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बापूजी के सत्संग-सद्भाव व आयुर्वेद के प्रभाव से हुआ वजन संतुलित
मेरे शरीर में सन् २०१२ में मेद (चरबी) अधिक हो गया था, वजन ७१ किलो था, आलस्य व अतिनिद्रा से भी मैं परेशान था। वजन घटाने के लिए मैंने एलोपैथिक दवाइयाँ शुरू कीं परंतु कोई लाभ नहीं हुआ, उलटे साइड इफेक्ट्स होने लगे तो दवाइयाँ वापस कर दीं।
आचार्य कौशिकजी के जन्मदिवस पर आयोजित धर्मसभा में संतों ने किया शंखनाद - पूज्य बापूजी निर्दोष हैं, उनकी शीघ्र रिहाई हो
गौ तीर्थ तुलसी तपोवन गौशाला, वृंदावन में २६ मार्च को आचार्य कौशिकजी महाराज ने अपने जन्मोत्सव को निमित्त बनाकर विशाल संत-सम्मेलन का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य था विश्वहितैषी, राष्ट्रोत्थानकर्ता कर्मयोगी संत पूज्य आशारामजी बापू की शीघ्र रिहाई हेतु संतों द्वारा एकजुट होकर समाज एवं सरकार तक अपनी आवाज पहुँचाना।
पुण्य-संचय व भगवत्प्रीति के लिए सर्वोत्तम मास
वैशाख मास: २३ अप्रैल से २३ मई
गर्मी या पित्त संबंधी समस्याओं का बेजोड़ उपाय : सफेद पैठा
सफेद पेठा (भूरा कुम्हड़ा) आयुर्वेद के अनुसार अत्यंत लाभदायी फल, सब्जी तथा अनेकों रोगों में उपयोगी औषधि है। इसका पका फल सर्व दोषों को हरनेवाला है।
... और मुगल साम्राज्य का अंत हो गया
जो दूसरों को परेशान करके राज्य करते हैं अथवा जो दूसरों को परेशान करके मजा लेते हैं उनके लिए कुदरत की क्या-क्या व्यवस्था है ! मुगल शासन था। दो राजकुमार दिल्ली से बाहर जंगल में आखेट (शिकार) करने गये।
कैसे नष्ट हो गया था वल्लभीपुर?
मैंने सुनी है एक कथा कि भावनगर के नजदीक वल्लभीपुर नाम का एक नगर था । एक संत कहीं से घूमते-घामते वहाँ पहुँचे। वहाँ एकांत में उन्होंने अपने ध्यान-भजन की जगह चुनी। उनका शिष्य भिक्षा लेकर आता था।
जब हनुमानजी पर छलक पड़े श्रीरामजी
२३ अप्रैल (चैत्र मास की पूर्णिमा) को श्री हनुमानजी का प्राकट्य दिवस है। हनुमानजी अद्भुत शक्ति, निष्ठा और भक्ति के प्रतीक हैं। यह दिवस न केवल भक्ति की महिमा को चिह्नित करता है बल्कि आध्यात्मिक जागृति और आत्मसाक्षात्कार के महत्त्वपूर्ण पहलुओं को भी सामने लाता है।
मोक्षप्राप्ति का साक्षात् साधन
जिस काल में, जिस देश में और जिस रूप में 'अहं - अहं' का स्फुरण हो रहा है यदि उसी काल, उसी देश और उसी रूप में वही 'अहं' तत्त्वतः परमात्मा न हो तो परमात्मा नाम की किसी वस्तु की सिद्धि, स्थिति या उपलब्धि नहीं हो सकती क्योंकि वह नश्वर, अपूर्ण तथा अप्राप्त होगी।
वास्तविक जीवन
रविदासजी को उनके पिता ने ७ जोड़ी जूते बनाकर दिये। २ रुपये जोड़ी बेचने थे। उन्होंने पिता को १४ रुपये के बदले १२ रुपये दिये।
अपने जन्म-कर्म को दिव्य कैसे बनायें?
२९ अप्रैल को पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का अवतरण दिवस है । आप सभीको इस दिन की खूब - खूब बधाई ! इस पावन पर्व पर जानते हैं जन्म-कर्म को दिव्य बनाने का रहस्य पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से:
संत अपमान से उजड़ा गाँव, जान-माल की हुई भारी तबाही
(पूज्य बापूजी के सत्संग से)
वे ही वास्तव में महान हो जाते हैं!
'मैं कुछ बनूँ...' या 'हम कुछ बनें' यह ईश्वर से अलग अपना अस्तित्व बनाने की, ईश्वर से अलग होकर अपनी कोई विशेषता प्रकट करने की जो कोशिश है यही व्यक्ति का व्यक्तिगत दोष है और समाज का सामाजिक दोष है | बहुत सूक्ष्म बात है।
देशद्रोहियों, आतंकवादियों को भी मानवाधिकारों के नाम पर सुविधा किंतु एक संत को जीवन-रक्षा हेतु नहीं कोई राहत!
जिन्होंने पूरी जिंदगी स्वदेशी को आगे बढ़ाया है उनको फोर्स किया जा रहा है कि तुम विदेशी इलाज कराओ!
गुरुदेव के स्वास्थ्य हेतु किये जप-अनुष्ठान का जादुई प्रभाव!
२०१२ में मुझे आँतों में सूजन हुई, जिसके लिए मैंने आयुर्वेदिक दवाइयाँ शुरू कीं। हालाँकि उनसे पूरा लाभ तो नहीं हो रहा था फिर भी मैंने सेवन चालू रखा।
मेडिकल ग्राउंड व मानवता के आधार पर आशारामजी बापू को बेल मिलनी ही चाहिए
...यहाँ तक कि अगर सुप्रीम कोर्ट में किसीकी अपील खारिज हो जाय तो भी उसको भी अपने अनुकूल ट्रीटमेंट का अधिकार है। आशाराम बापू की तो हाईकोर्ट में अपील भी पेंडिंग है। ऐसे में अगर उन्हें उनका अधिकार नहीं मिलता तो उनके साथ अन्याय होगा।
रामराज्य लाना है तो पहले बापूजी को रिहा करो!
व्यासपीठ सच नहीं बोलेगी तो कौन सच बोलेगा? जिस राष्ट्र में कवि और वक्ता ये दो चुप हो जाते हैं न, उस राष्ट्र का पतन हो जाता है।
हनुमानजी का स्वभाव अपने जीवन में ले आओ!
मंगलमय संदेश - श्री हनुमानजी के प्राकट्य दिवस पर विशेष
श्रीरामजी, दशरथजी और कौसल्याजी का तात्त्विक अर्थ
मंगलमय संदेश - श्रीराम नवमी पर विशेष
शाहों के शाह साँईं लीलाशाह!
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के प्राकट्य दिवस पर विशेष
बालक पुरुषोत्तम का भगवत्प्रेम
गंगा-तट पर स्थित देवपुरी नामक गाँव में पुरुषोत्तमदासजी महाराज नाम के एक बहुत उच्च कोटि के संत हो गये। उनका जन्म एक साधारण कुटुम्ब में हुआ था। ३-४ साल की उम्र में उनके पिता चल बसे और ६ साल की उम्र में माता भी चल बसीं। बड़ी बहन ने उनको पाला-पोसा। बहन भगवान की भक्त थी। वह सत्संग में जाती थी तब छोटे पुरुषोत्तम को भी साथ में ले जाती थी।
भागकर कहाँ जाओगे?
एक राजा ने रात में सपना देखा कि एक काली छाया आयी है और कह रही है : \"हे राजन् ! कल शाम को सूरज ढलने से पहले ठीक जगह पर पहुँच जाना।’’
बुद्धि शुद्ध हो तो घसियारिन का उपदेश भी लग जाता है
संत कबीरजी कहते हैं :
महँगा सौदा
एक किसान जा रहा था अपने खेत की रखवाली करने के लिए। रास्ते में उसे एक गठरी मिली।
जीवन के ओज की रक्षा कैसे करें?
जो विकारों के प्रभाव में आकर आकर्षित हो जाता है उसका सेवा में मन नहीं लगेगा, वह सेवा से च्युत हो जायेगा, भ्रष्ट हो जायेगा; ज्ञान से, संयम से, तप से भी भ्रष्ट हो जायेगा। जब तक पूर्णता को नहीं पाया तब तक स्त्री पुरुष की तरफ देखकर प्रभावित होती है और पुरुष स्त्री की तरफ देख के प्रभावित होता है, उनके हृदय में क्षोभ पैदा होता है... और यह है प्रकृति का, कई जन्मों का संस्कार। मनुष्य-जन्म में पुरुषार्थ करके उसे हटाना है।
द्वन्द्रों से मुक्ति और अद्वैत की प्राप्ति
मन का निग्रह कैसे किया जाय इस बारे में बताते हुए भगवान श्रीकृष्ण उद्धवजी से कहते हैं: \"मन ही सुख-दुःख का कारण है और संसार भी मनःकल्पित है। जिसे संसार का दुःख नष्ट करना हो उसे अवश्य ही मन पर काबू पाना चाहिए क्योंकि मन के सिवाय दुःख देनेवाला त्रिभुवन में दूसरा कोई नहीं। मन अत्यंत चंचल है, वह सहसा स्थिर नहीं रहता। इसलिए जिससे भेदभाव दूर हो सके ऐसा विचार करने का अवसर उसे दिन-रात देना चाहिए।
आनंदस्वरूप के ज्ञान-माधुर्य को जगाने का उत्सव
होली पर्व : २४ व २५ मार्च
आत्मशिव को कैसे पायें?
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: न मां दुष्कृतिनो मूढाः प्रपद्यन्ते नराधमाः ।...
ब्रह्महत्या जैसे पापों व पिशाच योनि से मुक्तिदाता व्रत
जया एकादशी पर विशेष
मुझे बहुत दुःख है कि बापूजी जैसे के उच्च कोटि के महापुरुष अब भी जेल में हैं
पद्मश्री विभूषित १२७ वर्षीय योगगुरु पधारे मोटेरा आश्रम, कहा:
शीत ऋतु में विशेष सेवनीय स्वास्थ्यप्रद व बलवर्धक तिल
आयुर्वेद के अनुसार तिल स्निग्ध, मधुर, उष्ण, पचने में भारी व वायुशामक हैं तथा कफ व पित्त प्रकुपित करनेवाले हैं। ये बल, बुद्धि एवं जठराग्नि को बढ़ानेवाले, त्वचा एवं बालों के लिए हितकर तथा वर्ण को निखारनेवाले हैं। प्रमेह (मूत्र-संबंधी विकार) में ये एक उत्कृष्ट औषधि हैं।