आखेट करते-करते पेड़ के नीचे आकर बैठे, साथ में उनके चमचे भी थे। बैठे-बैठे गुलेल में से धड़ाक - से पत्थर फेंका। पक्षी को लगा, उसकी गर्दन टूटी, गिरा, छटपटाया। और ये राजकुमार हँस रहे हैं 'लग गया लग गया, गिर गया - गिर गया, देखो मर रहा है, मर रहा है...', दूसरे ने दूसरे पक्षी को मार गिराया । पक्षी बेचारे छटपटाते हुए जान दे रहे थे। इतने में कोई संत वहाँ से पसार हुए।
संत हृदय नवनीत समाना ।
कहा कबिन्ह परि कहै न जाना ॥
निज परिताप द्रवइ नवनीता ।
पर दुख द्रवहिं संत सुपुनीता ॥
'संतों का हृदय मक्खन के समान होता है, ऐसा कवियों ने कहा है परंतु उन्होंने असली बात कहना नहीं जाना क्योंकि मक्खन तो अपने को ताप मिलने से पिघलता है और परम पवित्र संत दूसरों के दुःख से पिघल जाते हैं।' (रामचरित. उ. कां. : १२४.४)
Bu hikaye Rishi Prasad Hindi dergisinin April 2024 sayısından alınmıştır.
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
पितरों को सद्गति देनेवाला तथा आयु, आरोग्य व मोक्ष प्रदायक व्रत
एकादशी माहात्म्य - मोक्षदा एकादशी पर विशेष
ऐसी कल्पना आपका कल्याण कर देगी
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९ नवम्बर : गोपाष्टमी पर विशेष
कर्म करने से सिद्धि अवश्य मिलती है
गतासूनगतासुंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥
अपने ज्ञानदाता गुरुदेव के प्रति कैसा अद्भुत प्रेम!
(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।