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हरी खाद मिट्टी की उपजाऊ कूवत बढ़ाए
आज के समय में किसान ज्यादा उपज लेने के लिए कैमिकल खादों का बेतहाशा मात्रा में इस्तेमाल करते हैं.
अदरक: कारगर उत्पादन तकनीक
अदरक की खेती भारत को विदेशी मुद्रा प्राप्त करने का एक प्रमुख जरीया है. विश्व में उत्पादित अदरक का आधा भाग भारत पूरा करता है
प्रो. रवि प्रकाश मौर्य की किसानों को सलाह - तैयार फसल का रखें खास ध्यान
हमारे गांवों के खेतों में गेहूं की फसल पक कर खड़ी है
स्ट्रा रीपर पुआल की करे कटाई बनाए भूसा भी
स्ट्रा रीपर एक ऐसा कृषि यंत्र है, जो खेत में खड़े पुआल का भूसा तो बनाता ही है साथ ही उन फसल अवशेषों से निकलने वाले अनाज के दानों को भी स्टोर करता है.
जायद में उड़द और मूंग उत्पादन की उन्नत तकनीकी
जायद में बोई जाने वाली दलहन की प्रमुख फसलों में मूंग और उड़द मुख्य फसलें होती हैं. फरवरी से उड़द की बोआई शुरू कर देनी चाहिए, क्योंकि इस : समय वातावरण में अनुकूल नमी रहती है, नहीं तो तापमान बढ़ने के बाद बोआई करने में सिंचाई की जरूरत पड़ती है.
आम की फसल सुरक्षा
आम भारत का राष्ट्रीय फल है और प्रमुख फसल भी. भारत में साल 2021-22 में 2,313 हजार हेक्टेयर में 22,353 हजार टन का उत्पादन हुआ. भारत में आम उगाने वाले क्षेत्रों में सर्वाधिक क्षेत्रफल उत्तर प्रदेश में है, किंतु सर्वाधिक उत्पादन आंध्र प्रदेश में होता है.
जायद में मोटे अनाजों में बाजरा की उन्नत खेती
भारत सरकार की कोशिशों के बाद वर्ष 2023 को दुनियाभर में मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है. श्री अन्न में बाजरा, ज्वार, रागी, कुटकी, कोंदो, सांवा, चेना आदि को शामिल किया गया है.
फसल कटाई यंत्र रीपर
फसल कटाई के लिए आज अनेक तरह के छोटेबड़े कृषि यंत्र मौजूद हैं, लेकिन रीपर यंत्र सब से अधिक प्रचलन में है.
फसल अवशेषों का करे चूरा बनाए खाद मल्चर
रबी, खरीफ या हो जायद की फसल. फसल कटाई के बाद ज्यादातर फसल अवशेष खेतों में खड़े रह जाते हैं जिन का निबटान करना अगली फसल बोने से पहले करना जरूरी है, खासकर रबी के समय में गेहूं व खरीफ के समय धान फसल के अवशेष भारी मात्रा में खेतों में खड़े रह जाते हैं, जिन्हें बहुत से किसान आज भी खेतों में ही जला देते हैं, जो पर्यावरण के साथसाथ खेत की उपजाऊ मिट्टी को भी खराब करते हैं.
मल्टीक्रॉप थ्रेशर काम का खत्म प्रैशर
आज से 4-5 दशक पहले की बात करें, तो उन दिनों खेती के कामों में कृषि यंत्रों का इस्तेमाल बहुत ही सीमित था.
पपीते के प्रोडक्ट
पपीता पोषक तत्त्वों की दृष्टि से एक बहुत अच्छा फल है. इस में विटामिन ए बहुत अधिक मात्रा में होता है. साथ ही विटामिन बी व सी भी पाए जाते है.
अमरुद की बागबानी कम समय में अच्छा मुनाफा
अमरूद ऐसा फल है, जो देश के ज्यादातर हिस्सों में पाया जाता है. गुणों की वाले इस फल की तुलना सेब से की जाती है. अमरूद की बागबानी न केवल आसानी से हो जाती है, बल्कि इस के जरीए अच्छा मुनाफा भी कमाया जा सकता है.
अरहर की खेती
अरहर हमारे देश की महत्त्वपूर्ण दलहनी फसल हैं. अरहर में 20-22 फीसदी तक प्रोटीन पाया जाता है. अरहर की खेती आर्द्र एवं शुष्क दोनों प्रकार के जलवायु क्षेत्रों में आसानी से की जा सकती है. उचित जल निकास वाली हलकी या भारी सभी प्रकार की भूमि अरहर की खेती के लिए उपयुक्त है.
उत्तर प्रदेश में मसालो की खेती
अधिकतर सभी राज्य एक या 2 मसाले उगाते हैं. लेकिन मुख्य मसाला उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश, केरल, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओड़िशा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश हैं.
राइजोबियम कल्चर का दलहन उत्पादन में महत्व
मृदा में विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीवों की असंख्य मात्रा पाई जाती है. इन में से कुछ सूक्ष्म जीव फसल उत्पादन में लाभप्रद तथा अन्य हानिकारक पाए गए हैं.
मार्च महीने में खेती से जुड़े जरुरी काम
मार्च महीने में रबी की तमाम खास फसलें पकने की राह पर होती हैं, गेहूं की बालियों में दूध तैयार होने लगता है और साथ ही दाने बनने शुरू हो जाते हैं. लिहाजा, फसल का खासतौर पर खयाल रखना चाहिए. गेहूं की बालियों में दूध बनने के दौरान पौधों को पानी की ज्यादा दरकार होती है, ऐसे में खेतों की सिंचाई का खास खयाल रखें.
पोषण वाटिका कुपोषण दूर करने का उपाय
घर में लगी पोषण वाटिका या गृह वाटिका या फिर रसोईघर बाग पौष्टिक आहार पाने का एक आसान साधन है, जिस में विविध प्रकार के मौसमी फल तथा विविध प्रकार की सब्जियों व फलों को एक सुनियोजित फसलचक्र और प्रबंधन विधि के द्वारा उगाया जाता है.
पशुपालन के लिए कुछ जरूरी जानकारी
देश में पशुपालन बड़े पैमाने पर किया जाता है और आज का समय ऐसा नहीं रह गया कि खेतीकिसानी करने वाले लोग ही पशुपालन करते हों. आज पशुपालन आमदनी का अच्छा जरीया है, जिसे अन्य लोग भी कर रहे हैं.
फसलों की करे कटाई, गहाई व सफाई कंबाइन हार्वेस्टर
यह खेतीबारी का एक ऐसा खास यंत्र है जो एकसाथ कई काम करने में सक्षम है. लेकिन यह महंगा यंत्र है जिसे खरीदना हर किसान के बस में नहीं. जो लोग भी इसे ले पाते हैं, उन के लिए यह कमाई का अच्छा साधन भी बनता है. हालांकि सरकार की तरफ से अनेक योजनाएं भी आती हैं जो खेती की राह आसान करती हैं और किसानों को कृषि यंत्र खरीदने में भी सहायता मुहैया कराती हैं
भिंडी की खेती लाभकारी बनाए
सब्जियों का हमारे जीवन में खास स्थान है. भिंडी भारत में उगाई जाने वाली खास फसल है. इस में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवण जैसे कैल्शियम, फास्फोरस के अलावा विटामिन ए, बी, सी, थाईमीन एवं रिबोप्लेविन भी पाया जाता है. इस में विटाविन ए व सी काफी मात्रा में पाया जाता है.
कम पानी में कदूवर्गीय सब्जियों के लिए लो टनल तकनीक
इस तकनीक से खेती करने में किसानों को उत्पादन दोगुना मिलता है. इस से पानी का उपयोग 50 फीसदी तक कम हो जाता है. इस के साथ ही समय से पहले फसल आने के कारण किसानों को उपज के अच्छे भाव मिलते हैं.
उड़द की उत्पादन तकनक
हमारे देश में उड़द का उपयोग मुख्य रूप से दाल के लिए किया जाता है. इस की दाल अत्यधिक पोषक होती है. विशेष तौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसे लोग अधिक पसंद करते हैं. उड़द की दाल को भारत में भारतीय व्यंजनों को बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है और इस की हरी फलियों से सब्जी भी बनाई जाती है.
रेज्ड बैड प्लांटर करे एकसाथ कई काम
रेज्ड बैड प्लांटर खेती में काम आने वाला एक ऐसा यंत्र है, जो जुताई के बाद तैयार खेत में नाली व मेंड़ बनाने का काम तो करता ही है, साथ ही साथ बीज की बोआई भी करता है और खाद भी लगाता है.
ड्रिप रेनपोर्ट सिस्टम : प्याज की खेती में सिंचाई और उन्नत किस्में
हर सब्जी में स्वाद लाने वाली प्याज महत्त्वपूर्ण नकदी फसल है. इस में फास्फोरस, पोटैशियम, कैल्शियम, मैगनीशियम वसा वगैरह पौष्टिक तत्त्व पाए जाते हैं. इसे अचार, चटनी व मसाले के रूप में भी काम में लिया जा सकता है. इस में अनेक औषधीय गुण भी पाए जाते हैं.
अदरक के विभिन्न उत्पाद बनाने की विधि
अदरक में कई महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्व जैसे विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, जिंक, कौपर, मैगनीज और क्रोमियम पाए जाते हैं. अदरक में बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने की क्षमता होती है, इसलिए इस के नियमित सेवन करने से यह गले के संक्रमण से बचाता है. यह शरीर में पैदा होने वाले केलोस्ट्राल को कम कर देता है.
गर्भवती दुधारू पशुओं की देखभाल
ज्यादातर दुधारू पशु ब्याने के 3 से 4 महीने के अंदर गर्भ धारण कर लेते हैं. गर्भ की शुरुआत में उन को कोई खास अतिरिक्त आहार देने की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन जब गर्भ की अवस्था 5 माह की हो जाती है, तो गर्भ में पल रहा भ्रूण अपने विकास अवस्था में पोषक तत्त्वों के लिए मां पर ही निर्भर करता है.
पशुओं में अपच समाधान भी है जरुरी
भारत एक कृषि प्रधान देश होने के साथ ही पशुधन में भी प्रथम स्थान रखता है. पशुओं की देखभाल में पशुपालकों को अनेक तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. पशुपालकों को पशु स्वास्थ्य की बेसिक जानकारी होना बहुत जरूरी है, जिस से उन में होने वाले साधारण रोगों को पशुपालक समझ सकें और उन का उचित उपचार किया जा सके.
नैनो उर्वरक के प्रयोग से फसल उत्पादन में बढ़ोतरी
नैनो उर्वरकों को पारंपरिक उर्वरकों, उर्वरकों की थोक सामग्रियों के संश्लेषित या संशोधित रूप में या मिट्टी की उर्वरता, उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली नैनो तकनीक की मदद से विभिन्न रासायनिक, भौतिक, यांत्रिक या जैविक तरीकों से पौधे की विभिन्न वनस्पति या प्रजनन भागों से निकाला जाता है.
फरवरी महीने में खेतीकिसानी के काम
फरवरी माह में सर्दी कम होने लगती है और इस समय कई बार तेज हवाएं चलने लगती हैं, इसलिए गेहूं की फसल में सिंचाई करते वक्त इस बात का खयाल रखें कि ज्यादा तेज हवाएं न चल रही हों. उन के थमने का इंतजार करें और मौसम ठीक होने पर ही खेत की सिंचाई करें. हवा के फर्राटे के बीच सिंचाई करने से पौधों के उखड़ने का पूरा खतरा रहता है.
सेहत के लिए हैं खास
मिलेट्स (मोटे अनाज)