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सब्जियों की जैविक खेती
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सब्जियों की जैविक खेती

सब्जियों की जैविक खेती हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि रक्षा रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है। इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होना है।

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1st September 2024
किसानों के लिए पैसे बचाने का महत्व एवं बचत के आसान सुझाव
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किसानों के लिए पैसे बचाने का महत्व एवं बचत के आसान सुझाव

किसानों के लिए बचत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। खेती एक जोखिम पूर्ण व्यवसाय है जिसमें मौसम, फसल की बीमारी और बाजार के उतार-चढ़ाव जैसी कई अनिश्चितताएं शामिल होती हैं।

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4 mins  |
1st September 2024
उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन
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उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन

दलहनी फसलों में उर्द व मूंग का प्रमुख स्थान है। जायद में समय से बुवाई व सघन पद्धतियों को अपनाकर खेती करने से इन फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। जायद में पीला मौजेक रोग का प्रकोप भी कम होता है।

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1st September 2024
ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय
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ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय

खुम्बी एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन जैसे पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। खुम्बी में वसा की मात्रा कम होने के कारण यह हृदय रोगियों तथा कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा आहार है। खुम्बी एक प्रकार की फफूंद होती है। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता और इसको सीधी धूप की भी जरूरत नहीं होती बल्कि इसे बारिश और धूप से बचाकर किसी मकान या झोंपड़ी की छत के नीचे उगाया जाता है जिसमें हवा का उचित आगमन हो।

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2 mins  |
1st September 2024
वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
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वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका

आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से प्रयोग करना एवं भविष्य में वित्तीय सुरक्षा को यकीनन बनाने के लिए, प्रत्येक के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। यह यकीनन बनाने के लिए कि आपका वित्त आपके विरुद्ध काम करने की बजाये आपके लिए काम करती है, ज्ञान एवं कुशलता की एक टूलकिट्ट की जरूरत होती है।

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10+ mins  |
1st September 2024
मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
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मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक

मेथी (Fenugreek) की खेती पूरे भारत में की जाती है। इसका सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है।

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1st September 2024
जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें
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जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें

भूमि से अधिक पैदावार लेने के लिए उपजाऊ शक्ति को बनाये रखना बहुत जरूरी है। वर्ष 2025 में 30 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन के लिए लगभग 45 मिलियन टन उर्वरकों की जरूरत होगी, लेकिन एक अन्दाज के अनुसार वर्ष 2025 में 35 मिलियन टन उर्वरकों का प्रयोग किया जायेगा।

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1st September 2024
गेंदे की वैज्ञानिक खेती से लाभ
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गेंदे की वैज्ञानिक खेती से लाभ

गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-दृश्य के लिए उगाया जाता है।

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1st September 2024
विनाशकारी खरपतवार गाजरघास की रोकथाम
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विनाशकारी खरपतवार गाजरघास की रोकथाम

अवांछित पौधे जो बिना बोये ही उग जाते हैं और लाभ की तुलना में ज्यादा हानिकारक होते हैं वो खरपतवार होते हैं। खरपतवार प्राचीन काल से ही मनुष्य के लिये समस्या बने हुये हैं, खेतों में उगने पर यह फसल की पैदावार व गुणवत्ता पर विपरीत असर डालते हैं।

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1st September 2024
खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह
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खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह

उत्तर प्रदेश का एग्रीकल्चर सैक्टर काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। इस सैक्टर को लेकर सबसे खास बात यह है कि देश के युवा भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी क्रम में हम आपको यूपी के सीतापुर के रहने वाले एक ऐसे युवक की कहानी बताने जा रहे हैं, जो लाखों युवा किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।

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1st September 2024
कीटनाशक स्प्रे का किसानों पर बढ़ता प्रभाव...
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कीटनाशक स्प्रे का किसानों पर बढ़ता प्रभाव...

कृषि में बढ़ता कीटनाशकों का प्रयोग भारत सहित दुनिया भर में किसानों के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी समस्या बन चुका है। एक तरफ फसलों में छिड़का जाने वाला यह जहर कीटों को खत्म करता है, साथ ही इसके संपर्क में आने वाले पौधों, जानवरों और दूसरे जीवों पर भी प्रतिकूल असर डालता है। यहां तक कि इसके संपर्क में आने वाले किसानों के स्वास्थ्य पर भी इसका गहरा असर पड़ता है।

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1st September 2024
नाइट्रोजन खाद का उचित प्रयोग करने वाली धान की किस्में
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नाइट्रोजन खाद का उचित प्रयोग करने वाली धान की किस्में

भारतीय वैज्ञानिकों ने पाया है कि धान की कुछ किस्में नाइट्रोजन का इस्तेमाल अन्य किस्मों की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर तरीके से करती हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक धान की विभिन्न किस्में प्राकृतिक तौर पर नाइट्रोजन का उपयोग कितनी दक्षता से करती हैं, उसमें पांच गुणा अंतर है।

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1st September 2024
गुलाबी सुंडी पर नियंत्रण करने के लिए तैयार की एक नई तकनीक
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गुलाबी सुंडी पर नियंत्रण करने के लिए तैयार की एक नई तकनीक

कपास की फसल में लगने वाली गुलाबी सुंडी एक खतरनाक कीड़ा है, जो फसल को नुकसान पहुंचाता है। यह कीड़ा कपास के फूलों पर हमला करता है, जिससे कपास की खेती करने वाले किसानों को गुलाबी सुंडी की वजह से पैदावार में 50 से 60 प्रतिशत तक का नुकसान हो रहा है।

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1st September 2024
अधिक फास्फोरस व नाइट्रोजन खादों के उपयोग के कारण बढ़ रहा नुकसान
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अधिक फास्फोरस व नाइट्रोजन खादों के उपयोग के कारण बढ़ रहा नुकसान

दुनिया भर में फास्फोरस के जरूरत से ज्यादा उपयोग के कारण इसकी भारी मात्रा बर्बाद हो रही है। इस बात का खुलासा लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी और रॉयल बोटेनिक गार्डन के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है।

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1st September 2024
अरहर की फसल में कीट प्रबंधन
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अरहर की फसल में कीट प्रबंधन

खरीफ की दलहनी फसलों में अरहर का महत्वपूर्ण स्थान है। अरहर की खेती कई तरह की कृषिगत जलवायु में की जा सकती है। हमारे यहां इसकी खेती लगभग पूरे प्रदेश व खासकर वर्षा पर निर्भर क्षेत्रों में की जाती है क्योंकि अरहर की खेती बारिश के मौसम में की जाती है तो इस फसल में कीटों का प्रकोप लगभग रहता ही है।

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15th August 2024
आधुनिक कृषि की वर्तमान स्थिति और चुनौतियां
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आधुनिक कृषि की वर्तमान स्थिति और चुनौतियां

भारत की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि है। यहां की लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। आज के समय में कृषि क्षेत्र में कई परिवर्तन और चुनौतियां देखी जा रही हैं।

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15th August 2024
बैंगन लगायें मुनाफा कमाएं
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बैंगन लगायें मुनाफा कमाएं

बैंगन (सोलेनम मैंलोजेना) सोलेनेसी जाति की फसल है जो कि आलू के बाद दूसरी सबसे अधिक खपत वाली सब्जी की फसल है। बैंगन की खेती प्राचीन काल से भारत में होती आ रही है बैंगन की खेती साल भर की जाती है।

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15th August 2024
स्प्रे टैक्नॉलोजी का उचित प्रयोग
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स्प्रे टैक्नॉलोजी का उचित प्रयोग

स्प्रे करने के लिए सही नोज़ल का चुनाव एवं उसका उचित प्रयोग करना बहुत आवश्यक है। दवाओं को सही स्थान पर पहुंचाने का कार्य छिड़काव करने वाले यंत्र ही करते हैं। सही छिड़काव करने के लिए नोज़लों की बहुत बड़ी अहमियत है। स्प्रे करते समय नोज़लों का सही चुनाव होना बहुत आवश्यक है।

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15th August 2024
बाजरा में पोषक तत्व प्रबंधन और खरपतवार नियंत्रण कैसे करें?
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बाजरा में पोषक तत्व प्रबंधन और खरपतवार नियंत्रण कैसे करें?

आमतौर पर बाजरा की खेती कम उर्वरता की भूमियों में खाद और उर्वरकों की थोड़ी मात्रा में प्रयोग करके उगाई जाती है, परन्तु अच्छी पैदावार प्राप्त करने के उद्देश्य से समुचित मात्रा में सन्तुलित उर्वरकों का प्रयोग आवश्यक होता है। उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर किया जाना फायदेमंद है।

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15th August 2024
गुलदाउदी की खेती से आमदनी बढ़ाएं किसान
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गुलदाउदी की खेती से आमदनी बढ़ाएं किसान

गुलदाउदी के फूल आकर्षक और मनमोहक होते हैं। गुलदाउदी का उपयोग डंडी वाले या कट फ्लावर के रूप में गुलदस्ते बनाने तथा घरों एवं कार्यालय में सजावट के लिए गुलदान में रखने के लिए किया जाता है।

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15th August 2024
हरी खाद-स्वस्थ भूमि व अधिक उपज
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हरी खाद-स्वस्थ भूमि व अधिक उपज

भूमि की उपजाऊ शक्ति और फसलों की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी के भौतिक, जैविक एवं रासायनिक गुणों की सही मात्रा और बढ़िया अवस्था में होना बहुत जरूरी है। परन्तु, रासायनिक खादों के अंधाधुंध उपयोग, सघन कृषि, गेहूं- धान फसल चक्र एवं अति विश्लेषित खादों के प्रयोग से न सिर्फ लोगों की सेहत खराब हो रही है, बल्कि इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी नुकसान हो रहा है।

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15th August 2024
भारत डेयरी में विश्व नेता बन सकता है?
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भारत डेयरी में विश्व नेता बन सकता है?

भारत का डेयरी उद्योग, दशकों के सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी से मजबूत होकर, दुनिया में सबसे बड़ा है। 1965 में, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की स्थापना भारत के ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए डेयरी को एक साधन में बदलने के लिए की गई थी।

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15th August 2024
देसी बीजों के लिए केन्याई कानून के खिलाफ आंदोलन
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देसी बीजों के लिए केन्याई कानून के खिलाफ आंदोलन

केन्या के बीज और पौध किस्म अधिनियम की धाराओं के खिलाफ विरोध का स्वर बढ़ता जा रहा है, जो देशी, अप्रमाणित और अपंजीकृत बीजों के आदान-प्रदान पर रोक लगाता है। किसानों और कार्यकर्ताओं ने तर्क दिया है कि ये प्रतिबंध कृषि नवाचार को बाधित करते हैं, खाद्य सुरक्षा को खतरे में डालते हैं और छोटे पैमाने के किसानों के अधिकारों को कमजोर करते हैं।

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15th August 2024
मक्के की फसल में रोग प्रतिरोधकता के लिए नये बैक्टीरिया मिले
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मक्के की फसल में रोग प्रतिरोधकता के लिए नये बैक्टीरिया मिले

ब्रेवीबैक्टीरियम ने फफूंद से संक्रमित मक्के के पौधों में बीमारी को कम करने में मदद की। साथ ही इसके साथ अन्य जीवाणुओं ने विशिष्ट जीन और अणुओं को सक्रिय करके पौधों की प्रतिरक्षा को मजबूत बनाने में मदद की।

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15th August 2024
कसावा से बनेगा बायोप्लास्टिक...
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कसावा से बनेगा बायोप्लास्टिक...

दुनिया भर में बढ़ता प्लास्टिक कचरा एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है, लेकिन नागालैंड के किसान जिस तरह इससे निपटने का प्रयास कर रहे हैं, वो अपने आप में एक उदाहरण है। नगालैंड के गांवों में कसावा की खेती को बढ़ावा देने की एक योजना पर काम शुरू हो गया है। इसकी मदद से कम्पोस्टेबल बायोप्लास्टिक बैग तैयार किए जाएंगे।

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15th August 2024
रोबोट का प्रयोग होगा अब ग्रीन हाऊस में...
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रोबोट का प्रयोग होगा अब ग्रीन हाऊस में...

ग्रीनहाउस के अंदर छिड़के जाने वाले रसायनों के कई हानिकारक प्रभाव होते हैं क्योंकि वे हवा में घुलते नहीं हो सकते हैं, जिस वजह से अगर किसान या कोई भी व्यक्ति उस हवा में सांस लेता है तो वो उसके अंदर जा सकता है। इसलिए, इस तरह का नवाचार मजदूरों के लिए वरदान है।

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15th August 2024
बरसात के मौसम में बकरियों का प्रबंधन
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बरसात के मौसम में बकरियों का प्रबंधन

बरसात के मौसम में बकरियों का प्रबंधन चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन उचित योजना और देखभाल से आप सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपकी बकरियां स्वस्थ और उत्पादक रहें।

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1st August 2024
मानसून में डेयरी पशुओं का प्रबंधन
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मानसून में डेयरी पशुओं का प्रबंधन

डेयरी पशुओं के लिए उचित देखभाल, सुरक्षा और प्रबंधन की आवश्यकता होती है ताकि जानवर अप्रिय मौसम में सुरक्षित रहें। नमी, अशुद्ध पानी और बरसात के मौसम में अधिक काम करने से पशुओं के स्वास्थ्य, उत्पादकता और दक्षता पर असर पड़ सकता है।

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1st August 2024
जूट उद्योग और कच्चे जूट का परिदृश्य
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जूट उद्योग और कच्चे जूट का परिदृश्य

जूट उद्योग में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। जूट 'स्वर्ण रेशा' के नाम से मशहूर है। जूट उद्योग का पहला कारखाना कोलकाता के समीप रिसरा नामक स्थान में 1859 में लगाया गया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत विभाजन से सर्वाधिक प्रभावित होने वाला उद्योग यही था, क्योंकि तत्कालीन 120 कारखानों में से 10 पूर्वी पाकिस्तान में चले गए थे, जबकि जूट उत्पादन का अधिकांश भाग उसके पास था।

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1st August 2024
जैविक खेती से फसलों की उत्पादकता में वृद्धि
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जैविक खेती से फसलों की उत्पादकता में वृद्धि

प्राचीन काल में मानव स्वास्थ्य के अनुकूल तथा प्राकृतिक वातावरण के अनुरूप खेती की जाती थी, जिससे जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान का चक्र (पारिस्थितिकी तंत्र) निरंतर चलता रहा था, जिसके फलस्वरूप जल, भूमि, वायु तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता था। भारत वर्ष में प्राचीन काल से कृषि के साथ-साथ गौ पालन किया जाता था, जिसके प्रमाण हमारे ग्रंथों में प्रभु कृष्ण और बलराम हैं जिन्हें हम गोपाल एवं हलधर के नाम से संबोधित करते हैं अर्थात कृषि एवं गोपालन संयुक्त रूप से अत्याधिक लाभदायी था, जोकि प्राणी मात्र व वातावरण के लिए अत्यंत उपयोगी था।

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1st August 2024