आप पाञ्चजन्य के संपादक हैं तो मैं उन सबके लिए आपके माध्यम से बधाई और नमन करना चाहता हूं जिन्होंने इस राष्ट्रीयता की धारा को लगातार लंबे समय तक चला कर रखा है।
हमारे जितने पर्व हैं, वे अपने आप में विशेष हैं। वे हमारी राष्ट्र और राष्ट्रीयता की पहचान से जुड़े हैं। अगर मैं भारत की बात कहूं तो भारत मतलब क्या है ? भारत मतलब सबको जोड़ने वाला, सबकी चिंता करने वाला, अपनी समृद्धि भी इसलिए वाला क्योंकि उसको कारण मैं सबकी चिंता कर सकूं, वह भारत है। और इसीलिए जिसमें सबकी समृद्धि हो और जिसमें सबकी खुशहाली हो, हमारे त्योहार भी उसी तरीके से जुड़े हैं। ये हमारे जो सारे त्योहार हैं, वे पर्यावरण से जुड़े हैं, हमारी खेती से जुड़े हैं। आजकल पूरी दुनिया के बड़े-बड़े मंचों पर पर्यावरण की चर्चा हो रही है और चिंताएं की जा रही हैं। लेकिन आवश्यकता यह है कि राष्ट्र अपनी संस्कृति ऐसी बनाए और उस संस्कृति में त्योहारों को ऐसा जोड़े जिससे हमें पर्यावरण का स्मरण रहे। नदी, पहाड़, पानी, पशु, पक्षी सबके प्रति कृतज्ञता का भाव लगातार चलता रहे। उसका नित्य स्मरण हो। इस दृष्टि से हमारे पर्व इसी से जुड़े हैं।
आज ये संक्रांति भी उसी तरीके का पर्व है जो सूर्य से भी जुड़ा है, उसके संक्रमण से भी जुड़ा है। संक्रमण से निकलने से भी जुड़ा है। आज यह भारत की जब बात प्रारंभ हुई तो मुझे लगा कि भारत वास्तव में स्वयं अपनी समृद्धि को भी विश्व के कल्याण के साथ जोड़कर देखता है और इसीलिए हमारे ये सारे त्योहार लगातार बड़े तौर पर मनाए जाने चाहिए और उन त्योहारों में कोई बाधा डालने की कोशिश करता है तो उसको वैसा नहीं करने देना चाहिए। सबको साथ में खड़े होना चाहिए।
Bu hikaye Panchjanya dergisinin 29 January 2023 sayısından alınmıştır.
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वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
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फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
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सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
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