Rishi Prasad Hindi - September 2023
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في هذه القضية
* Spiritual Questions answered by Pujya Bapuji
* The highest duty of the Disciple
* Shraddha – a ritual that brings happiness, prosperity, longevity, and gratifies the manes
* Even you can take the benefit of “Collective ShrÍddha”
* The joy experienced without sense-activity is supreme joy
* Sanatana Dharma has been disgraced, not Bapuji
* This will ease the attainment of rare Brahmajnana for you.
* Days of abstinence, fasting, and worship of Shakti
* My SatGuru, the treasure-house of grace, teaches Vedanta in Practice!
* What is required to attain Self-realization?
* The result of prayer and strong determination
* How to protect oneself from the downfall, caused by the external environment.
* Develop pure Viveka, and attain the joy of the Supreme Lord
* Whatever I have is Yours
* Why is fault-finding contemptible?
* Benedictory experiential words of Saints
* Bapuji taught the importance of Yogasana
* Kundalini Yoga: Yoga that bestows divine bliss and Moksha
* Orange: a fruit rich in nutrients and a pacifier of pitta
* A tonic that provides longevity, health, Ojas and energy
* Prevention and cure of Eye Flu
* How to please Lakshmi Ji?
* A miracle of Guru’s grace and divine therapy
* …then your worldly activity will become sÍdhanÍ
शिष्य का परम धर्म
लाहौर निवासी भाई सुजान एक अच्छे वैद्य थे। वे लोगों का उपचार तो करते पर उनका मन अशांत और बेचैन रहता था। मन की शांति कैसे मिले इसका वे चिंतन करते रहते थे। आत्मशांति की इसी खोज ने उन्हें आनंदपुर साहिब गुरु गोविंदसिंहजी के दरबार में पहुँचा दिया। सुजानजी ने दर्शन कर मत्था टेका तो बड़ी शांति, तृप्ति मिली। उन्होंने उसी क्षण मन-ही-मन गुरु गोविंदसिंहजी को गुरु मान लिया और सोचा कि अब इन्हींके चरणों में रहूँगा।'
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सुख-समृद्धि, दीर्घायु व पितरों को तृप्ति प्रदाता कर्म : श्राद्ध
श्राद्ध पक्ष : २९ सितम्बर से १४ अक्टूबर
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कलंक बापूजी पर नहीं, सनातन धर्म पर लगाया है
आशारामजी बापू को जिस प्रकार टारगेट किया गया यह किसी साधारण व्यवस्था का काम नहीं है, इसके पीछे अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था है।
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मेरे सद्गुरु कृपानिधान, सिखाते व्यवहार में ऊँचा ज्ञान
(गतांक से आगे)
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प्रार्थना व दृढ़निश्चय का फल
(महात्मा गांधी जयंती : २ अक्टूबर)
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विमल विवेक जगा के परमेश्वर के माधुर्य को पा लो
जिस शरीर को छोड़ जाना है उसके अहं को सजाने में जिंदगी तबाह हो जाती है और जो साथ में रहना है उसको व्यक्ति पाता ही नहीं है क्योंकि विवेक की कमी है। लौकिक विवेक तो है परंतु सत्य-असत्य का विवेक नहीं है, सार-असार का विवेक नहीं है। सार के लिए प्रयत्न करें, असार से थोड़ा-सा उपराम हो जायें, सच्चाई का आसरा लें। बस, सारी बाजी जीत लें।
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परमहंस संत भूमानंदजी के जीवन-प्रसंग
('बाहर से मूकवत्, अंदर से उतने ही सजग!’ गतांक से आगे)
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दोषबुद्धि निंदनीय क्यों?
ईर्ष्या का परम भयानक स्वरूप
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दैवी चिकित्सा व गुरुकृपा का अद्भुत परिणाम
२०१७ में मुझे लीवर सिरोसिस की बीमारी हुई। उपचार चला किंतु तकलीफ पूरी तरह ठीक नहीं हुई।
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...तो आपका व्यवहार साधनामय हो जायेगा
मंगलमय संदेश
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Rishi Prasad Hindi Magazine Description:
الناشر: Sant Shri Asharamji Ashram
فئة: Religious & Spiritual
لغة: Hindi
تكرار: Monthly
Started in 1990, Rishi Prasad has now become the largest circulated spiritual monthly publication in the world with more than 10 million readers. The magazine is a digest of all thought provoking latest discourses of His Holiness Asharam Bapu on various subjects directing simple solutions for a peaceful life. The magazine also features news on happenings at various ashrams in past month, inspirational texts from scriptures/legends , practical tips for healthy day-to-day living balancing materialism by idealism, Bapuji's answers to questions raised by seekers, disciples's experiences etc.
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