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पोटैटो प्लांटर आलू बोआई यंत्र
पोटैटो प्लांटर मशीन आलू बोने का एक ऐसा कृषि यंत्र है, जिस के इस्तेमाल से आलू की बोआई बड़ी आसानी से की जाती है.
टर्कीपालन से बढ़ेगी किसानों की आय
हमारे देश में टर्कीपालन तेजी से बढ़ रहा है. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के अंतर्गत पशु उत्पादन विभाग द्वारा टर्की की केरी विराट नस्ल का पालन किया जा रहा है.
आईआईटियन नीरज ठाकुर की मखाने की खेती
हम लोग बिहटा से तकरीबन 250 किलोमीटर की दूरी तय कर के मधुबनी पहुंचे नीरज ठाकुर के गांव अकौर में अकौर मखाना उत्पादन के लिए मशहूर है.
बरसात में खिल उठे मशरूम के पौधे
अकसर देखने में आता है कि बरसात में जगहजगह कुकुरमुत्ते (मशरूम) उग आते हैं. मशरूम को टरमिटोमायसेज माइक्रोकार्पस के नाम से वैज्ञानिक रूप से जाना जाता है, जो मुख्य रूप से दीमक की बांबी पर रुकता है और अपने लिए भोजन दीमक से प्राप्त करता है.
तोरिया की खेती से लें अधिक उत्पादन
कम बारिश या पानी का सही इंतजाम न होने पर भी तोरिया की खेती काफी फायदेमंद है. इस की समय से बोआई कर के अगली फसल आसानी से ली जा सकती है. इस के तेल का खास रूप से खाने में इस्तेमाल किया जाता है.
मछलीपालन: खुद का बिजनैस योजना में 60 फीसदी सदिसडी
भारत जैसे देश में खेतीकिसानी के साथ अनेक काम ऐसे हैं, जिन्हें खेती के साथ ही गिना जाता है. इस तरह के कामों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार समयसमय पर कई योजनाएं चलाती है, ताकि किसानों को फायदा मिल सके. मछलीपालन भी एक ऐसा ही कारोबार है, जिस में सरकारी मदद भी मिलती है.
कीट व रोगों की करें रोकथाम मिलेगी अच्छी पैदावार
अपनी फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए उस में समयसमय पर कीट व रोगों की रोकथाम भी जरूरी है. यदि फसलों पर कोई रोग और कीट मिले, तो तत्काल ही उस की रोकथाम करें. ऐसी ही कुछ जानकारी अनेक फसलों के लिए दी गई है. कीटनाशकों और कवकनाशी का छिड़काव आसमान के साफ होने पर ही करें.
धान के हानिकारक कीटों की पहचान और प्रबंधन
धान का विश्व की समस्त खाद्यान्न फसलों में एक विशिष्ट स्थान है. धान विश्व की लगभग आधी आबादी का भरणपोषण करता है. धान के उत्पादन में उत्तर प्रदेश अग्रणी भूमिका निभाता है.
कपास की खेती पर हुई संगोष्ठी - कपास की खेती को नई दिशा की आवश्यकता
'कपास की खेती में बदलते प्रतिमान' विषय पर उदयपुर में 8-10 अगस्त, 2022 के दौरान 3 दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ 8 अगस्त को राजस्थान कृषि महाविद्यालय के सभागार में हुआ.
भूजल में नाइट्रेट का बढ़ना सेहत के लिए खतरा
देश में 400 से अधिक जिलों के भूजल में घातक रसायन मिलने से पीने के स्वच्छ व शुद्ध जल का गंभीर संकट धीरेधीरे पैदा होने लगा है.
सितंबर महीने में खेतीकिसानी के खास काम
बरसात के मौसम के बाद सितंबर महीने का आगाज होता है.
आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर 'आदर्श ग्राम योजना' की कहानी
साल 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नई योजना 'आदर्श ग्राम' की घोषणा की, तो तमाम गाजेबाजे और विज्ञापनों के जरीए भले ही यह स्थापित करने का प्रयास किया गया, पर दरअसल ऐसा नहीं है. यह कोई नई विलक्षण सोच या नई योजना नहीं है.
मिर्च की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट व रोग
लाल हो या हरी मिर्च, ये खाने में तीखापन ही नहीं लाती है, बल्कि गुणों से भी भरपूर होती है.
गेंदा फूल की खेती
गेंदा फूल को पूजाअर्चना के अलावा शादीब्याह, जन्मदिन, सरकारी और निजी संस्थानों में आयोजित विभिन्न समारोहों के अवसर पर पंडाल, मंडपद्वार और गाड़ी, सेज आदि सजाने व अतिथियों के स्वागतार्थ माला, बुके, फूलदान सजाने में भी इस का इस्तेमाल किया जाता है.
कम पानी की खेती बूंदबूंद सिंचाई योजना
देशभर में अलगअलग जगहों पर मौसम का मिजाज भी अलगअलग देखा गया है.
जुताई और बोआई के लिए बैटरी से चलने वाला कल्टीवेटर और प्लांटर
खेती से पैदावार बढ़ाने और खेती को आसान बनने के लिए अनेक तरह के आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है, जिस से फसल की लागत में कमी आती है और फसल पैदावार में इजाफा होता है. इस दिशा में अनेक कृषि विशेषज्ञ और कृषि संस्थान भी काम करते रहे हैं.
गन्ना फसल में बैड प्लांटिंग विधि द्वारा अंतः फसलीकरण
हरियाणा प्रदेश में गन्ना फसल की बिजाई तकरीबन 1.40 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है. शरदकालीन (सितंबर/अक्तूबर माह) में बोआई फसल गन्ना क्षेत्रफल के लगभग 10-12 फीसदी हिस्से में की जाती है.
अदरक की खेती
अदरक जिंजिबर औफिसिनेल रोस जाति के पौधे का जमीन के अंदर रहने वाला रूपांतरित तना यानी प्रकंद है.
बकरीपालन का कारोबार और फायदेमंद योजनाएं
किसी भी नए काम को शुरू करने से पहले उस काम को कैसे किया जाए, ये जानकारी होना भी जरूरी है. केंद्र और राज्य सरकार के केंद्रों द्वारा पशुपालकों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है, ताकि बकरीपालन में उन्हें किसी तरह की समस्या न हो.
शुरू करें डेरी फार्मिंग किसानों के लिए 'दूध गंगा योजना'
पशुपालकों और किसानों के लिए राज्य सरकारों व केंद्र सरकार द्वारा समयसमय पर कई प्रकार की योजनाएं चलाई जाती हैं.
तेज बारिश में न बहने दें खेत की उपजाऊ मिटटी
बारिश न हो या कम हो, तो सभी किसान परेशान रहते हैं, लेकिन समझदार किसान लगातार तेज बारिश से भी घबराते हैं, क्योंकि इस से मिट्टी का कटाव होता है, जो खेत का आकार तो बिगाड़ता ही है, साथ ही जरूरी पोषक तत्त्वों को भी अपने साथ बहा ले जाता है
लंबी दूरी तक करे सिंचाई लपेटा पाइप
खेतों में सिंचाई करने के लिए कई बार पानी को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में खासा दूरी तय करनी पड़ती है, चाहे सिंचाई डीजल इंजन के जरीए हो या नलकूप के जरीए. इस में कई बार जगहजगह से पाइप टूट भी जाती है, तो पानी की बहुत ज्यादा बरबादी होती है.
बायोगैस प्लांट का कमाल किसान हुआ मालामाल
हमारे देश के नौजवान सिर्फ मल्टीनैशनल कंपनियों में नौकरी या फिर कोई बड़ा बिजनैस कर के ही लाखों की कमाई नहीं कर सकते, बल्कि डेरी फार्मिंग के जरीए भी हर महीने लाखों रुपए कमा सकते हैं.
तिल की खेती
आमतौर पर तिल 2 प्रकार के होते हैं यानी काले व सफेद.
अमरूद से बनाएं कई चीजें
अमरूद मीठा और स्वादिष्ठ फल होने के साथसाथ कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है. अमरूद विटामिन सी, पैक्टिन और कैल्शियम, फास्फोरस और आयरन जैसे तत्त्वों से लबरेज होता है.
अगस्त माह में खेती से जुड़े काम
किसानों के लिए वैसे तो हर महीना खास होता है, लेकिन अगस्त का महीना खेती के लिए इसलिए ज्यादा अहम होता है कि इस महीने में मानसून जोरों पर होता है और वर्षा वाले क्षेत्रों में झमाझम बारिश भी होती है.
अपनी अच्छी सेहत को दें लिफ्ट वर्टिकल गार्डनिंग के साथ
वर्टिकल गार्डनिंग
उड़द की खेती कैसे करें
उड़द खरीफ के मौसम में ली जाने वाली दलहनी फसलों में बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है. उड़द को मुख्य रूप से दाल और बड़ा के रूप में खाया जाता है, जो कि शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है. उड़द में प्रोटीन 25-26 फीसदी तक पाया जाता है.
पहाड़ की फायदेमंद मूली
पहाड़ में पैदा होने वाली मूली भी मैदानी मूली की ही तरह खाद्य जड़ों वाली सब्जी है, जो कि क्रूसीफैरी परिवार की सदस्य है. मूली इतनी आसानी से पैदा होने और फैलने वाली फसल है कि यह न तो अधिक देखभाल मांगती है और न ही बहुत अधिक खाद आदि. पहाड़ी मूली तकरीबन 2 किलो से 3 किलो वजन की होती है.
लाल भिंडी वैज्ञानिक तकनीक से कमाई
भारतीय किसान पारंपरिक फसलों की खेती से परे अब नईनई फसलें और तकनीकों से खेती कर रहे हैं. किसान नई फसलों को अपने खेतों में स्थान दे कर अच्छी कमाई कर रहे हैं.