Modern Kheti - Hindi Magazine - 15th June 2024Add to Favorites

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In this issue

Fishery Farming Special

गिर रहा पानी का स्तर चिंता का विषय...

दुनिया भर में बढ़ता तापमान अपने साथ अनगिनत समस्याएं भी साथ ला रहा है, जिनकी जद से भारत भी बाहर नहीं है। ऐसी ही एक समस्या देश में गहराता जल संकट है जो जलवायु में आते बदलावों के साथ और गंभीर रूप ले रहा है।

गिर रहा पानी का स्तर चिंता का विषय...

2 mins

बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग के कारण खाद्य उत्पादन संकट में

अमेरिका की जलवायु विज्ञान का विश्लेषण और सम्बन्धित समाचारों की रिपोर्टिंग करने वाली संस्था क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा हाल ही में किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि नवंबर 2022 से अक्टूबर 2023 तक वैश्विक तापमान अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया।

बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग के कारण खाद्य उत्पादन संकट में

2 mins

कृषि अनुसंधान में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता

कृषि अनुसंधान में निवेश किए गए प्रत्येक रुपये पर लगभग 13.85 का रिटर्न मिलता है, जो खेती से जुड़ी अन्य सभी गतिविधियों से मिलने वाले रिटर्न से कहीं अधिक है।

कृषि अनुसंधान में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता

2 mins

कृषि में जलवायु परिवर्तन चुनौती से निपटने की जरूरत

भारतीय कृषि को किसानों के लिए फायदे का सौदा बनाने और जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने के लिए पुराने तौर-तरीकों से अलग हटकर सोचने की जरूरत है। अभी तक की नीतियों और योजनाओं से मिश्रित सफलता मिली है, जिनमें सुधार की आवश्यकता है। साथ ही जलवायु परिवर्तन, घटते भूजल स्तर और एग्रीकल्चर रिसर्च के लिए फंडिंग की कमी जैसी चुनौतियों से निपटने की आवशयकता है।

कृषि में जलवायु परिवर्तन चुनौती से निपटने की जरूरत

2 mins

कृषि-खाद्य प्रणाली में बदलाव के लिए इनोवेशन की जरुरत

वैश्विक कृषि-खाद्य प्रणाली इस समय कई चुनौतियों का सामना कर रही है। दुनिया की आबादी वर्ष 2050 तक 980 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। इसे खिलाने के लिए खाद्य उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की आवश्यकता है।

कृषि-खाद्य प्रणाली में बदलाव के लिए इनोवेशन की जरुरत

2 mins

ग्लोबल डेयरी. मार्केट की मांग पूरी कर सकता है भारत

विश्व के डेयरी मार्केट में बेहतर ग्रोथ की संभावनाएं हैं क्योंकि आने वाले समय में पशु प्रोटीन के साथ दूध की मांग दुनिया भर में तेजी से बढ़ने का अनुमान है। इसकी वजह यूरोपियन यूनियन द्वारा लागू की जा रही ग्रीन डील है।

ग्लोबल डेयरी. मार्केट की मांग पूरी कर सकता है भारत

2 mins

ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करना आवश्यक

ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करने में अभी तक कृषि खाद्य प्रणाली को लक्ष्य नहीं बनाया गया है, जबकि नेट जीरो उत्सर्जन हासिल करने और ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लिए ऐसा करना जरूरी है। वैश्विक स्तर पर कृषि खाद्य प्रणाली 31 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। भारत के कुल उत्सर्जन में कृषि खाद्य प्रणाली का योगदान 34.1 प्रतिशत, ब्राजील में 84.9 प्रतिशत, चीन में 17 प्रतिशत, बांग्लादेश में 55.1 प्रतिशत और रूस में 21.4 प्रतिशत है।

ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करना आवश्यक

2 mins

अजोला से अच्छी आमदनी प्राप्त करने वाले प्रगतिशील किसान गजानंद अग्रवाल

देश में बहुत से किसान अपने ज्ञान और अनुभव के सहारे सूखी धरती पर तरक्की की फसल उगा रहे हैं। ऐसे किसान न केवल खुद खेती से कमाई कर रहे हैं, बल्कि अपनी मेहनत और नई तकनीकों का उपयोग करके दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं।

अजोला से अच्छी आमदनी प्राप्त करने वाले प्रगतिशील किसान गजानंद अग्रवाल

2 mins

वर्ल्ड फूड प्राईज प्राप्त करने वाले संजय राजाराम

संजय राजाराम एक भारतीय कृषि विज्ञानी हैं जिन्होंने गेहूं की अधिक उत्पादन देने वाली किस्में विकसित की हैं। गेहूं की इन किस्मों से 'कौज' एवं 'अटीला' प्रमुख हैं।

वर्ल्ड फूड प्राईज प्राप्त करने वाले संजय राजाराम

2 mins

गर्मी में डेयरी पशुओं का प्रबंधन

पशुपालन कृषि की वह शाखा है जहां जानवरों को मांस, फाईबर, अंडे, दूध और अन्य खाद्य उत्पादों के लिए पाला जाता है। डेयरी फार्मिंग कृषि की एक तकनीक है जो दूध के उत्पादन से संबंधित है, जिसे बाद में दही, पनीर, मक्खन, क्रीम आदि जैसे डेयरी उत्पाद प्राप्त करने के लिए संशोधित किया जाता है।

गर्मी में डेयरी पशुओं का प्रबंधन

4 mins

ज्वार की खेती कैसे की जाती है

ज्वार की फसल खरीफ (वर्षा ऋतु) और रबी (वर्षा ऋतु के बाद) में उगाई जाती है, लेकिन खरीफ का हिस्सा खेती और उत्पादन दोनों के तहत क्षेत्र के मामले में अधिक है। रबी की फसल लगभग पूरी तरह से मानव उपभोग के लिए उपयोग की जाती है जबकि खरीफ की फसल मानव उपभोग के लिए बहुत लोकप्रिय नहीं है और बड़े पैमाने पर पशु चारा, स्टार्च और शराब उद्योग के लिए उपयोग की जाती है। भारत में ज्वार के तहत केवल 5 प्रतिशत क्षेत्र सिंचित है। देश में ज्वार की खेती के तहत 48 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र महाराष्ट्र और कर्नाटक में है।

ज्वार की खेती कैसे की जाती है

7 mins

भारत में शहतूत की खेती और उपयोग

शहतूत को वानस्पतिक रूप में मोरस अल्बा के नाम से जाना जाता है। शहतूत के पत्तों का रेशम उत्पादन में प्राथमिकता के कारण एक प्रमुख आर्थिक घटक है क्योंकि प्रति इकाई क्षेत्र में उत्पादित पत्ती की गुणवत्ता और मात्रा का कोकून की फसल पर सीधा असर पड़ता है।

भारत में शहतूत की खेती और उपयोग

3 mins

एकीकृत मछली पालन एक उत्तम विकल्प

आज भारत मत्स्य उत्पादक देश के रूप में उभर रहा है। एक समय था, जब मछलियों को तालाब, नदी या सागर के भरोसे रखा जाता था, परन्तु बदलते वैज्ञानिक परिवेश में इसके लिए कृत्रिम जलाशय बनाए जा रहे हैं, जहां वे सारी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं, जो प्राकृतिक रूप से नदी, तालाब और सागर में होती हैं। छोटे शहरों और गांवों के वे युवा, जो कम शिक्षित हैं, वे भी मछली पालन उद्योग लगा कर अच्छी आजीविका अर्जित कर सकते हैं। लेख के माध्यम से हम मछली पालन की विधि के साथ-साथ किस प्रकार यह मिश्रित खेती का एक अच्छा विकल्प है।

एकीकृत मछली पालन एक उत्तम विकल्प

4 mins

धान की सीधी बिजाई तकनीक से लागत कम मुनाफा ज्यादा कमाए

वर्तमान समय में किसान भाई भूजल संरक्षण को ध्यान में रखते हुए धान की फसल की सीधी बिजाई तकनीक को अपनाकर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। धान की सीधी बिजाई 20 से 25 जून तक पूरी कर लें क्योंकि बिजाई के बाद 20 दिन तक पानी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। धान की सभी किस्मों की सीधी बिजाई की जा सकती है लेकिन किसान भाइयों को जल्दी पकने वाली किस्म को प्राथमिकता देनी चाहिए। धान की सीधी बिजाई के लिए गेहूं की फसल की तरह ही खेत में करें।

धान की सीधी बिजाई तकनीक से लागत कम मुनाफा ज्यादा कमाए

2 mins

भूरी खाद: संक्षेप में स्वयं प्रोत्साहित मृदा पोषण

भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां कृषि आर्थिक विकास का मुख्य आधार है। इसलिए कृषि क्षेत्र में नवाचारी और प्रौद्योगिकी पर ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। भूरी खाद एक ऐसा नवाचार है जो कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने और मृदा स्वास्थ्य को सुधारने के लिए अद्वितीय तकनीक प्रदान करता है। इस लेख में, हम भूरी खाद के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे। इसके फायदे और इसे कृषि में कैसे लागू किया जा सकता है, इस पर चर्चा करेंगे।

भूरी खाद: संक्षेप में स्वयं प्रोत्साहित मृदा पोषण

3 mins

ग्वार की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

दलहनी फसलों में ग्वार फली का विशेष योगदान है। यह मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में उगाया जाता है। भारत में ग्वार फली के क्षेत्रफल और उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का प्रथम स्थान है। इस फसल से गोंद का उत्पादन होता है जिसे ग्वार गम कहा जाता है और इसका विदेशों में निर्यात किया जाता है। इसके बीज में प्रोटीन-18 प्रतिशत, फाइबर-32 प्रतिशत और एंडोस्पर्म में लगभग 30-33 प्रतिशत गोंद होता है।

ग्वार की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

2 mins

बीज खरीदते वक्त किसान कुछ जरूरी सावधानियों का रखें ख्याल

हम सब लोग जानते हैं कि किसानों की आय मुख्य रूप से फसलों के उत्पादन पर निर्भर होती है। फसलों के बेहतर उत्पादन पर उनकी आय बढ़ जाती है जबकि फसलों की स्थिति बिगड़ने पर किसान को आर्थिक रूप से काफी हानि का सामना करना पड़ता है।

बीज खरीदते वक्त किसान कुछ जरूरी सावधानियों का रखें ख्याल

4 mins

बदलते परिवेश में लाभदायक धान की सीधी बिजाई

धान भारत की एक प्रमुख फसल है। हमारे देश में लगभग 360 लाख हैक्टेयेर क्षेत्र में धान की खेती की जाती है जिसमें से लगभग 20 लाख हैक्टेयर क्षेत्र वर्षा आधारित है। असिंचित क्षेत्रों में समय पर वर्षा का पानी न मिलने से किसान लोग समय से कद्दू नहीं कर पाते हैं जिससे धान की रोपाई में विलम्ब हो जाती है।

बदलते परिवेश में लाभदायक धान की सीधी बिजाई

3 mins

मूंग की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग और उनकी रोकथाम

मूंग की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि फसल है जो कि भारत में व्यापक रुप पैदा की जाती है। मूंग एक प्रमुख दाल है जो उत्तर भारत में प्रमुखता से उगाई जाती है, लेकिन यह दक्षिण भारत में भी कई जगहों पर उत्पादित की जाती है। मूंग की खेती के लिए उचित मौसम और जलवायु बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इसकी बुआई गर्मी के मौसम में की जाती है, जबकि इसकी पूरी फसल की कटाई शीत ऋतु में की जाती है। मूंग की फसल के लिए अच्छी खेती के लिए अच्छी जलवायु की आवश्यकता होती है, जिसमें अच्छी वर्षा, सही तापमान और प्राकृतिक परिपत्रों की सहायता होती है। मूंग की खेती में किसानों को सबसे अधिक नुकसान रोगों के कारण होता है। इस लेख में हम मूंग की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों और उनके नियंत्रण के बारे में जानकारी देंगे।

मूंग की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग और उनकी रोकथाम

5 mins

जैविक पद्धति से पादप रोग नियंत्रण

जैविक पद्धति का प्रयोग करने से एक रोगजनक के जीवित बने रहने की आशा अथवा उसकी क्रियाशीलता को किसी दूसरे जीव (मनुष्य को छोड़कर) द्वारा कम कर दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप उस रोग जनक से उत्पन्न रोग में कमी हो जाती है।

जैविक पद्धति से पादप रोग नियंत्रण

3 mins

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Modern Kheti - Hindi Magazine Description:

PublisherMehram Publications

CategoryBusiness

LanguageHindi

FrequencyFortnightly

Modern Kheti, as the name indicates, relates to the modern agricultural techniques; conservative and cash crops, allied professions and farm machinery through training programs or upcoming events on a national and international level. Introduced in 1987, it is the leading and most widely read agriculture based magazine throughout Northern India. Punjab and Haryana, extensively known as the food grain basket of India, has in almost every household Modern Kheti, as it caters to every aspect of farming like growing of seasonal crops, their problems & solutions, conservative and cash crop farming. It also covers – fishery, poultry dairy, bee keeping, floriculture, horticulture etc. The main aim of Modern Kheti is to keep up the spirit of farming, bond different regions and help agriculture grow. It inspires the youth to take up agriculture as farming with a lot of emphasis on organic and profitable farming. It keeps in mind the health and prosperity of all i.e. taking mankind and nature together. It is published Fortnightly in Punjabi and Hindi and covers the whole of Punjab, Haryana, Rajasthan, Himachal Pradesh, Uttaranchal etc. It is undoubtedly one of the best mediums trying to provide healthy information.

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