पहला आम चुनाव हुआ तो कई शेर, बंदर, भालू, सियार और लोमड़ प्रत्याशी बने तथा वन के विकास की भावना से प्रचार करने लगे. अपने इलाके से गज्जू हाथी भी चुनाव में खड़ा हुआ और भारी मतों से जीत भी गया. उस की जीत का खूब जश्न मनाया गया.
गज्जू को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ था. उस की जीत का समाचार सुन कर पास के गांव से डंपी गधा भी बधाई देने वन की ओर चल पड़ा. दरअसल, उस की गज्जू से अच्छी जानपहचान और दोस्ती थी. यह मित्रता तब हुई थी, जब गज्जू पानी की तलाश में गांव गया था. उसे तालाब तक डंपी ने ही पहुंचाया था. भरपेट पानी पी कर गज्जू ने उसे दिल से धन्यवाद दिया था और उस का उपकार याद रखे हुए था. दोनों कभीकभी मिलते रहते थे.
"बधाई हो, गजराज, मेरे दोस्त,” डंपी ने खुश होते हुए, गज्जू के गले में फूलों की माला पहना दी. गज्जू ने उसे गले लगा लिया. बड़े सम्मान से उस का वहां मौजूद हाथियों और अन्य जानवरों के बीच परिचय करवाया और उन का मुंह मीठा किया.
इस के बाद बातचीत का दौर चलने लगा. उस दौरान गज्जू ने डंपी से कहा, "मित्र, मैं सांसद तो बन गया, मंत्री भी बन सकता हूं, लेकिन मुझे अनुभव नहीं है. क्या तुम मुझे सलाह दे सकते हो?”
"कैसी सलाह? मैं तो गधा हूं, लेकिन एक कहानी सुनाता हूं. हो सकता है कि वह तुम्हारे काम आ जाए,” डंपी बोला.
“सुनाओ, भाई, माइक पर बोलो, ताकि कहानी का आनंद सभी लें,” गज्जू ने खुश हो कर कहा.
डंपी माइक के सामने खड़ा हुआ और बोला, “मैं जो कहानी सुनाने जा रहा हूं, उसे मैं ने अपने दादा से सुना था. जब मैं गांव का मुखिया बना, तब वह कहानी मेरे बहुत काम आई.
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.