धरती क्यों दरकी!
Panchjanya|January 22, 2023
धार्मिक नगरी जोशीमठ आज संकट से घिरी है। यही हाल नैनीताल का भी होने का भय है। पता चला है कि उत्तरकाशी में भी कुछ जगहों पर भू-धंसाव हो रहा है। पहाड़ क्यों रूठ रहे हैं और धरती क्यों दरक रही है? इसके कारण और निदान, दोनों की चिंता करनी होगी
दिनेश मानसे
धरती क्यों दरकी!

आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित ज्योतिर्मठ की नगरी जोशीमठ सुर्खियों में है। धीरे-धीरे यह शहर एक तरफ से धंस रहा है। स्थानीय लोग डरे-सहमे अपने घरों को टूटते और देख रहे हैं। किसी के हाथ में ऐसी जादुई छड़ी नहीं है जो इस ऐतिहासिक शहर को दरकने से बचा सके। प्रकृति के आगे कब किसकी चली है। यह सब जानते हुए भी लोग अनजान बने हुए हैं और बहुत हद तक मानवीय भूलों का खामियाजा भुगत रहे हैं। कह सकते हैं कि जोशीमठ की इस हालत के लिए राजनीतिक दल, नौकरशाही और स्थानीय जनता, सभी समान रूप से जिम्मेदार हैं। यही कारण है कि एक-दूसरे पर दोषारोपण के लिए आंदोलन भी शुरू हो गए हैं। जोशीमठ की इस हालत के लिए कोई एन. टी. पी. सी. की विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना को जिम्मेदार मान रहा है, कोई सड़क निर्माण को, कोई कंक्रीट के बोझ को, तो कोई भ्रष्ट नौकरशाही को, लेकिन किसी ने पिछली आपदाओं से सबक नहीं लिया। जब भी आपदा आई तब विशेषज्ञों ने चेताया और एक आधुनिक योजना बनाने की सलाह दी, लेकिन किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। यदि विशेषज्ञों की सुनी गई होती तो आज न तो जोशीमठ हिलता और न ही नैनीताल की जमीन खिसकती।

जब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा था, तब 1975 में मिश्रा आयोग बना था। इसने उत्तराखंड के इस क्षेत्र में आने वाली आपदाओं पर एक रिपोर्ट तैयार की थी। उसमें साफ-साफ लिखा था कि जोशीमठ हिमालय के सूखे ग्लेशियर की रेतीले ढलान पर बसा शहर है और यह कभी भी दरक सकता है। यहां बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण की जरूरत है। इस रिपोर्ट के बाद कुछ समय तक यहां पेड़ लगाने का अभियान भी चला। इसके परिणाम कागजों में ज्यादा और जमीन पर कम दिखाई दिए। पूर्व सैनिकों की 'ईको टास्क फोर्स' की एक बटालियन भी चमोली में तैनात हुई। इसने बद्रीनाथ घाटी में पेड़ लगाए। समय बीतने के साथ ही जिम्मेदार लोग भूल गए कि एक दिन जोशीमठ का अस्तित्व खतरे में आएगा।

Bu hikaye Panchjanya dergisinin January 22, 2023 sayısından alınmıştır.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

Bu hikaye Panchjanya dergisinin January 22, 2023 sayısından alınmıştır.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

PANCHJANYA DERGISINDEN DAHA FAZLA HIKAYETümünü görüntüle
शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
Panchjanya

शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता

रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे

time-read
2 dak  |
March 12, 2023
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
Panchjanya

शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!

वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !

time-read
2 dak  |
March 12, 2023
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
Panchjanya

कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की

कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे

time-read
3 dak  |
March 12, 2023
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
Panchjanya

फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा

अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है

time-read
3 dak  |
March 12, 2023
होली का रंग तो बनारस में जमता था
Panchjanya

होली का रंग तो बनारस में जमता था

होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश

time-read
3 dak  |
March 12, 2023
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
Panchjanya

आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन

भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है

time-read
4 dak  |
March 12, 2023
नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
Panchjanya

नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा

नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।

time-read
3 dak  |
March 12, 2023
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
Panchjanya

सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल

त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा

time-read
4 dak  |
March 12, 2023
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
Panchjanya

जीवनशैली ठीक तो सब ठीक

कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया

time-read
5 dak  |
March 12, 2023
नाकाम किए मिशनरी
Panchjanya

नाकाम किए मिशनरी

भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई

time-read
2 dak  |
March 12, 2023