क्या ऐसा इसलिए हुआ था कि डौट बहुत डरपोक था और उसे पूरी शक्ति से बचाना चाहती थी? शुरू में जब वह डौट से मिली तो वह कांप रहा था. अभी हाल में एक सप्ताह पहले उस के पापा की कार लगभग उस के ऊपर चढ़ गई थी. पापा और दीया पालतू जानवरों की एक दुकान से दीया के जन्मदिन पर एक कुत्ता खरीदने कार से जा रहे थे. दीया को इंतजार करना मुश्किल हो रहा था. पापा उस के लिए एक शिहत्जु पिल्ला खरीद रहे थे. जब से उस की दोस्त परी ने एक शिहत्जु कुत्ता खरीदा था, दीया भी एक शिहत्जु कुत्ता खरीदना चाहती थी.
“शिहत्जु कुत्ते बहुत छोटे और प्यारे छोते हैं. वे बहुत कोमल होते हैं और इंडीज की तरह भौंकते नहीं रहते हैं. उसे तैयार करना, अपने दोस्तों को दिखाना मजेदार होगा. मैं उस का नाम प्रिंस रखूंगी, क्योंकि वह हमारे घर में राजकुमार की तरह रहेगा," वह खुशी से बोली. उन की कार कुत्तों के घर की ओर तेजी से बढ़ रही थी, जहां कुत्तों की ब्रिकी हो रही थी.
दीवाली के बाद नवंबर की हवा में धुआं था. सड़कों से गुजर रहे एक जुलूस ने एक भूरे और सफेद रंग के पिल्ले को डरा दिया था. वह डर के मारे इधरउधर भागने लगा और इस क्रम में वह उन की कार के सामने कूद गया.
अगर पापा समय पर ब्रेक नहीं लगाया होता तो छोटा पिल्ला घायल हो सकता था. डर से कांपते हुए उस ने एक दर्दनाक चीख मारी और रेंगते हुए पास के नाले में जा गिरा. वह वहीं पड़ा रहा, लेकिन वह चिल्ला भी रहा था. लोग रुक गए और पापा और दीया को उस के लिए दोषी मान कर उन्हें घूरने लगे. हम कार से जल्दी से नीचे उतरे और देखा कि कहीं पिल्ला घायल तो नहीं हो गया.
पापा जानवरों के साथ अच्छा व्यवहार करते थे. वे में कूद पड़े और छोटे पिल्ले को उठा लिया, लेकिन उस ने ऊंची आवाज में कान फाड़ने वाली चीखें निकालनी शुरू कर दीं.
जैसे जैसे वहां भीड़ बढ़ने लगी पापा की सांस अटकने लगी. लोग गुस्सा भरी नजरों से हमें घूरने लगे थे. "मैं पिपल्स फौर एनिमल्स हैल्पलाइन पर कौल करने जा रहा हूं,” दीया ने किसी को कहते हुए सुना. पापा जल्दी से नाले से बाहर निकल आए. "पिछला दरवाजा खोलो, दीया," उन्होंने तुरंत फैसला करते हुए कहा.
छोटे से धब्बेदार कुत्ते को पीछे की सीट पर बिठाया गया. दीया ने तेजी से आगे बढ़ कर देखा, उसे कोई चोट नहीं लगी थी वह बस डर गया था.
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.