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अन्नदाता होने का अर्थ संविधान से सर्वोपरि कतई नहीं है
निश्चित अन्नदाता धरती का पालनहार है। किसान के पसीने से उपजी फसल ही धरती के जीवन के लिये आहार प्रदान करती है। इसलिये बेदों से लेकर आधुनिक समाज में उसे धरतीपुत्र सहित अनेकों सम्मान जनक शब्दों से संबोधित किया जाता है। बावजूद इसके आजादी के बाद से ही भारत में कृषि का पेशा अभावों से भरा रहा है।
हरे चारे का संरक्षण कैसे करें?
साल के कुछ महीनों में उपयुक्त जलवायु के अनुसार हरा चारा काफी मात्रा में उपलब्ध रहता है। परन्तु कुछ महीनों, विशेषकर नवम्बर-दिसम्बर तथा अप्रैल-जून के महीनों, में हरे चारे की किल्लत रहती है। अत: यदि अधिकता वाले मौसम में हरे चारे का संरक्षण कर लिया जाये तो कमी वाले समय में भी पशुओं को हरा-चारा उपलब्ध हो सकता है और दूध उत्पादन का स्तर बना रह सकता है। हरे चारे का संरक्षण दो विधियों से किया जा सकता है।
कैसे बने प्रमाणित बीज उत्पादक
बीज खेती किसानों का प्राण है और प्राण दिल कमजोर होने पर शरीर निश्तेज हो जाता है। अतः बीज उत्तम ही नहीं सर्वोत्तम होना चाहिए। सर्वप्रथम नेशनल सीड्स कारपोरेशन की 13.03.1963 में स्थापना हुई तथा केन्द्रीय स्तर पर बीज उत्पादन, बीज प्रमाणीकरण तथा बीज विपणन का कार्य प्रारम्भ हुआ।
डेयरी पशुओं का चुनाव
पशुपालकों का एक सवाल होता है कि वह डेयरी फार्म के लिए गाय रखें या भैंस ताकि वह साल भर दूध उत्पादन कर सके तथा दूध की गुणवत्ता भी बनी रहे व उसे दूध का अच्छा मूल्य भी मिल सके। इसके लिए जरूरी है कि हम दोनों प्रकार के पशुओं के गुणों को जानें।
धान की सीधी बुवाई-गुण और दोष
उल्लेखनीय है कि कोविड़-19 की वजह से किसानों को प्रवासी मजदूरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। परिणामस्वरूप पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में अब पारम्परिक रोपाई के स्थान पर 'डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस तकनीक को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
भारत में बीज उत्पादन का परिदृश्य
भारतीय बीज उद्योग विश्व का 5वाँ बड़ा बीज बाजार है जिसका मूल्य लगभग रू. 2,500 करोड़ (500 मिलियन डॉलर) है और इसमें लगभग 150 संगठित बीज कंपनी हैं। वैश्विक वाणिज्यिक बीज बाजार से वर्ष 2020 में 62.90 बिलियन अमेरिकी डालर का राजस्व प्राप्त तथा वर्ष 2026 तक 100.36 बिलियन अमेरिकी डालर तक पहुंचने का अनुमान है। पूर्वानुमानित अवधि (वर्ष 20212026) के दौरान वैश्विक बीज बाजार की 8.10 प्रतिशत की सी.ए.जी.आर. से बढ़ने की उम्मीद है।
उत्तम पैदावार के लिए करें गुणवत्तायुक्त बीज का चयन
आधुनिक कृषि में बढ़िया बीज का स्थान सर्वोपरि है। अन्य लागत चाहे कितनी ही उत्कृष्ट क्यों न हों, यदि बीज में जरा भी दोष होगा तो किसान भाइयों को समूचा प्रयत्न एवं व्यय व्यर्थ हो जाता है। उन्नत बीज से आशय उन बीजों से है जो आनुवंशिक रूप से शुद्ध होने के अतिरिक्त ओज एवं आवश्यक अंकुरण क्षमता से युक्त हों तथा उनमें खरपतवार एवं अन्य फसलों के बीज बिल्कुल भी न हो।
कृषि में मृदा उर्वरता प्रबंधन
कृषि रसायनों के प्रयोग के लिए कृषि वैज्ञानिकों, विषय वस्तु विशेषज्ञों व कृषि प्रसार कर्मियों की सलाह लेने के बाद ही करना चाहिए। कृषि रसायनों के प्रयोग को कम करने के लिए समन्वित कीट प्रबंधन व समन्वित रोग प्रबंधन को अपनाना चाहिए। इस प्रकार का प्रबंधन मृदा उर्वरता को बनाए रखने में सहायक होता है।
तीन दशक के शोध के बाद भारत में उगेगा रंगीन कपास
अगर आप ये सोचते हैं कि प्राकृतिक कपास केवल सफेद रंग का होता है, तो ये खबर आपको आश्चर्य में डाल सकती है। भारत रंगीन कपास की व्यावसायिक खेती के लिए इसके बीजों की प्रजाति जारी करने से कुछ ही महीने दूर है। शोधकर्ता 16301डीबी और डीडीसीसी1 का फार्म ट्रायल कर रहे हैं। इन प्रजातियों से भूरे रंग के कपास का उत्पादन होगा।
बदलते मौसम के मद्देनजर कृषि पर प्रभाव
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।
बेल वाली सब्जियों में कीट नियन्त्रण
प्रभावित पौधों पर फल भी कम व बहुत छोटे होते हैं। इसका प्रकोप आमतौर पर खुश्क मौसम में जब धूल भरी हवाएं चलती हैं तब ज्यादा होता है।
महुआ की बागवानी
महुआ को वानस्पतिक रूप से बेसिया/मधुका लेटीफोलिया के नाम से जाना जाता है तथा इसकी उत्पत्ति भारत में हुई है। इसके फूल का महत्व एवं औषधयी गुणों का वर्णन हमारे प्राचीन साहित्व एवं आयुर्वेद में व्यापक रूप से मिलता है।
नये कृषि कानूनों की संवैधानिकता
केन्द्रीय सरकार ने कृषि से संबंधित तीन आर्डीनस राष्ट्रपति से जारी करवा दिये। बाद में इनकी जगह तीन नये कानून बना दिये। इन कानूनों का विरोध विश्व में सबसे बड़े आंदोलन का रुप धारण कर गया है। केन्द्रीय सरकार की ओर से इन कानूनों को बड़े कृषि सुधारों की ओर से प्रचार किया जा रहा है। सरकार का पक्ष है कि इन कानूनों के फलस्वरुप कृषि में बहुत प्रगति होगी और किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी।
जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक गंभीर समस्या
जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक गंभीर समस्या
अमरूद के रोग एवं उनकी रोकथाम
अमरूद के फल में विशेष रूप से विटामिन ए और सी पाया जाता है। यह फल पोटाशियम, मैग्नीशियम व अन्य आवश्यक पोषक तत्वों से अभिग्रहित है अथवा यह फल शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। यह फल फसल बहुत कम देखभाल से भी आसानी से लग जाता है। परन्तु अमरूद में होने वाली बीमारियां इसे बहुत प्रभावित करती हैं व इसकी उपज को भी कम करती हैं।
मेथी में पौध संरक्षण
बीजीय मसालों में मेथी का एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी हरी व सूखी पत्तियां सब्जी बनाने के लिए प्रयोग की जाती है। इसके बीज सब्जी व आचार में मसाले के रूप में प्रयोग किये जाते हैं।
प्रमाणित बीज कृषक आय दोगुनी करने की नई विद्या
भारतीय अर्थ व्यवस्था खेती पर निर्भर है और खेती किसान पर। किसान तपतपाती गर्मी तथा हाडतोड़ सर्दी में अपनी तथा अपने परिवार की परवाह न करते हुए देश की 135 कोटी जनता को अन्न, रोटी, कपड़ा, तेल तथा अन्य खाद्य सामग्री जुटाता है परंतु दूसरों का जीवन सुधारने में उसका जीवन स्तर दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है।
प्याज व लहसुन में कीट और रोग प्रबंधन
प्याज व लहसुन कंद समूह की मुख्य रूप से दो ऐसी फसलें हैं जिनका सब्जियों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान है।
भारत के दुधारू पशुओं को शिकार बना रही है एक घातक महामारी
इसका देश पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा, जहां अधिकांश डेयरी किसान या तो भूमिहीन हैं या सीमांत भूमिधारक हैं और उनके लिए दूध सबसे सस्ते प्रोटीन स्रोत में से एक है।
किसान आंदोलन गांधीवादी सत्याग्रह की अद्भुत मिसाल
गणतंत्र-दिवस, गनतंत्रदिवस में भी बदल सकता है। किसानों ने अभी तक गांधीवादी सत्याग्रह की अद्भुत मिसाल पेश की है और अब भी वे अपनी नाराजगी को काबू में रखेंगे लेकिन सरकार से भी अविलंब पहल की अपेक्षा है।
कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का गठन हो
सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था अगले आदेश तक जारी रहेगी। जय जवान जय किसान' को साकार रूप देने वाले लाल बहादुर शास्त्री ने 55 वर्ष पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य की शुरूआत की थी। इन कानूनों में एम.एस.पी. का कोई जिक्र नहीं होने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश में इसे लागू करने का आदेश देकर जजों ने बर्र के छत्ते को छेड़ा है।
कितना झेल पाएगी दिल्ली ?
नागरिक अधिकारों की रक्षा का सजग प्रहरी सर्वोच्च न्यायालय इतने दिनों से मौन क्यों है? शाहीनबाग वाले घेराव पर देर-सवेर न्यायिक निर्देश दिया था कि नागरिक के आवाजाही के मूलाधिकार को अक्षुण्ण रखा जाए। इस बार? इतना तो स्पष्ट है कि राष्ट्रीय राजधानी को पंगु बनाने की साजिश भारतप्रेमियों द्वारा नहीं हो सकती।
किसान आंदोलन अंग्रेजों से सबक सीखे सरकार
बीसवीं सदी के शुरू होने पर पंजाब और अन्य देशों की किसानी की स्थिति बुरी थी। किसान ऋण के नीचे दबे हुए थे। उनका जीवन पीढ़ी दर पीढ़ी ब्याज मोड़ते ही गुजर जाता था। लोगों के अन्नदाते को आप बहुत बार भूखे पेट ही सोना पड़ता था।
कृषि क्षेत्र में विज्ञान का योगदान
भारत के विकास और आर्थिक उत्थान के लिए किसी भी योजना का सबसे महत्वपूर्ण कारक एक भूखे, असंतुष्ट लोगों को एक खुशहाल, सुव्यवस्थित व्यक्ति में बदलना है। भोजन या तो आयात द्वारा या घर पर उत्पादन द्वारा हो सकता है।
किसानी मसलों का शाश्वत समाधान कैसे हो?
आज के भारतीय किसान संघर्ष ने दुनिया के इतिहास में विलक्षण तारीख लिख दी है। सरकार जितनी जोर के साथ इस संघर्ष को कुचलने का प्रयत्न कर रही है, इस संघर्ष की पकड़ उससे भी ज्यादा मजबूत होती जा रही है।
किसान आंदोलन निर्णय की प्रतीक्षा में...
भारत सरकार ने इस वर्ष किसानों के नाम पर तीन कानून लागू किये हैं। पहला किसान सुशक्तिकरण और संरक्षण कीमत असवाशन और खेती सेवा समझौता कानून, दूसरा किसान उत्पादन व्यापार और व्यापार प्रोत्साहन और सुविधा कानून और तीसरा जरूरी वस्तु (संशोधन) अध्यादेश ।
गोभी वर्गीय फसलों में घातक काला सड़न (ब्लैक रोट) रोग व रोकथाम
पौधों की पत्तियों पर अंग्रेजी के अक्षर वी के आकार के हरितहीन, मुरझाए हुए धब्बे बनने शुरू होते हैं, जो बाद में पूरी पत्ती पर फैल जाते हैं। इस तरह से पत्ती एक और के किनारे से सूखना और मुड़ना आरंभ कर देती है और बाद में सूखकर मर जाती है। पत्तियों की नसें अंदर से काली पड़ जाती हैं। पौधों के तनों के अंदर भी काले रंग का द्रव्य दिखाई पड़ता है जो कि संक्रमण का कारण बनता है।
आखिर क्यों है खेती कानूनों को लेकर किसानों का विरोध?
इन दिनों में किसान खेती कानूनों के विरूद्ध लड़ाई लड़ रहा है, जो उसके अस्तित्व के लिए खतरा बन रहे हैं और जिन्होंने उसको शारीरिक, आर्थिक और भावनात्मिक तौर पर प्रभावित किया है।
पशुपालक की जागरूकता समय की आवश्यकता
पशुपालक गलती करके पीड़ित पशु के मुंह में हाथ डाल बैठते हैं, जिससे वो रेबीज से पीड़ित हो जाते हैं। कुछ पशुओं में पशु धरती पर पांव मार मार के गिरने लगते हैं तथा बेकाबू हो जाते हैं। कुछ पशुओं में अधरंग हो जाता है तथा पशु की मौत भी हो जाती है।
डेयरी पशुओं को खरीदते समय प्रजनन जांच जरूरी क्यों?
कई बार तो ऐसी स्थिति हो जाती है कि पशुपालक मंडी में से पशु को गाभिन समझ कर खरीद कर ले आते हैं, घर में नए आए पशु के पोषण का उचित ध्यान भी रखा जाता है, प्रबंधन में कोई कमी नहीं रखी जाती, पर पशु ब्याहता नहीं है।