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योगकारक ग्रहों की अन्तर्दशाओं एवं राह-केतु की दशा के फल
उडुदायप्रदीप के दशाफध्याय में महादशा-अन्तर्दशा के शुभाशुभ फलों के सिद्धान्तों का वर्णन किया जा रहा है। दशाध्याय के श्लोक 1 और 2 में कहा गया है कि सभी ग्रह अपनी महादशा के अन्तर्गत अपनी ही दशा में मनुष्यों को आत्मभावानुरूपी शुभाशुभ फल नहीं देते और जो अपने सम्बन्धी अथवा जो अपने सधर्मी हैं, उनकी अन्तर्दशा में अपनी दशा का फल देते हैं।
मनोकामना पूर्तिकारक रुद्राभिषेक
भगवान् शिव सभी मनोरथों को पूर्ण करने म वाले, पापों का क्षय करने वाले और पुरुषार्थ चतुष्ट्य की सिद्धि प्रदान करने वाले हैं। भगवान् शिव को जलाभिषेक अत्यधिक प्रिय है। यही कारण है कि दिन एवं रात्रि दोनों समय में उन्हें जल चढ़ाया जा सकता है।
मंथ प्लानर
मंथ प्लानर
भक्तचरित माहात्म्य और भक्तमाल
भक्त भक्ति भगवंत गुरु चतुर नाम बपु एक। इनके पद बंदन किएँ नासत बिघ्न अनेक।।
बासन्तीय नवरात्र प्रारम्भ एवं घटस्थापना मुहूर्त
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर व बासन्तीय नवरात्र प्रारम्भ होते हैं। इसी दिन घट-स्थापन किया जाता है। इसमें सूर्योदय व्यापिनी प्रतिपदा ली जाती है।
बगदादी के घर का वास्तु-विश्लेषण ! (हत्या-आत्महत्या और वास्तुदोष)
जिस घर में हत्या या आत्महत्या होगी, उस घर में दो या दो से अधिक वास्तुदोष अवश्य होंगे ।एक नैर्ऋत्यकोण में होता है जैसे; नैर्ऋत्य कोण में भूमिगत पानी की टंकी, कुँआ, बोरवेल या किसी भी प्रकार से फर्श नीचा हो या दक्षिण या पश्चिम नैर्ऋत्य कोण बढ़ जाए ।
पुरुषायुष्य (मनुष्य की आयु)
हमारे साहित्य में उल्लिखित है कि 'नरत्वं दुर्लभं लोके' अर्थात् इस जीव लोक में मनुष्य जन्म मिलना बडे सौभाग्य का प्रतिफल है। तुलसी ने भी कहा है ‘बड़े जतन मनुष्य तन पाया।' मनुष्य योनि के अतिरिक्त सभी योनि भोग योनि हैं। भोग योनि में पूर्वजन्म का वर्तमान जन्म के कर्मों का भोग भोगना पड़ता है।
नौकरी से सम्बन्धित शाबरमन्त्र
आधुनिक समय में प्रथमतः नौकरी प्राप्त करना उसे कठिन है, वहीं उसे सफलतापूर्वक करते रहना उससे भी अधिक कठिन है। अपेक्षित उन्नति या लाभ की प्राप्ति न होने से निराशा होती है, वहीं नित नए संकट एवं समस्याएँ आने से भी तनाव उत्पन्न होता है।
कैसे करें मंगलदोष का शमन?
ज्योतिष का यह सुस्थापित सिद्धान्त है कि किसी भी ग्रह की शान्ति के लिए उसके मन्त्र का जप, स्तोत्र कवच आदि का पाठ, यन्त्र पूजन एवं धारण, सम्बन्धित वस्तुओं का दान, सम्बन्धित वार का व्रत इत्यादि किए जाने चाहिए ।
कैसे करें मंगलदोष का मिलान?
ग्रह-मेलापन के अन्तर्गत मंगलीदोष का न मिलान सतर्कता के साथ करना चाहिए। वर और वधू की कुण्डलियों में मंगलदोष से सम्बन्धित निम्नलिखित तीन स्थितियाँ सम्भव हैं :
आसमान से ऊँचा कद, गिरकर जमीन पर कैसे टूट गया?
बादल जितनी जल्दी विदशी युवतियों के सहारे करोड़पति बना, तो वहीं एक विदेशी युवती की वजह से रोडपति बन गया। आसमान से नीचे जमीन पर आ पड़ा।
कितनी कामयाब रहेगी केजरीवाल की तीसरी पारी?
कितनी कामयाब रहेगी केजरीवाल की तीसरी पारी?
आखिर कब तक और क्यों जीवित रहता?
प्रवेश का जन्म एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार में हुआ। 18 वर्ष की आयु में ही प्रवेश ने अपनी खूबी प्लांट लगाकर, खूबी उगाने का काम शुरू कर दिया था। खूबी की खेती प्रवेश को फबी भी खूब। सदा खूबी की खेती में लाभ रहा।
कौन है 'मंगली' ?
ग्रहमेलापन प्रक्रिया के अन्तर्गत मंगलदोष के आधार पर मेलापन का प्रचलन सर्वाधिक है। मंगलदोष को 'कुजदोष', 'भौमदोष' आदि नामों से भी जाना जाता है। दक्षिण भारत में इसे 'कलत्रदोष' के नाम से भी जाना जाता है। बोलचाल की भाषा में इसे 'मंगलीदोष', 'मंगलीक दोष', 'मांगलिक दोष' आदि नामों से भी जानते हैं।
क्या है शनि ढैया और क्यों शनि ढैया में विशेष हो जाते हैं?
'ढैया' का मतलब होता है ढाई वर्ष। वैसे तो शनिदेव प्रत्येक राशि में ही ढाई वर्ष रहते हैं, परन्तु ढैया का विचार और कहीं से नहीं होता है, फिर चतुर्थ और अष्टम से ही क्यों?
क्या होता है मंगलदोष से?
क्या होता है मंगलदोष से?
जन्मपत्री से कैसे जानें कब संतान सुख मिलेगा?
भविष्य में होने वाली घटनाओं को जानने की जिज्ञासा सभी की होती है। कौन-सी घटना कब घटेगी? यदि इसका सही समय पता लग जाए, तो समय चक्र की गति से व्यक्ति का तादात्म्य बन जाए।
जल-देवता वरुण के अवतार झूलेलाल
झूलेलाल को वेदों में वर्णित जल-देवता वरुण का अवतार माना जाता है। वरुणदेव को सागर के देवता, सत्य के रक्षक और दिव्य दृष्टि वाले देवता के रूप में सिंधी समाज भी पूजता है।
हंसयोग और गोचर में धनु का बृहस्पति
हंस नामक पंचमहापुरुष योग द्विस्वभाव एवं चर राशि की लग्मों में निर्मित होता है। यदि इन लग्मों में गुरु केन्द्र में स्व या उच्चराशि का हो, तब हंस नामक योग का निर्माण होता हे। यह योग अत्यथिक शुभफलदायक है।
स्वतन्त्रता सेनानी- सुभाषचन्द्र बोस
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस , जिनकी न जीवनी आत्म उत्सर्ग की एक ऐसी कहानी है जो निर्जीव एवं हतोत्साहित व्यक्तियों के हृदयों में भी स्फूर्ति , आशा और प्राणों का संचार कर सकती है । देश की स्वाधीनता के संग्राम में अपने जीवन को समग्र न्यौछावर कर दिया ।
सोशल मीडिया पर उपदेश कुशल बहुतेरे
आज के समय में सोशल मीडिया हम सभी के जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है । आज के समय में इसे अभिव्यक्ति का एक नया और कारगर माध्यम कहा जा सकता है ।
सूर्य ,संस्कृति और संक्राति
सम्पूर्ण संसार को अपने प्रचंड तेज एवं आलोक से परिपोषित तथा आलोकित करने वाले भगवान सूर्य का वैदिक देवताओं में विशेष स्थान है ।
सन्तान सुख ओर धनु का बृहस्पति
भारतीय ज्योतिष में पुत्र एवं भा सन्तति के नैसर्गिक कारक के रूप में बृहस्पति सुस्थापित है। बिना बृहस्पति की कृपा के सन्तति सुख की कल्पना नहीं की जा सकती। यही कारण है कि गोचर में बृहस्पति की स्थिति के आधार पर सन्तति सुख भी प्रभावित होता है।
षष्ठ भावस्थ केतु और उसका जीवन पर प्रभाव
सामान्यतौर पर छठे भाव में स्थित केतु शुभफल ही प्रदान करता है , किन्तु यदि नीच या अशुभ ग्रह के साथ या अशुभ प्रभाव में हो , तो वह अशुभ फलप्रदाता बन जाता है । मंगल की राशि केतु यदि मंगल से द्रष्ट भी हो , तो जीवन में भूचाल पैदा करता है ।
शनिदेव द्वारा प्रायोजित कर्मयुद्ध
शनिदेव कर्म स्वामी हैं, इसलिए शनिदेव का कर्मक्षेत्र के मामले में विशेष प्रभाव राहत है।
श्री रामेश्वरम् - श्रीराम द्वारा स्थापित ज्योतिर्लिंगश्री
भारत की चारों दिशाओं की अन्तिम सीमा पर चार महान् तीर्थ हैं , जिनको धाम कहते हैं । इनमें से एक है रामेश्वरम् धाम , जो कि दक्षिण दिशा में स्थित है ।
शनिवार से है इस किले का नाम !
‘ शनिवारवाड़ा ' मराठा इतिहास में प्रमुख स्थान रखता है । यह एक किला है , जो पुणे में स्थित है और पेशवाओं के समय यहीं से मराठा साम्राज्य का संचालन होता था । इसका निर्माण पेशवा बाजीराव प्रथम ने अपने निवास एवं कार्यालय हेतु करवाया था ।
शनि साढ़ेसाती एवं ढैया से प्रभावित होने वाली राशियों पर विचार
24 जनवरी जनवरी, 2020 को को दण्डयनाक , कर्म स्वामी शनि अपनी स्वराशि मकर में प्रवेश करेंगे । धनु राशि छोड़कर , मकर राशि में शनि का प्रवेश हो जाने से शनिदेव विशेष बली भी हो जाएँगे , क्योंकि कालपुरुष की कुण्डली में शनि दशम भाव , मकर राशि के स्वामी हैं ।
शनि दैया एवं साढ़ेसाती निवारक पैकेज
शनि के गोचरजन्य अशुभ प्रभावों में कमी हेतु
शनि और महाकाली
घोर अंधकार के समान श्यामवर्ण, भयानक रूप, पापियों के लिए विनाशकारी एवं मोक्ष देने वाले के रूप में हम किसे जानते हैं ? ग्रहों में शनि एवं देवी देवताओं में माँ शक्ति के रूप में महाकाली ।