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तीरथ सिंह बने मुख्यमंत्री 'अपना पत्ता' किया फिट
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को हटा कर भाजपा ने अपने नेताओं को संदेश देने का काम किया है कि हर विद्रोह को दबाया जाएगा. कांग्रेस की तरह अब भाजपा में भी विद्रोही स्वरों को दबाने के लिए पार्टी नेताओं पर हाईकमान के फैसले थोपे जाने की शुरुआत हो गई है.
डिजिटल मीडिया पर कसती नकेल
देश में तमाम डिजिटल प्लेटफौर्स पर प्रसारित होने वाले कंटेंट को ले कर सरकार द्वारा 30 पृष्ठों के दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. इन दिशानिर्देशों के जारी किए जाने के बाद सरकार की मंशा पर कई सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. इसे व्यक्ति की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निजता पर चोट भी समझा जा रहा है. ऐसा क्यों और सरकार को ये दिशानिर्देश क्यों जारी करने पड़े, जानें इस खास रिपोर्ट में.
5 राज्य चुनाव - राम, वाम या काम
5 राज्यों के विधानसभा चुनावों का रोमांच चरम पर है. भाजपा धार्मिक शोरशराबे के जरिए चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश कर रही है जो पश्चिम बंगाल में सिमट कर रह गया है, जहां लड़ाई ममता बनाम मोदी की हो कर रह गई है. बाकी राज्यों मे क्षेत्रीय दलों का दबदबा है. कांग्रेस अपने मुनाफे के लिए जोड़तोड़ में लगी है. देखना दिलचस्प होगा कि मतदाता किसे चुनता है.
चटकदार महंगाई से होली का रंग फीका
महंगाई, बेरोजगारी व तालाबंदी के चलते होली का बाजार ठिटका सा है. कोविड अभी भी लोगों को डरा रहा है, तालाबंदी का भूत फिर से भयभीत कर रहा है. ऐसे में होली का रंग फीका है और बाजार की रौनक गायब है. खरीदारी की कमी से दुकानदार माल लाने से कतरा रहे हैं. जो माल बाजार में है उस के दाम बढ़े हुए हैं जो जेब पर भारी पड़ रहे हैं.
लेडीज टौयलेट की कमी क्यों?
हमारा समाज बाजार को मर्दो की जगह मानता आया है. यह सोच औरतों को हमेशा चारदीवारी के अंदर समेटने की रही है. बदलते समय के साथ औरतों ने बाजारों में जाना शुरू तो कर दिया है किंतु पब्लिक प्लेसेज में महिला शौचालयों की भारी कमी के चलते उन को भारी समस्या का सामना करना पड़ता है.
पश्चिम बंगाल विभीषण के रोल में शुभेंदु अधिकारी
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के रण में तृणमूल कांग्रेस को जड़ से उखाड़ फेंकने की चाहत में भारतीय जनता पार्टी अपना पूरा जोर लगाए हुए है. उस की इस मुहिम में बड़े मददगार साबित हो रहे हैं तृणमूल छोड़ कर भाजपा में आए शुभेंदु अधिकारी.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम फैसला ससुराल से मिली संपत्ति पर मायके वालों का भी हक
संपत्ति उत्तराधिकार के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला देते हुए हिंदू महिला के मायके पक्ष को उस के परिवार का हिस्सा कहा और उस की संपत्ति पर उन का हक कायम किया है.
पंजाब चुनाव अब शहरी भी नाराज
पंजाब की राजनीति आमतौर पर राष्ट्रीय राजनीति से मेल नहीं खाती और न ही किसी लहर या आंधी से प्रभावित होती है. वजह साफ है कि वहां का वोटर हिंदुत्व मुद्दों पर वोट नहीं करता. हालिया निकाय चुनाव में भी यही हुआ. पढ़िए इस खास रिपोर्ट में : .
इंटरनैट शटडाउन विरोधों को रोकने का जरिया
लगातार हर साल यह ट्रेंड देखने में आ रहा है कि मोदी सरकार के खिलाफ बढ़ते विरोध को देख सरकार द्वारा इंटरनैट शटडाउन को अधिकाधिक इस्तेमाल किया जा रहा है. खुद आंकड़े गवाही देते हैं.
मंदिरमूर्तियों से नहीं रोजगार से होगा विकास
जनता को लोकलुभावन वादों से भरमाने वाली तमाम सरकारें यदि करोड़ोअरबों रुपयों से मूर्तियां व स्मारक बनाने के बजाय देश में कारखाने और फैक्ट्रियां खोलतीं तो देश के बेरोजगार नौजवानों को रोजगार मिल जाता. आज देश की जनता को स्मारकों की नहीं, अच्छे स्कूल, कालेज और अस्पतालों की जरूरत है.
सरकारी नीतियों से बदतर होती फिल्म इंडस्ट्री
फिल्म इंडस्ट्री को उद्योग का दर्जा मिलने के साथसाथ बौलीवुड पर राजनीतिक शिकंजा कसना शुरू हुआ और बौलीवुड जाति, धर्म, ऊंचनीच व राजनीतिक सोच के अनुसार कई खेमों में बंटता चला गया. मौजूदा समय में अतिराजनीतिक घुसपैठ के चलते फिल्म इंडस्ट्री यानी बौलीवुड के भीतर जंगलराज पनपता जा रहा है.
वृद्ध अपनी संपत्ति बेटों से बचाएं
वो कहते हैं न, 'न बाप बड़ा न भैया, सब से बड़ा रुपैया.' यह शतप्रतिशत सच है. संपत्ति वह चीज है जो रिश्तों में अच्छेअच्छों का असल चेहरा सामने ला कर रख देती है. वे वृद्ध मातापिता जिन का सहारा ही उन की संपत्ति होती है, वही कष्ट का कारण बन जाती है.
लव जिहाद कानून में आर्य समाज की शुद्धि गैरकानूनी
उत्तर प्रदेश की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी लव जिहाद कानून वजूद में आया है. इस के आने के बाद युवाओं में दहशत फैल गई है. उन की प्रेम करने की आजादी पर पहरा लग गया है जिस में खुला समर्थन उन के अभिभावकों का भी शामिल है. मसलन, इस नए कानून में शुद्धिकरण पर प्रतिबंध आरएसएस का मंसूबा दिखाता है.
दूसरी शादी से डर क्यों
भारतीय मानव विकास सर्वेक्षण के मुताबिक देश में विधवा, अपने पति से अलग रह रहीं और तलाकशुदा महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में अधिक है. आयु के तमाम वर्गों में ऐसी महिलाओं की अधिक संख्या यह इशारा करती है कि भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं दूसरी शादी कम कर रही हैं.
जो बोलेगा राजद्रोह झेलेगा
आम और खास लोगों के मुंह बंद करने के लिए सरकार जिस तेजी से राजद्रोह कानून को हथियार बना रही है उसे देख कर लगता है कि लोकतंत्र खतरे में है. सरकार नहीं चाहती कि कोई मौजूदा हालात पर सोचे और बोले, उस ने बगैर आपातकाल लगाए उस से भी ज्यादा कहर ढाना शुरू कर दिया है. इस के पीछे एक छिपा एजेंडा है कि औरतें, पिछड़े, शूद्र, युवा भी अपना मुंह बंद रखें और पौराणिकवाद को सिर नवा कर मानते रहें.
किसानों को आंदोलनजीवी और परजीवी की नई गालियां
नरेंद्र मोदी समर्थकों ने किसान आंदोलन को बदनाम व खत्म करने के लिए आंदोलनरत किसानों को खालिस्तान, चीन, पाकिस्तान समर्थक और न जाने क्याक्या कहा. संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने तो अब आंदोलन का उपहास उड़ाते उन किसानों पर 'आंदोलनजीवी' और 'परजीवी' जैसे शब्दों से हमला कर दिया है.
मध्यवर्ग के लिए निवेश के अवसर
मध्यवर्ग के लोग अपनी सीमित आय तथा अधिक खर्च के कारण थोड़ी बचत ही कर पाते हैं. ऐसे में यह आवश्यक है कि वे अपनी बचत राशि को सुनियोजित तथा सुरक्षित तरीके से निवेश करें जो वृद्धावस्था में किसी आपातकाल की स्थिति में अथवा किसी और जरूरत के समय उन के काम आ सके. बेहतर तरीके से निवेश के लिए बेहतर प्लानिंग जरूरी होती है.
अंधविश्वास का वीभत्स रूप
आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में घटी अंधविश्वास की घटना ने साबित किया कि धार्मिक पाखंडों पर कौपीराइट सिर्फ गरीब, दलित या आदिवासी का ही नहीं है बल्कि इस मामले में पढ़ालिखा सभ्य समाज भी पूरी तरह जकड़ा हुआ है. फर्क बस, झोंपड़े और बंगले का है, भीतरखाने कर्मकांड में कोई फर्क नहीं.
एक अंधे को बौक्सिग सिखाने और उस पर फिल्म बनाने की चुनौती -अली: द ब्लाइंड बौक्सर
कोलकाता में जन्मे बिजौय बनर्जी 'अली : द ब्लाइंड बौक्सर' से काफी चर्चा में हैं. इस फिल्म ने कई अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड जीत लिए हैं. आखिर क्या खास है इस फिल्म में.
समाजसेवा और नेतागीरी भी है जरूरी
आज देश में ऐसा माहौल बन गया है कि समाजसेवी और नेता का नाम सुनते ही लोग सब से पहले यह सोचते हैं कि वह जरूर अपने फायदे के लिए लोगों की सेवा कर रहा है या उन के काम बनवा रहा है, पर आज भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो निस्वार्थ दूसरों की सेवा करते हैं और समाजसेवा जैसे काम को आगे बढ़ा रहे हैं.
सब का साथ सब का विकास नारों में सिमटी बात
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सब का साथ, सब का विकास का नारा दिया. चुनाव जीतने के बाद भाजपा ने सहयोगी दलों को एकएक कर के न केवल दरकिनार करना शुरू कर दिया, बल्कि कइयों को तो विरोधी ही बना लिया. 'एकला चलो' की राह पर भाजपा निकली जरूर है लेकिन अहंकार से भरी यह राह राजनीतिक पतन की तरफ भी ले कर जाती है.
सावधान झक मारना नहीं है औनलाइन फिशिंग
औनलाइन फिशिंग यानी कि औनलाइन धोखाधड़ी. यह जालसाजी करने वाले बहुत चालाकी से शिकार को अपने जाल में फंसा लेते हैं. इसलिए सावधान रहिए इन धोखेबाजों से.
अडानी पर क्यों भड़के स्वामी
सुब्रमण्यम स्वामी अकसर अपनी ही सरकार पर चढ़ बैठते हैं. खूब किरकिरी करते हैं. लेकिन अब की बार वे सरकार के खासमखास पर चढ़ बैठे हैं. सरकार मौन है. ऐसा लगता है जैसे इस मौन में सरकार की स्वीकृति समाहित है.
अपार्टमैंट्स में बन रहे नए परिवार
अपार्टमैंट कल्चर के प्रति कभी हिचकिचाहट महसूस करते लोग अब उस में ढलने को खुद को तैयार कर चुके हैं.
किसान आंदोलन और सुप्रीम कोर्ट
सरकार और किसानों के बीच कृषि कानूनों को ले कर चल रहे गतिरोध में सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप व आदेश किसानों को हैरान करता है. उस में सोने पर सुहागा वह विवादित कमेटी है जिसे ले कर बवाल मचा जिस के चलते सुप्रीम कोर्ट किसानों की नजर में खुद कठघरे में खड़ी हो गई. अब भीतरखाने यह सवाल घूम रहा है कि कहीं सरकार ने कोर्ट के कंधे पर बंदूक रख कर तो नहीं चलाई?
संवेदनशीलता सीमा में हो
संवेदनशील महिलाएं दूसरे की भावना को बहुत गहराई से अनुभव करती हैं. यह उन का अच्छा गुण है लेकिन उन के खुद के लिए यह तनाव देने वाला होता है...
बेटी का प्रेम विवाह अड़चन डालें मातापिता
प्रेम विवाह के खिलाफ अड़चनों की शुरुआत घरपरिवार व मातापिता से ही होती है. ज्यादातर मामलों में लड़की को जबरदस्त विरोध झेलना पड़ता है. जातिबिरादरी, धर्म और अमीरीगरीबी की ऊंचनीच को ले कर प्रेमी युगल को मुश्किलों के दौर से गुजरना पड़ता है. ऐसे में इन मसलों में आ रही कठिनाइयां व उन के उपाय समझें इस लेख में.
"राजनीति में सब को पावर की भूख होती है"अक्षय ओबेरौय
फिल्म 'इसी लाइफ में' से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने वाले अभिनेता अक्षय ओबेरौय को शुरू से अभिनय करने की इच्छा थी, जिस में साथ दिया उन के पेरेंट्स ने. विदेश से पढ़ाई कर वे मुंबई आए और पृथ्वी थिएटर जौइन कर अभिनय की बारीकियां सीखीं.
कट्टर भीड़ और उदार जनता में उलझे 2 लोकतंत्र
डोनाल्ड ट्रंप गुंडई के बल पर हारा हुआ चुनाव जीतना चाहते थे. 4 वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने अमेरिका में हिंसा, उदंडता और सांप्रदायिकता का बीजारोपण कर के श्वेत अधिनायकवादियों की भीड़ का जो गिरोह तैयार किया, उस गिरोह से चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने के लिए देश की संसद तक पर हमला करवाया.
डिजिटल जहर अमेरिका से भारत तक फैला भ्रमजाल
अमेरिका में जिस तरह 'क्यूएनन' बड़ी तेजी से बढ़े उसी तरह भारत में कट्टर अंधभक्तों की संख्या में, 2014 के बाद, तेजी आई. और यह पूरी प्रक्रिया लगभग समानरूप से चलाई गई जिस में इंटरनेट और सोशल मीडिया का बहुत बड़ा हाथ रहा है. आज यह हाथ इतना बड़ा हो चुका है कि इस के फंदे में लोकतंत्र की गरदन फंसी पड़ी है. फौरीतौर पर थोड़ी राहत देने वाली इकलौती बात यह है कि भारत में सोशल मीडिया, लड़खड़ाते ही सही, कट्टरवाद का विरोध कर रहा है क्योंकि यहां का नियमित मीडिया अलोकतांत्रिक टूल बना हुआ है.