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भगत सिंह - सुखदेव - राजगुरु
‘एक जीवन और एक ध्येय' वाले तीन मित्र भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु, इन तीनों की मित्रता क्रान्ति के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। बसंती चोला के इन दीवानों की ऐसी मित्रता थी जो जीवन के अंतिम क्षण तक साथ थी और बलिदान के बाद भी एक साथ उनका स्मरण किया जाता है।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और डॉ. हेडगेवार
डॉ. हेडगेवार ने स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी के लिए ही छोड़ी थी डॉक्टरी
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में स्वामी विवेकानन्द का प्रभाव
“आगामी पचास वर्ष के लिए यह जननी जन्मभूमि भारतमाता ही मनो आराध्य देवी बन जाए।... अपना सारा ध्यान इसी एक ईश्वर पर लगाओ, हमारा देश ही हमारा जाग्रत देवता है। सर्वत्र उसके हाथ हैं. सर्वत्र उसके पैर हैं और सर्वत्र उसके कान हैं।
हम जंगली जानवरों से सीख सकते हैं...
तनाव प्रबंधन
स्वच्छ्ता
चरित्र निर्माण की कुंजी : १४
साक्षरता के बाद अगला पड़ाव डिजिटल साक्षरता
डिजिटल तकनीक
संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनी हिन्दी
UN में शामिल हुई हिंदी
संपादकीय- सात द्वीप नौ खंड में, गुरु से बड़ा न कोय
भारतवर्ष में आषाढ़ पूर्णिमा को ‘गुरु पूर्णिमा' के रूप में मनाने की परम्परा शताब्दियों से चली आ रही है।
राक्षस नगरी में संत
श्री हनुमत कथा : १४
मूषक-बिलाव-मित्रता : समय-समय की बात
बोधकथा
भारतमाता के महान और समर्पित सपूत डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी
६ जुलाई जयन्ती पर विशेष
ज्ञानभूमि भारत
चमकते तारे और सुस्मित सुमन : २४
सांचा शब्द कबीर का...
सम्पादकीय
योग दिवस के लक्ष्य को समझें
२१ जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस विशेष
पहुँच गये लंका में
श्री हनुमत कथा : १३
पर्यावरण प्रेम ही आदर्श जीवन का मूल है
५ जून विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष
पड़ोसी के सुख-दुख में समरसता
कथा कल्पतरु
दोषारोपण नहीं अपितु सहानुभूति
चमकते तारें और सुस्मित सुमन : २३
टूटते सम्बन्ध, बढ़ता अवसाद
मनुष्य जिस तीव्र गति से उन्नति कर रहा है, उसी गति से उसके सम्बन्ध पीछे छूटते जा रहे हैं। भौतिक सुख-सुविधाओं की बढ़ती इच्छाओं के कारण संयुक्त परिवार टूट रहे हैं। माता-पिता बड़ी लगन से अपने बच्चों का पालन-पोषण करते हैं। उन्हें उच्च शिक्षा दिलाने के लिए हर सम्भव प्रयास करते हैं । परिवार में लड़कियां हैं, तो वे विवाह के पश्चात ससुराल चली जाती हैं और लड़के नौकरी की खोज में बड़े शहरों में चले जाते हैं। इस प्रकार वृद्धावस्था में माता-पिता अकेले रह जाते हैं। इसी प्रकार शहरों में उनके बेटे भी अकेले हो जाते हैं।
ज्ञानवापी मस्जिद : साक्ष्यों से मन्दिर का सत्य आएगा सामने
वैसे तो संसद ने ही तब कर दिया है कि किसी धार्मिक स्थल की स्थिति वैसी ही रहेगी, जैसी १५ अगस्त, १६४७ तक थी।
कर्मयोग श्लोक संग्रह
व्याख्या - १६
श्रोता-धर्म
चरित्र निर्माण की कुंजी , १
वचनेश त्रिपाठी
स्थानिय विभूतियों की कथा
महर्षि चरक के नाम की शपथ लेंगे चिकित्सा विज्ञान के छात्र
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए १७ सौ वर्ष पुरानी व्यवस्था को बदलने की अनुशंसा की है।
भारतमाता के निष्ठावान पुत्र स्वातंत्र्यवीर सावरकर
२५ मर जयन्ती पर विशेष
भगवान बुद्ध एक निष्काम कर्मयोगी
भगवान् बुद्ध मेरे इष्टदेव हैं- मेरे ईश्वर हैं । उनका कोई ईश्वरवाद नहीं, वे स्वयं ईश्वर थे। इस पर मेरा पूर्ण विश्वास है।
भगवान परशुराम
३ मई, जयन्ती पर विशेष
परस्पर सौहार्दपूर्ण समाज : सहनशील, आघात-रोधक, समझदार
'बिहार प्रान्त वार्षिक बैठक' के लिए जब मेरा बिहार का प्रवास हुआ तब 'गया' जाना हुआ था।
छाया से मार देनेवाली राक्षसी
श्री हनुगत कथा १२
कर्मयोग श्लोक संग्रह
व्याख्या