"मुझे अपना वादा याद है बेटा. अगले हफ्ते मेरी दो दिन की छुट्टी है. हम जरूर कहीं घूमने चलेंगे."
"पापा, मुझे घूमने नहीं बल्कि नदी किनारे पिकनिक मनानी है. हम वहीं चलेंगे और कुछ घंटे बिता कर वापस आ जाएंगे."
"क्या तुम अपने दोस्तों को भी बुलाना चाहते हो ?” पापा ने पूछा.
"हां पापा, आप मयंक और ऋषि के पापा से बात कर लीजिए. वे भी पिकनिक के लिए तैयार हो जाएंगे."
"तुम ने ठीक कहा. तीन परिवार पिकनिक पर चलेंगे तो वहां रौनक रहेगी और कोई खतरा भी नहीं रहेगा. तुम्हें भी वहां खेलने के लिए साथी मिल जाएंगे"
"पापा, आप को भी तो गपशप और मौज करने के लिए दोस्त मिलेंगे."
पापा ने तुरंत मयंक और ऋषि के पापा से बात की. तो वे पिकनिक पर जाने के लिए तैयार हो गए. कुल मिला कर एक दर्जन लोग पिकनिक पर जाने के लिए तैयार हो गए. उन्होंने पिकनिक के लिए शहर की भीड़भाड़ से दूर कोई एकांत जगह चुन ली थी. वहीं पर उन्होंने खाना बनाने का प्रोग्राम बना लिया था.
दिनभर मौजमस्ती करने के लिए पीयूष, ऋषि और मयंक ने भी पिकनिक की सारी तैयारी कर ली तथा अपने साथ खेलने की कई सारी चीजें रख दीं ? पिकनिक के दिन वे अपने साथ ढेर सारा खाने का सामान ले कर निकल पड़े. नदी किनारे रेत में आ कर उन सब को बहुत अच्छा लग रहा था. एक तरफ नदी थी और दूसरी तरफ जंगल. बीच में पसरी हुई रेत थी. पिकनिक पर आ कर उन्होंने सब से पहले कालीन बिछा कर उस पर अपना सामान रख दिया.
यहां जंगली जानवरों का भी खतरा था, लेकिन वे 12 वे लोग थे. इतने लोगों को देख कर किसी भी जानवर की उन की तरफ आने की हिम्मत नहीं थी. अपनी सुरक्षा के लिए उन्होंने डंडे भी साथ रखे थे. रेत में छतरी लगा और कालीन बिछा कर वे वहां आराम करने लगे.
देवेश बोले, “चलो, खाने की तैयारी करते हैं."
उन्होंने कुछ दूरी पर पत्थर इकट्ठे किए और पास से लकड़ियां बीन कर चूल्हा जला दिया. रेखा, भावना और मीरा खाना बनाने की तैयारी में लग गईं. देवेश और आशुतोष उन की मदद कर रहे थे. अमर बच्चों के साथ रेत में खेलने लगे. सब को नदी किनारे ठंडी हवा में बहुत अच्छा लग रहा था. नदी में जलीय जीवों की भरमार थी. पेड़ों पर बैठे पक्षी मौका पाकर उन पर झपट्टा मार उन्हें अपना भोजन बना रहे थे. बहुत सारे बाज और चील वहां मंडरा रहे थे.
هذه القصة مأخوذة من طبعة September First 2023 من Champak - Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة September First 2023 من Champak - Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.