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अब रोबोट तोड़ेंगे चाय की पत्तियां!
कोलकता स्थित सी.डैक के प्रमुख आदित्य कुमार सिन्हा ने कहा कि मुझे लगता है कि चाय की चुनिंदा पत्तियों को तोड़ने के लिए एक बेहतरीन रोबोटिक प्लकर विकसित किया जा रहा है, जो पूरी दुनिया भर में एक पहला प्रयास है। इसके लिए लगातार परीक्षण किए जा रहे हैं।
चूना-आधारित ट्राइकोडर्मा होगा लाभदायक
ट्राइकोडर्मा कई मिट्टी-जनित पौधों के रोगजनकों को दबाने में प्रभावी साबित हुआ है और फसल उत्पादन में एक सफल जैव-कीटनाशक और जैव-उर्वरक के रूप में कार्य करता है।
मशरूम में है कोविड से लड़ने की क्षमता
रिसर्च में वैज्ञानिकों ने मशरूम से प्राप्त 13 जैव सक्रिय यौगिकों का अध्ययन यह जानने के लिए किया है कि क्या वो उस वायरस को रोकने में मददगार हो सकते हैं, जो कोविड-19 का कारण बनता है। साथ ही क्या वो शरीर में इसके कारण होने वाली समस्याओं जैसे फेफड़ों के संक्रमण, साइटोकिन स्टॉर्म, थ्रोम्बोटिक और कार्डियोवैस्कुलर प्रभावों और सूजन को रोकने में मदद कर सकते हैं।
चावल के लिए पहला स्पीड ब्रीडिंग प्रोटोकॉल विकसित किया
अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) के वैज्ञानिकों ने चावल के लिए एक मजबूत, पहला त्वरित प्रजनन प्रोटोकॉल विकसित किया है, जो एक वर्ष में चावल की 4 से 5 फसलें प्राप्त करेगा। अब तक प्रजनन कार्यक्रमों में जो संभव हुआ है उससे लगभग दोगुना। जलवायु परिवर्तन और बढ़ती विश्व आबादी की जरूरतों से निपटने के लिए चावल की नई उन्नत किस्मों के प्रजनन में तेजी लाने के लिए यह प्रोटोकॉल महत्त्वपूर्ण होगा।
क्या नैनो यूरिया कर सकता है कृषि उत्पादन बरकरार?
अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिकों ने नैनो यूरिया को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा और किसानों का खुला शोषण बताया।
भारत सरकार मक्के पर दे रही है ध्यान
भारत गेहूं और चावल के बाद मकई को अगली बड़ी व्यावसायिक फसल के रूप में देख रहा है, ताकि बंपर पैदावार के माध्यम से अपनी ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाया जा सके, जिसका उपयोग देश के ईंधन-मिश्रण कार्यक्रम के लिए इथेनॉल बनाने के लिए किया जा सकता है।
बिना लाइसैंस बीज बिक्री
कृषक को अबीज आपूर्ति करना उसे आत्म हत्या के लिए मजबूर करने के समान है और भारतीय दण्ड संहिता के तहत दण्डनीय अपराध है। बीज की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए भारत सरकार के कई कानून लागू हैं जैसे बीज अधिनियम-1966, बीज नियम-1968, बीज नियन्त्रण आदेश-1983 तथा बीज प्रमाणीकरण के लिए भारतीय न्यूनतम बीज प्रमाणीकरण मानक-2013 तथा भारतीय बीज प्रमाणिकरण वर्किंग मैन्युअल2021 आदि।
सब्जियों में कीट एवं रोग प्रबंधन
वर्तमान समय में किसानों के लिए सब्जी ही एक मात्र खेती की जाने वाली फसल है। सब्जी की खेती से किसान को अधिक मुनाफा भी होता है लेकिन सब्जी में रोग तथा कीट का भी अधिक प्रकोप रहता है जिससे फसल को काफी नुकसान पहुँचता है। सब्जी की खेती में होने वाले रोग तथा कीट के नियंत्रण के लिए पूरी जानकारी इस तरह है।
सरसों फसल में समेकित नाशीजीव प्रबंधन (आई पी एम) कैसे करें
प्रौढ़ दोनों सरसों फसल में पौधों के विभिन्न भागों से रस चूसते हैं। यह प्रायः दिसम्बर के अन्त से लेकर फरवरी के अन्त तक सक्रिय रहता है। इस कीट की आर्थिक हानि की सीमा 10 से 20 माहू मध्य तना के 10 सैंटीमीटर भाग में है। इससे उपज में लगभग 25 से 40 प्रतिशत तक की हानि हो सकती है।
चाइनीज पत्ता गोभी की उन्नत खेती
यह भी एक विदेशी सब्जी है जिसको विलायती या चाइनीज-कैबेज कहते हैं। इस प्रकार के पत्ता गोभी को आजकल धीरे-धीरे शहरी क्षेत्रों में उगाने लगे हैं। इस सब्जी को भी माडर्न-सब्जी बाजारों एवं दुकानों पर अधिक बिक्री के लिये रखा जाता है।
जानिए पेस्टिसाइड उपयोग करने के तरीके तथा पेस्टिसाइड के पर्यावरण एवं मानव जीवन पर प्रभाव
परिचय : पेस्टिसाइड एक विशेष प्रकार का कीटनाशक होता है जो विभिन्न प्रकार के कीटों, कीटाणुओं और विषाणुओं को नष्ट करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। यह कृषि उत्पादन में कीटों के खिलाफ लड़ाई करने का एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो फसलों की वृद्धि और उत्पादकता को सुनिश्चित करने में मदद करता है। पेस्टिसाइड विभिन्न रूपों में उपलब्ध होते हैं, जिनमें शामिल हैं :
जैविक खेती क्यों आवश्यक?
भारत की 70 प्रतिशत से भी अधिक आबादी खेती व्यवसायों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़ी हुई है। दूसरे महायुद्ध के उपरांत जब विश्व की जनसंख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई तो इसने सरकारों और वैज्ञानिकों को सोचने के लिए विवश कर दिया।
जैविक खेती की सम्भावनायें
कार्बनिक खेती कोई नई अवधारणा नहीं है; यह प्राचीन काल से अभ्यास किया जा रहा है। कार्बनिक खेती एक कृषि पद्धति है जिसका लक्ष्य भूमि को खेती करना और फसलों को बढ़ाना है ताकि मिट्टी को जीवित रखा जा सके और कार्बनिक कचरे (फसल, पशु और खेत के कचरे, जलीय अपशिष्ट) और अन्य जैविक सामग्री के उपयोग से स्वास्थ्य अच्छे में रखा जा सके।
फसल अवशेष का स्थायी समाधान
विगत साठ वर्षों से भारतीय कृषि मुख्यतः फसल उत्पादन बढ़ाने पर केंद्रित रही है और कटाई के बाद फसलों के प्रबंधन पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया है।
आंवला फलोत्पादन की नवीनतम तकनीकी
फल गुण एवं महत्व : औषधीय गुणों एवं पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा विद्यमान होने के कारण आंवला एक महत्वपूर्ण फल है जिसके 100 ग्राम गूदे में 550-750 मि. ग्राम विटामिन सी की मात्रा पायी जाती है। इसके अलावा इसमें शर्करा एवं लवण-कैल्शियम, फास्फोरस, पौटेशियम, आयरन की मात्रा भी पायी जाती है। सूखे फल का उपयोग त्रिफला, च्वनप्राश, चूर्ण इत्यादि अन्य आयुर्वेदिक औषधियों को निर्मित करने में किया जाता है।
क्या है क्लाइमेट इंजीनियरिंग?
क्या आप जानते है कि जलवायु समाधान के रूप में पेश की जा रही क्लाइमेट इंजीनियरिंग क्या है? यह कैसे काम करती है और क्यों इसको लेकर दुनिया भर के जलवायु वैज्ञानिक एकमत नहीं हैं। आइए समझते हैं इससे जुड़े कुछ बुनियादी सवालों के जवाब
भारत में बायोगैस ऊर्जा स्रोतों में करेगी सुधार...
बायोगैस भारत की ऊर्जा सुरक्षा में सुधार कर सकती है, क्योंकि देश वर्तमान में अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए आयातित प्राकृतिक गैस पर बहुत अधिक निर्भर है।
सब्जी वाली फसलों के साथ-साथ फूलों की खेती करने से बढ़ेगा परागण
एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन और यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के पारिस्थितिकीविदों द्वारा दक्षिण भारत में किए एक अध्ययन से पता चला है कि खाद्य फसलों के साथ की गई फूलों की खेती से न केवल परागण करने वाले जीवों को फायदा होगा, साथ ही इससे फसलों की पैदावार और गुणवत्ता में भी सुधार आ सकता है।
खाद्य प्रणालियों को सुधारने की जरूरत
जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए कृषि के वर्तमान मॉडल पर की जाने वाली चर्चाओं का दौर बढ़ रहा है। यह सच है कि कृषि आज कई प्रकार से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में योगदान करती है।
फ्रोजन भोजन पदार्थों को स्टोर करने के लिए तापमान में बदलाव
क्या आप जानते हैं कि फ्रोजन फूड को स्टोर करने के लिए कितना तापमान खाद्य गुणवत्ता, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के नजरिए से सही है।
बिगड़ रही खेतों की सेहत
यदि भूमि की गुणवत्ता में आती गिरावट का यह रुझान जारी रहता है तो इससे निपटने के लिए 2030 तक 150 करोड़ हैक्टेयर भूमि को बहाल करने की आवश्यकता होगी।
पौधा विज्ञानी डॉ. डेविड चार्ल्स बाऊलकोंबे
उनकी खोज दिलचस्पी एवं योगदान विज्ञान के क्षेत्र में मुख्य तौर पर वायरस चाल, आनुवंशिकता नियम, रोग रोकथाम के क्षेत्र में थी। एंड्रयू हैमिस्टन के साथ मिलकर उन्होंने एक छोटे आर एन ए की खोज की जो निश्चित तौर पर जीन नीरवता के लिए जिम्मेदार था।
गेहूं की नई किस्म विकसित करने वाले प्रगतिशील किसान नरेन्द्र सिंह मेहरा
आज हम आपको एक ऐसे प्रगतिशील किसान के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपने 12 साल के संघर्ष के बल पर नया मुकाम हासिल किया है। जिस किसान की हम बात कर रहे हैं, वह किसान नरेंद्र सिंह मेहरा हैं, जो गेहूं, धान और गन्ना समेत कई फसलों की खेती करते हैं। इसके अलावा इन्होंने खुद ही गेहूं की एक किस्म को विकसित किया है जिसका नाम उन्होंने नरेंद्र 09 रखा।
फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए तैयार की 'इलेक्ट्रॉनिक मिट्टी'
वैज्ञानिकों ने एक विद्युत प्रवाहकीय 'मिट्टी' विकसित की है, जिसके बारे में उनका कहना है कि इससे 15 दिनों में औसतन जौ के पौधों की 50 प्रतिशत अधिक वृद्धि हो सकती है।
भारतीय कृषि का डिजिटलीकरण करने की आवश्यकता...
नीति आयोग ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर एक शोध में कहा है कि 8-10 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर बनाए रखने के लिए कृषि को 4 प्रतिशत या उससे अधिक की दर से विस्तार करना होगा। इसमें अनुमान लगाया गया है कि 2025 तक, कृषि में AI 2.6 बिलियन डॉलर का होगा और 22.5 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक विकास दर (CAGR) की गति से बढ़ेगा।
भारत में भी है कृत्रिम बारिश की तकनीक
भारत ने घोषणा की कि उसके पास क्लाउड सीडिंग विधि का उपयोग करके कृत्रिम बारिश सुनिश्चित करने की तकनीक है, लेकिन वह 'इसे केवल चरम परिस्थितियों में ही उपयोग करेगा' क्योंकि इस तरह के प्रयोग से अन्य भागों की जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। लेकिन, सरकार ने साफ कर दिया है कि अगले पांच साल में मौसम में बदलाव पर फोकस रहेगा।
वित्त वर्ष 2023 में भारत की जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी घटकर हुई 15%
देश की सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी दर में कृषि सैक्टर की हिस्सेदारी में गिरावट दर्ज की गई है।
2028 से भारत नहीं करेगा दालों का आयात
दिसंबर 2027 तक दलहन के उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। देश के किसान ज्यादा से ज्यादा अरहर दाल की खेती कर सकें इसके लिए सरकार ने एक बड़ी स्कीम लांच की है।
नरमे के रोग और उनका निवारण
नरमा खरीफ ऋतु की मुख्य नकदी फसल है, जिसकी बिजाई 15 अप्रैल से जून के पहले पखवाड़े तक की जाती है।
भारत के लकड़ी के पेड़: व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण प्रजातियों और उद्योगों में उनके महत्व की खोज
लकड़ी के पेड़ की प्रजातियों और उनके आवासों को संरक्षित करने के महत्व को गले लगाना महत्वपूर्ण है। विभिन्न उद्योगों में उनके महत्व को महत्व देकर और टिकाऊ प्रथाओं को लागू करके, हम भारत के जंगलों और जैव विविधता के संरक्षण को बढ़ावा देते हुए भविष्य की पीढ़ियों के लिए इन संसाधनों की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित कर सकते हैं।