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कृषि अनुसंधान में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता
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कृषि अनुसंधान में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता

कृषि अनुसंधान में निवेश किए गए प्रत्येक रुपये पर लगभग 13.85 का रिटर्न मिलता है, जो खेती से जुड़ी अन्य सभी गतिविधियों से मिलने वाले रिटर्न से कहीं अधिक है।

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15th June 2024
बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग के कारण खाद्य उत्पादन संकट में
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बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग के कारण खाद्य उत्पादन संकट में

अमेरिका की जलवायु विज्ञान का विश्लेषण और सम्बन्धित समाचारों की रिपोर्टिंग करने वाली संस्था क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा हाल ही में किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि नवंबर 2022 से अक्टूबर 2023 तक वैश्विक तापमान अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया।

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15th June 2024
गिर रहा पानी का स्तर चिंता का विषय...
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गिर रहा पानी का स्तर चिंता का विषय...

दुनिया भर में बढ़ता तापमान अपने साथ अनगिनत समस्याएं भी साथ ला रहा है, जिनकी जद से भारत भी बाहर नहीं है। ऐसी ही एक समस्या देश में गहराता जल संकट है जो जलवायु में आते बदलावों के साथ और गंभीर रूप ले रहा है।

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15th June 2024
जैविक पद्धति से पादप रोग नियंत्रण
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जैविक पद्धति से पादप रोग नियंत्रण

जैविक पद्धति का प्रयोग करने से एक रोगजनक के जीवित बने रहने की आशा अथवा उसकी क्रियाशीलता को किसी दूसरे जीव (मनुष्य को छोड़कर) द्वारा कम कर दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप उस रोग जनक से उत्पन्न रोग में कमी हो जाती है।

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15th June 2024
ग्वार की खेती की सम्पूर्ण जानकारी
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ग्वार की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

दलहनी फसलों में ग्वार फली का विशेष योगदान है। यह मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में उगाया जाता है। भारत में ग्वार फली के क्षेत्रफल और उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का प्रथम स्थान है। इस फसल से गोंद का उत्पादन होता है जिसे ग्वार गम कहा जाता है और इसका विदेशों में निर्यात किया जाता है। इसके बीज में प्रोटीन-18 प्रतिशत, फाइबर-32 प्रतिशत और एंडोस्पर्म में लगभग 30-33 प्रतिशत गोंद होता है।

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15th June 2024
भूरी खाद: संक्षेप में स्वयं प्रोत्साहित मृदा पोषण
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भूरी खाद: संक्षेप में स्वयं प्रोत्साहित मृदा पोषण

भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां कृषि आर्थिक विकास का मुख्य आधार है। इसलिए कृषि क्षेत्र में नवाचारी और प्रौद्योगिकी पर ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। भूरी खाद एक ऐसा नवाचार है जो कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने और मृदा स्वास्थ्य को सुधारने के लिए अद्वितीय तकनीक प्रदान करता है। इस लेख में, हम भूरी खाद के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे। इसके फायदे और इसे कृषि में कैसे लागू किया जा सकता है, इस पर चर्चा करेंगे।

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15th June 2024
धान की सीधी बिजाई तकनीक से लागत कम मुनाफा ज्यादा कमाए
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धान की सीधी बिजाई तकनीक से लागत कम मुनाफा ज्यादा कमाए

वर्तमान समय में किसान भाई भूजल संरक्षण को ध्यान में रखते हुए धान की फसल की सीधी बिजाई तकनीक को अपनाकर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। धान की सीधी बिजाई 20 से 25 जून तक पूरी कर लें क्योंकि बिजाई के बाद 20 दिन तक पानी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। धान की सभी किस्मों की सीधी बिजाई की जा सकती है लेकिन किसान भाइयों को जल्दी पकने वाली किस्म को प्राथमिकता देनी चाहिए। धान की सीधी बिजाई के लिए गेहूं की फसल की तरह ही खेत में करें।

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15th June 2024
गर्मी में डेयरी पशुओं का प्रबंधन
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गर्मी में डेयरी पशुओं का प्रबंधन

पशुपालन कृषि की वह शाखा है जहां जानवरों को मांस, फाईबर, अंडे, दूध और अन्य खाद्य उत्पादों के लिए पाला जाता है। डेयरी फार्मिंग कृषि की एक तकनीक है जो दूध के उत्पादन से संबंधित है, जिसे बाद में दही, पनीर, मक्खन, क्रीम आदि जैसे डेयरी उत्पाद प्राप्त करने के लिए संशोधित किया जाता है।

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15th June 2024
मूंग की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग और उनकी रोकथाम
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मूंग की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग और उनकी रोकथाम

मूंग की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि फसल है जो कि भारत में व्यापक रुप पैदा की जाती है। मूंग एक प्रमुख दाल है जो उत्तर भारत में प्रमुखता से उगाई जाती है, लेकिन यह दक्षिण भारत में भी कई जगहों पर उत्पादित की जाती है। मूंग की खेती के लिए उचित मौसम और जलवायु बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इसकी बुआई गर्मी के मौसम में की जाती है, जबकि इसकी पूरी फसल की कटाई शीत ऋतु में की जाती है। मूंग की फसल के लिए अच्छी खेती के लिए अच्छी जलवायु की आवश्यकता होती है, जिसमें अच्छी वर्षा, सही तापमान और प्राकृतिक परिपत्रों की सहायता होती है। मूंग की खेती में किसानों को सबसे अधिक नुकसान रोगों के कारण होता है। इस लेख में हम मूंग की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों और उनके नियंत्रण के बारे में जानकारी देंगे।

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15th June 2024
बीज खरीदते वक्त किसान कुछ जरूरी सावधानियों का रखें ख्याल
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बीज खरीदते वक्त किसान कुछ जरूरी सावधानियों का रखें ख्याल

हम सब लोग जानते हैं कि किसानों की आय मुख्य रूप से फसलों के उत्पादन पर निर्भर होती है। फसलों के बेहतर उत्पादन पर उनकी आय बढ़ जाती है जबकि फसलों की स्थिति बिगड़ने पर किसान को आर्थिक रूप से काफी हानि का सामना करना पड़ता है।

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15th June 2024
भारत में शहतूत की खेती और उपयोग
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भारत में शहतूत की खेती और उपयोग

शहतूत को वानस्पतिक रूप में मोरस अल्बा के नाम से जाना जाता है। शहतूत के पत्तों का रेशम उत्पादन में प्राथमिकता के कारण एक प्रमुख आर्थिक घटक है क्योंकि प्रति इकाई क्षेत्र में उत्पादित पत्ती की गुणवत्ता और मात्रा का कोकून की फसल पर सीधा असर पड़ता है।

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15th June 2024
ज्वार की खेती कैसे की जाती है
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ज्वार की खेती कैसे की जाती है

ज्वार की फसल खरीफ (वर्षा ऋतु) और रबी (वर्षा ऋतु के बाद) में उगाई जाती है, लेकिन खरीफ का हिस्सा खेती और उत्पादन दोनों के तहत क्षेत्र के मामले में अधिक है। रबी की फसल लगभग पूरी तरह से मानव उपभोग के लिए उपयोग की जाती है जबकि खरीफ की फसल मानव उपभोग के लिए बहुत लोकप्रिय नहीं है और बड़े पैमाने पर पशु चारा, स्टार्च और शराब उद्योग के लिए उपयोग की जाती है। भारत में ज्वार के तहत केवल 5 प्रतिशत क्षेत्र सिंचित है। देश में ज्वार की खेती के तहत 48 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र महाराष्ट्र और कर्नाटक में है।

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15th June 2024
एकीकृत मछली पालन एक उत्तम विकल्प
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एकीकृत मछली पालन एक उत्तम विकल्प

आज भारत मत्स्य उत्पादक देश के रूप में उभर रहा है। एक समय था, जब मछलियों को तालाब, नदी या सागर के भरोसे रखा जाता था, परन्तु बदलते वैज्ञानिक परिवेश में इसके लिए कृत्रिम जलाशय बनाए जा रहे हैं, जहां वे सारी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं, जो प्राकृतिक रूप से नदी, तालाब और सागर में होती हैं। छोटे शहरों और गांवों के वे युवा, जो कम शिक्षित हैं, वे भी मछली पालन उद्योग लगा कर अच्छी आजीविका अर्जित कर सकते हैं। लेख के माध्यम से हम मछली पालन की विधि के साथ-साथ किस प्रकार यह मिश्रित खेती का एक अच्छा विकल्प है।

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15th June 2024
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कृषि विज्ञानी अरतुरी इल्मारी विरटानन
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अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कृषि विज्ञानी अरतुरी इल्मारी विरटानन

अरतुरी एक रसायन विज्ञानी थे। 1945 में उनको रसायन विज्ञान के विषय में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनका जन्म 1895 में फिनलैंड के हैलसिनकी में हुआ। उन्होंने अपने स्कूल की पढ़ाई फिनलैंड के विपुरी शहर में स्थित क्लासीकल लाइसीऊम से की। उनके द्वारा चारे की फसल के रख-रखाव के लिए कई आविष्कार किये गये।

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1st June 2024
गोबर और केंचुआ बेचकर अच्छी आमदनी प्राप्त करने वाले सफल किसान-ज्ञानेश तिवारी
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गोबर और केंचुआ बेचकर अच्छी आमदनी प्राप्त करने वाले सफल किसान-ज्ञानेश तिवारी

रासायनिक कीटनाशकों के बुरे प्रभाव के चलते खेती-किसानी में जैविक खाद का उपयोग बढ़ा है। इसी कड़ी में वर्मी कम्पोस्ट (केंचुआ खाद) के इस्तेमाल का महत्व भी बढ़ा है। गोबर और केंचुआ ने शाहजहांपुर के एक प्रगतिशील युवा किसान की जिंदगी बदल कर रख दी।

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1st June 2024
जैवविविधता के नुकसान, बढ़ते प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ रही संक्रामक बीमारियाँ
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जैवविविधता के नुकसान, बढ़ते प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ रही संक्रामक बीमारियाँ

जिस तरह इंसान पृथ्वी पर बदलाव कर रहा है उन सभी कारकों से न केवल संक्रामक रोग बढ़ रहे हैं, साथ ही उनमें कमी भी आ सकती है। इस अध्ययन में जो सबसे हैरान करने वाली बात सामने आई, वो यह है कि प्राकृतिक आवासों के खत्म होने या उनमें बदलाव से संक्रामक रोगों का खतरा घट सकता है।

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1st June 2024
कवर फसलों से बढ़ सकती है कृषि पैदावार
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कवर फसलों से बढ़ सकती है कृषि पैदावार

अक्सर सुरक्षा या कवर फसलों का उपयोग मुख्य फसलों की कटाई के बाद जमीन को ढकने के लिए किया जाता है। कवर फसलें क्या होती हैं? कवर फसलें नकदी फसलों से अलग होती हैं, जैसे कि मकई या सोयाबीन। मिट्टी को सुधारने के लिए फसलों का पहला काम खेत को कवर करना है। वे खेतों में मिट्टी के क्षरण और पोषक तत्वों के नुकसान से बचाने के लिए लगाए जाते हैं।

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1st June 2024
मंगल ग्रह पर कैसे हो सकती है सब्जियों की पैदावार
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मंगल ग्रह पर कैसे हो सकती है सब्जियों की पैदावार

अंतरिक्ष में मानव बस्तियों को आबाद करना एक ऐसा सपना है, जिसे इंसान सदियों से देख रहा है। हालांकि यह तभी मुमकिन हो सकता है, जब इसके लिए वहां पर्याप्त मात्रा में भोजन, पानी और ऑक्सीजन उपलब्ध हो। इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने अपने एक नए अध्ययन में जांच की है कि कैसे मंगल ग्रह पर सब्जियों की पैदावार में इजाफा किया जा सकता है।

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1st June 2024
आलू की फसल को बैक्टीरियल विल्ट रोग से बचा सकता है कैल्शियम
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आलू की फसल को बैक्टीरियल विल्ट रोग से बचा सकता है कैल्शियम

अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों द्वारा किए एक नए अध्ययन से पता चला है कि कैल्शियम, आलू के पौधों को बैक्टीरियल विल्ट नामक रोग से लड़ने में मदद करता है। उनके मुताबिक कैल्शियम, इस बीमारी के प्रति आलू के पौधों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है। यह जानकारी उन किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है जो दुनिया भर में आलू की खेती से जुड़े हैं।

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1st June 2024
पैकिंग भोजन कैसर कारक रसान का होना चिता का विषय
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पैकिंग भोजन कैसर कारक रसान का होना चिता का विषय

भारत से विदेशों में निर्यात किए जाने वाले मसालों में कैंसर पैदा करने वाले रसायनों की मौजूदगी को लेकर हंगामा अभी थमा नहीं है।

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1st June 2024
अमेरिकन फाउल बुड मधुमक्खियों का एक विनाशकारी दुश्मन
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अमेरिकन फाउल बुड मधुमक्खियों का एक विनाशकारी दुश्मन

मधुमक्खियां एक सामाजिक कीट हैं जो छत्ते में एक साथ रहती हैं। छत्ते के में सदस्यों के कुल तीन प्रकार है: रानी, श्रमिक और ड्रोन।

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1st June 2024
मृदा परीक्षण फसल उत्पादकता एवं गुणवत्ता वृद्धि हेतु वरदान
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मृदा परीक्षण फसल उत्पादकता एवं गुणवत्ता वृद्धि हेतु वरदान

किसान भाई यदि भूमि को सुधारना व कम लागत में अधिक मनाफा कमाना चाहते है, तो मृदा परीक्षण अवश्य करायें, जिससे उचित पोषक तत्व प्रबंधन (मांग आधारित) सुनिश्चित किया जा सके। इससे न केवल मृदा स्वस्थ बनी रहेगी बल्कि उत्पादन लागत में कमी आयेगी। वर्तमान भारतीय कृषि परिदृश्य में उत्पादन लागत को कम करते हुए किसानों की आय बढ़ाने पर जोर देने की जरूरत है।

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1st June 2024
सहभागी पौध प्रजनन किसानों के लिए एक नई उम्मीद
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सहभागी पौध प्रजनन किसानों के लिए एक नई उम्मीद

सहभागी पादप प्रजनन में भागीदारी (पीपीबी) दृष्टिकोण का एक मूलभूत पहलू है। इसमें पादप प्रजनकों, किसानों, शोधकर्ताओं, उपभोक्ताओं, गैर सरकारी संगठनों, सरकारी संगठनों और कभी-कभी निजी क्षेत्र की संस्थाओं सहित विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग शामिल है।

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1st June 2024
पशुओं के दुग्ध उत्पादन में खनिज लवणों का महत्व
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पशुओं के दुग्ध उत्पादन में खनिज लवणों का महत्व

खनिज लवणों की उपयुक्त मात्रा पशुओं के शारीरिक विकास, दुग्ध उत्पादन व शरीर की आंतरिक क्रियाओं को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए बहुत ही आवश्यक है।

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1st June 2024
पपीते की खेती किस्में, रोपाई, पोषक तत्व, सिंचाई, देखभाल, पैदावार
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पपीते की खेती किस्में, रोपाई, पोषक तत्व, सिंचाई, देखभाल, पैदावार

पपीता पोषक तत्वों से भरपूर अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक जल्दी तैयार होने वाला फल है। पपीते का पके तथा कच्चे रूप में प्रयोग किया जाता है।

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1st June 2024
पशु स्वास्थ्य में खनिज लवणों का योगदान
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पशु स्वास्थ्य में खनिज लवणों का योगदान

पशु के शरीर में होने वाली क्रियाओं में खनिज लवणों का महत्वपूर्ण योगदान है। पशुओं के आहार में खनिज लवणों की कमी से उनमें दूध देने की क्षमता में कमी आ जाती है। प्रजनन से संबंधित रोग व असफल प्रजनन की समस्या पैदा हो जाती है।

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1st June 2024
कद्दूवर्गीय व बेल वाली सब्जियों की प्रमुख बीमारियां तथा उनका नियंत्रण
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कद्दूवर्गीय व बेल वाली सब्जियों की प्रमुख बीमारियां तथा उनका नियंत्रण

कद्दूवर्गीय सब्जियों में अन्य सब्जियों की तुलना में कम कैलोरी व आसानी से पचने वाली होती हैं। इस कारण से ये सब्जियां संतुलित आहार एवं स्वास्थ के लिए भोजन में विशेष योगदान प्रदान करती हैं।

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1st June 2024
धान की सीधी बिजाई
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धान की सीधी बिजाई

धान-गेहूं हरियाणा का मुख्य फसल चक्र है। हरियाणा में धान की फसल 15.6 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में बोई जाती है। कुल धान के क्षेत्र में से दो तिहाई क्षेत्र में बासमती धान ली जाती है। राज्य में धान की सिंचाई अधिकतर टयूबवैलों के पानी पर निर्भर है और अधिकतर टयूबवैलों का पानी नमक/लवण के कारण खराब है।

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1st June 2024
अरण्ड एक महत्वपूर्ण एवं व्यवसायिक अखाद्य तिलहन
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अरण्ड एक महत्वपूर्ण एवं व्यवसायिक अखाद्य तिलहन

सिंचाई देने से अरण्ड की पैदावार में आशातीत बढ़ोतरी होती है। पानी की उपलब्धता एवं भूमि की जल धारण क्षमता के अनुरूप 3-4 सिंचाईयों से लेकर 7-8 सिंचाईयां देनी पड़ती हैं। बिजाई से 50-60 दिन एवं 80-95 दिन बाद अगर नमी की कमी हो तो सिंचाई अवश्य करें। बाद में पानी सिंचाई की उपलब्धता के अनुसार गुच्छों की कटाई के बाद गर्मी में 15-20 व सर्दी में 25-30 दिन के अन्तराल पर करते रहें।

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1st June 2024
फूड प्रोसैस्सिंग मार्केटिंग में एफ.पी.ओ. की महत्ता
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फूड प्रोसैस्सिंग मार्केटिंग में एफ.पी.ओ. की महत्ता

फूड प्रोसैस्सिंग सैक्टर में मुख्य तौर पर कृषि उत्पादन के रखरखाव अथवा शीघ्र खराब होने वाले कृषि उत्पादों, फल-सब्जियों एवं दूध इत्यादि के भिन्न-भिन्न उद्देश्यों के लिए रखरखाव से संबंधित है। भारत में अधिकतर गैर संगठित फूड प्रोसैस्सिंग उद्योगों का दबदबा है। देश में लगभग 25 प्रतिशत उत्पादन संगठित, 42 प्रतिशत गैर संगठित एवं बाकी उत्पादन छोटे खिलाड़ियों से आता है।

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1st June 2024