हर नागरिक को नित्य देश सेवा में जुटना होगा
Panchjanya|29 January 2023
पाञ्चजन्य के हीरक जयंती कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर ने साफ कहा कि हमारे पर्वों में बाधा डालने वालों के विरुद्ध एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा कि देश को महान बनाना है तो हर नागरिक को नित्य देश सेवा में जुटना होगा। प्रस्तुत हैं सुनील आम्बेकर की हितेश शंकर से बातचीत के प्रमुख अंश
हितेश शंकर
हर नागरिक को नित्य देश सेवा में जुटना होगा

आज मकर संक्रांति का पर्व भी है और पत्रकारिता का भी एक पर्व है। आप इसे कैसे देखते हैं ?

आज पाञ्चजन्य के 75 वर्ष पूर्ण होने पर मैं बहुत सारी शुभकामनाएं देता हूं। एक बात मैं जरूर कहूंगा कि निष्ठा के साथ इतने लंबे समय तक अपनी पत्रकारिता की धारा को बनाए रखना अपने-आप में पाञ्चजन्य की बहुत बड़ी उपलब्धि है और इसके लिए अभिनंदनीय है। कार्य प्रारंभ तो होते हैं परंतु कई संकटों के बाद भी उसी निष्ठा के साथ चलते रहना बहुत कठिन है। आज आप पाञ्चजन्य के संपादक हैं तो मैं उन सबके लिए आपके माध्यम से बधाई और नमन करना चाहता हूं जिन्होंने इस राष्ट्रीयता की धारा को लगातार लंबे समय तक चला कर रखा है।

हमारे जितने पर्व हैं, वे अपने आप में विशेष हैं। वे हमारी राष्ट्र और राष्ट्रीयता की पहचान से जुड़े हैं। अगर मैं भारत की बात कहूं तो भारत मतलब क्या है ? भारत मतलब सबको जोड़ने वाला, सबकी चिंता करने वाला, अपनी समृद्धि भी इसलिए वाला क्योंकि उसको कारण मैं सबकी चिंता कर सकूं, वह भारत है। और इसीलिए जिसमें सबकी समृद्धि हो और जिसमें सबकी खुशहाली हो, हमारे त्योहार भी उसी तरीके से जुड़े हैं। ये हमारे जो सारे त्योहार हैं, वे पर्यावरण से जुड़े हैं, हमारी खेती से जुड़े हैं। आजकल पूरी दुनिया के बड़े-बड़े मंचों पर पर्यावरण की चर्चा हो रही है और चिंताएं की जा रही हैं। लेकिन आवश्यकता यह है कि राष्ट्र अपनी संस्कृति ऐसी बनाए और उस संस्कृति में त्योहारों को ऐसा जोड़े जिससे हमें पर्यावरण का स्मरण रहे। नदी, पहाड़, पानी, पशु, पक्षी सबके प्रति कृतज्ञता का भाव लगातार चलता रहे। उसका नित्य स्मरण हो। इस दृष्टि से हमारे पर्व इसी से जुड़े हैं। 

आज ये संक्रांति भी उसी तरीके का पर्व है जो सूर्य से भी जुड़ा है, उसके संक्रमण से भी जुड़ा है। संक्रमण से निकलने से भी जुड़ा है। आज यह भारत की जब बात प्रारंभ हुई तो मुझे लगा कि भारत वास्तव में स्वयं अपनी समृद्धि को भी विश्व के कल्याण के साथ जोड़कर देखता है और इसीलिए हमारे ये सारे त्योहार लगातार बड़े तौर पर मनाए जाने चाहिए और उन त्योहारों में कोई बाधा डालने की कोशिश करता है तो उसको वैसा नहीं करने देना चाहिए। सबको साथ में खड़े होना चाहिए।

Bu hikaye Panchjanya dergisinin 29 January 2023 sayısından alınmıştır.

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होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश

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आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
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भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है

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नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
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March 12, 2023
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नाकाम किए मिशनरी
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