डोडो गधे के स्कूल में एक सप्ताह की छुट्टी थी. उस ने गांव में रहने वाले अपने अंकल डैनी गधे के घर जाने का निर्णय किया. उसे गांव जाना पसंद था, क्योंकि उस का चचेरा भाई जिस का नाम मोंटी था और उस की ही आयु का था, वहीं रहता था.
यह एक छोटा सा गांव था, जहां लगभग 10 परिवार रहते थे. यह शहर से दूर था. घरों के चारों ओर लीची और नाशपती के बगीचे थे.
गांव में शुरू के दो दिन तो बहुत ही खुश बीते. एक बड़े से कटोरे में जामुन खाते हुए डोडो और मोंटी ने समय बिताया.
डैनी अंकल और रोजी आंटी ने ठीक से उन का खयाल रखा.
एक दिन डैनी और रोजी ने आंटी को देखने के लिए हौस्पिटल जाने का निर्णय किया, जो काफी दूर रहती थीं.
“मुझे स्कूल का एक प्रोजैक्ट पूरा करना है, इसलिए मैं आप के साथ नहीं चल सकता,” मोंटी ने कहा.
"मैं इस की मदद करूंगा,” डोडो ने कहा.
“तुम दोनों यहां अकेले कैसे रहोगे?” डैनी ने हैरानी से पूछा.
“मैं अब बड़ा हो गया हूं और अपनी देखभाल खुद कर सकता हूं. इतना ही नहीं, डोडो भी तो मेरे साथ होगा. हमारे पड़ोसी जंबो हाथी और जेकू जेबरा भी तो यहीं है,” मोंटी ने उन्हें आश्वस्त किया.
जेकू जो अपने खेत पर काम कर रहा था, उस ने उन की बातचीत को सुना.
“अरे, बच्चों की चिंता मत करो. मेरा बेटा जेन ओर जंबो की बेटी जिन्नी उन के साथ खेला करेगी,” जेकू ने कहा.
“यह तो तुम्हारी मेहरबानी है,” रोजी बोली.
अगले दिन डैनी और रोजी अपने लगेज ले जाने को तैयार थे.
“घर का खयाल रखना. रात को दरवाजे का ताला बंद कर लेना. हम लोग कल शाम तक लौट आएंगे,” रोजी आंटी ने उन से कहा.
उन के निर्देश पर मोंटी और डोडो ने अपने सिर हिलाए.
जैसे ही मोंटी के मम्मीपापा वहां से गए, जेन और जिन्नी के साथ क्रिकेट खेलने के लिए वे पास के मैदान की ओर भागे.
वे शाम को घर लौटे और मोंटी अपने स्कूल का प्रौजैक्ट पूरा करने में जुट गया.
अगले दिन मोंटी स्कूल गया और डोडो एक कहानी की किताब पढ़ने लगा.
दोपहर बाद जब मोंटी स्कूल से घर लौटा, वह चिंतित दिखाई दे रहा था.
“क्या हुआ?” डोडो ने पूछा.
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