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दलितपिछड़ा राजनीति घट रही आपसी दूरियां
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुटने लगी हैं, बंद कमरों में गुप्त मीटिंगें हो रही हैं, कुछ के आंतरिक कलह खुल कर सामने भी आने लगे हैं. इस बीच जमीन पर जनता क्या सोच रही है, उस का क्या मूड है, जानने के लिए पढ़ें यह ग्राउंड रिपोर्ट.
"समाज में एलजीबीटी समुदाय को ले कर जो टैबू है उसे बदलने का प्रयास है हमारी यह फिल्म" अंशुमन झा
'लव, सैक्स और धोखा' और 'नो फादर इन कश्मीर' जैसी फिल्मों में ऐक्टिग कर चुके अंशुमन अब अपनी फिल्म 'हम भी अकेले तुम भी अकेले' ले कर आए हैं. फिल्म एलजीबीटी समुदाय को केंद्र में रख कर बनाई गई है.
बरोजगारी का गहराता संकट
देश में करोड़ों लोग इस समय बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं. कइयों की घर में भूखे मरने की नौबत आ गई है और कई गहरे अवसाद में जी रहे हैं. बढ़ती बेरोजगारी भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय है, यदि इस समय इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो अर्थव्यवस्था का वापस जल्दी पटरी पर आना बेहद मुश्किल होने वाला है.
इसराईल-फिलिस्तीन युद्ध धर्म के हाथों तबाह मध्यपूर्व एशिया
इसराईल और फिलिस्तीन का सारा झगड़ा धर्म, वर्चस्व, जमीन हथियाने आदि के इर्दगिर्द है. यहूदी और मुसलमान जिन के धर्म का मूल स्रोत एक ही है, बावजूद इस के दोनों एकदूसरे की जान के प्यासे हैं. दुनिया में धर्म ही हर फसाद की जड़ है. धर्मयुद्धों ने पूरे मध्यपूर्व एशिया को तबाह कर डाला है.
बढ़ती आत्महत्याएं गहराती चिंताएं
सरकार ने जनता को विध्वंस के कगार पर खड़ा कर दिया है. चारों ओर डर व दहशत का माहौल है.अर्थव्यवस्था चकनाचूर है. लोगों की नौकरियां छिन गई हैं. इस विध्वंस से जन्मी घनघोर निराशा व अवसाद के चलते आत्महत्या की घटनाएं तेजी से बढ़ने लगी हैं जो देश को गहराते अंधकार की तरफ धकेलती जा रही हैं.
वैधानिक चेतावनी तंबाकू का खतरा
तंबाकू के सेवन से होने वाली कुल मौतें, स्तन कैंसर, एड्स, सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली कुल मौतों से भी अधिक हैं. 69 तरह के कैंसर तंबाकू के सेवन से हो सकते हैं. आज कोरोना महामारी पर सभी चिंतित हैं लेकिन तंबाकू जैसी पुरानी महामारी से नजात पाना भी तो जरूरी है.
आधुनिक श्रवण कुमार
श्रवण कुमार केवल पहले ही नहीं, आज के समय में भी काफी पाए जाते हैं. यदि आप को विश्वास नहीं है तो गंगाधर के पास आ कर स्थानांतरण के इन आवेदनों को पढ़ लें. आंखों का जाला हट जाएगा, एक नहीं अनेक श्रवण कुमार मिलेंगे.
सैंट्रल विस्टा प्रोजैक्ट गलत प्राथमिकताओं का प्रतीक
अमेरिका, फ्रांस, इंग्लैंड, इटली, नीदरलैंड जैसे विकसित देशों की संसद पुरानी हो सकती है तो भारत जैसे विकासशील देश की संसद, जिसे 100 साल भी नहीं हुए, को एक नए भवन की जरूरत क्यों? क्या नया संसद भवन बनवाना मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हठधर्मिता का प्रतीक है या फिर यह किसी गहरे षड्यंत्र का हिस्सा है?
चलने की आदत बनाए सेहतमंद
भारत में स्वास्थ्य समस्याओं के पीछे अनेक कारण होते हैं लेकिन हमारा पैदल न चलना एक बड़ा कारण है. पैदल न चलने के चलते हमें कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. इस बारे में स्वास्थ्य संबंधी जानकार क्या कहते हैं, जानें.
अभिषेक ने हेमंत बन 'गुरु' की याद दिला दी
यह फिल्म शेयर बाजार में 1990 में हुए 5,000 करोड़ रुपए के स्कैम की सच्ची घटना पर बनी है. इस स्कैम में हर्षद मेहता जैसे चौल में रहने वाले मामूली इंसान ने शेयर बाजार में बुल रन शुरू किया और मार्केट को ऊंचाइयों तक ले गया.
12वीं पास भविष्य फेल
कोरोना संक्रमण से छात्रों की हिफाजत के मद्देनजर सीबीएसई सहित 7 राज्यों ने 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं रद्द कर दी हैं. मगर क्या यह सही और भविष्य के लिए उपयुक्त निर्णय है?
"शादी कर मैं अपने बेटे को किसी के साथ शेयर नहीं कर सकता" तुषार कपूर
अभिनेता तुषार की कोशिश अलगअलग किरदार निभाने की रही लेकिन उन की भूमिका को कौमेडी में अधिक पसंद किया गया. वे एक सिंगल फादर हैं और खुद को प्रोड्यूसर के तौर पर भी स्थापित कर रहे हैं. कैसी रही उन की यह जर्नी, आइए जानें उन्हीं से.
हिमयुग की दस्तक अटकलें या हकीकत
मानव अस्तित्व से भी हजारों वर्ष पहले धरती पर हिमयुग का लंबा दौर चला था जब दुनिया बर्फीली चादर से ढक गई थी. वैज्ञानिकों के अनुसार अब 'सोलर मिनिमम युग' का दौर है. ऐसे में एक बार फिर से हिमयुग के आने की अटकलें लगाई जा रही हैं.
कोरोना मृतकों के परिजनों को मुआवजा क्यों नहीं
लाखों लोग बेमौत मर रहे हैं. इस से उन के घरवालों को खानेपीने के लाले पड़ने लगे हैं. देश में करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं, वहीं, कामधंधे व उद्योग-व्यापार के पटरी पर लौटने के आसार नजर नहीं आ रहे. ऐसे में सवाल यह है कि कोरोना से मरने वालों के घरवालों को सरकार द्वारा मुआवजा देने का ऐलान क्यों नहीं?
सर्वे और ट्विटर पर खुल रही है पोल प्रधानमंत्री की हवाहवाई छवि
कल तक जो लोग नरेंद्र मोदी के बारे में सच सुनने से ही भड़क जाया करते थे वे आज खामोश रहने पर मजबूर हैं और खुद को दिमागी तौर पर सच स्वीकारने व उस का सामना करने को तैयार कर रहे हैं. लोगों में हो रहा यह बदलाव प्रधानमंत्री की हवाहवाई राजनीति का नतीजा है जिस में 'काम कम नाम ज्यादा' चमक रहा था और अब इस का हवाई गुब्बारा फूट रहा है.
ब्लैक फंगस रंग बदलती मौत
ब्लैक फंगस इन्फैक्शन या म्यूकरमाइकोसिस कोई रहस्यमय बीमारी नहीं है, लेकिन यह अभी तक दुर्लभ बीमारियों की श्रेणी में गिनी जाती थी. भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद के मुताबिक म्यूकरमाइकोसिस ऐसा दुर्लभ फंगस इन्फैक्शन है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. इस बीमारी से साइनस, दिमाग, आंख और फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है.
नताशा नरवाल- क्रूर, बेरहम और तानाशाह सरकार की शिकार
इस समय जितनी असंवेदनशील कोरोना महामारी है उतनी ही शासन व्यवस्था हो चली है. ऐसे समय में शासन द्वारा राजनीतिक कैदियों को अपने प्रियजनों से दूर करना, यातना देने से कम नहीं है. जबकि, कई तो सिर्फ और सिर्फ इसलिए बिना अपराध साबित हुए जेलों में हैं क्योंकि वे सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठा रहे थे.
पत्रकारिता के लिए खतरनाक भारत
वर्ल्ड प्रैस फ्रीडम इंडैक्स के अनुसार पत्रकारिता के मामले में भारत से बेहतर नेपाल और श्रीलंका जैसे पड़ोसी मुल्क हैं. भारत में सरकार निष्पक्ष पत्रकारों की आवाज दबाने के लिए उन पर राजद्रोह जैसे गंभीर मामले लगा कर उन्हें शांत करने का काम कर रही है.
धर्म और भ्रम में डूबा रामदेव का कोरोना इलाज
लड़ाई चिकित्सा पद्धतियों के साथसाथ पैसों और हिंदुत्व की भी है. बाबा रामदेव ने कोई निरर्थक विवाद खड़ा नहीं किया है, इस के पीछे पूरा भगवा गैंग है जिसे मरते लोगों की कोई परवा नहीं. एलोपैथी पर उंगली उठाने वाले इस बाबा की धूर्तता पर पेश है यह खास रिपोर्ट.
गर्भवती महिलाएं अपना और नवजात का जीवन बचाएं
कोविड संकट के दौर में गर्भवती महिलाओं को संक्रमण का अधिक जोखिम होता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि इस समय ऐसी महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, जिस से खतरा अधिक बना रहता है. ऐसे में गर्भवती महिलाएं कैसे खुद को सुरक्षित रख सकती हैं.आइए जानें?
इम्यूनिटी बढ़ाएं जीवन बचाएं
शरीर में इम्यूनिटी का होना वैसे तो हैल्थ के लिए हर समय जरूरी है लेकिन कोरोनाकाल में इस बात का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है कि इसे संतुलन में लगातार कैसे रखा जाए.
"भारत में हर चीज पौलिटिकल नजरिए से देवी जाती है" मनोज मौर्य
प्रतिभाशाली मनोज मौर्य लेखन, पेंटिंग, निर्देशन कुछ भी कह लो, हर काम में माहिर हैं. वे लघु फिल्मों के रचयिता के तौर पर भी जाने जाते हैं. उन की ख्याति विदेशों तक फैली है. बतौर निर्देशक, वे एक जरमन फिल्म बना कर अब फीचर फिल्म की तरफ मुड़े हैं.
अनाथ बच्चे गोद लेने में भी जातीयता
'2 साल की बेटी और 2 माह के बेटे के मातापिता कोविड के कारण नहीं रहे. इन बच्चों को अगर कोई गोद लेना चाहता है तो दिए गए मोबाइल नंबर पर संपर्क करें. ये ब्राह्मण बच्चे हैं. सभी ग्रुपों में इस पोस्ट को भेजें ताकि बच्चों को जल्दी से जल्दी मदद मिल सके.' ऐसे मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
स्वास्थ्य बीमा लिया क्या
आम कोरोना की दूसरी लहर ने तो आम, खासे खातेपीते लोगों की भी कमर तोड़ दी है. इलाज के खर्च का भार कम करने के लिए स्वास्थ्य बीमा एक बेहतर विकल्प है.
कोरोना का कहर- घरघर में मौतें हो रही हैं जबकि सरकार महल व मंदिर बनाने की जिद पर अड़ी है
अब हर घर कोरोना का शिकार है क्योंकि लाखों के अपने छिन गए हैं. जिस मुश्किल दौर में देश है, उस की कभी किसी ने कल्पना नहीं की थी, यह कोरोना का इलाज न मिलने की दहशत है. अफरातफरी और बुनियादी सहूलियतों का अभाव है, जिस ने सरकार की बेरहमी की कलई उधेड़ कर रख दी है. सत्ता का सुख भोगने के लिए सरकार चुनाव भी कराए जा रही है, संसद भवन बनाने में लगी है और मंदिर की ओर जा रही है.
पैसे नहीं तो धर्म नहीं
कोरोना ने एक झटके में धार्मिक मान्यताओं की धज्जियां उड़ा दी हैं. कोरोना ने समझा दिया है कि घरपरिवारों में होने वाले सुखदुख के किसी भी अवसर को धर्म के साथ जोड़ने या हजारोंलाखों रुपए खर्च कर के धर्म के ठेकेदारों के हाथों कुछ करवाने की जरूरत नहीं है. यह बात जितनी जल्दी आम आदमी की समझ में आ जाए, एक बेहतर समाज व बेहतर देश बनाने के लिए उतना अच्छा होगा.
भारतीय नारी और डेली सोप
क्या आप जानते हैं जिन सीरियलों को आप रोजाना टीवी पर देख रहे हैं वे कैसे महिलाओं के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं, कैसे हर समय महिलाओं के चालचलन, उठनेबैठने और चितचरित्र को पुरुषवादी एंगल से गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं? नहीं न, तो पढ़ें यह लेख.
नीरव मोदी- हीरा किंग से घोटालेबाज तक
नीरव मोदी कभी 'हीरा किंग' के नाम से मशहूर था, आज घोटालेबाज और भगोड़े के नाम से जाना जाता है. शानोशौकत और ऐशोआराम की जिंदगी गुजारने वाला नीरव आज लंदन की कालकोठरी के अंधेरे कोने में बैठा अपनी आजादी की भीख मांग रहा है और लंदन कोर्ट के हालिया फैसले के बाद अब उस के पास बच निकलने के मौके बहुत कम हैं.
राजनीति के केंद्र में अब 'ममता फैक्टर'
पश्चिम बंगाल में भाजपा को मिली करारी हार ने मानो विपक्ष को संजीवनी ला कर दे दी हो. इस चुनाव ने यह दिखा दिया कि यदि सही रणनीति, कौशलता, सूझबूझ व कड़ी मेहनत से चुनाव लड़ा जाए तो भाजपा के धनबल, दमखम, मीडिया और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण जैसी चालों को बुरी तरह मात दी जा सकती है. यही कारण है कि विपक्ष के पास अगले चुनावों में ममता फैक्टर ही सब से अधिक काम आने वाला है जिस की शुरुआत यूपी फतह से संभव है.
तलाक हर औरत का अधिकार
तलाक हर औरत का मौलिक अधिकार होना चाहिए. आखिर वह धर्म और समाज के इशारे पर गुलामी, हिंसा और प्रताड़ना क्यों झेले? उसे किन परिस्थितियों में और कब तक पति के साथ रहना है, यह उस का अपना फैसला होना चाहिए और यह केरल हाईकोर्ट के हालिया फैसले से भी साफ हो गया है.