ओजस बगीचे में बैठा था. उसे शरारत सूझ रही थी. वह कभी पेड़ों की डालों में झूलता तो कभी तितलियों के पीछे भागता. उसे यह सब करने में बहुत मजा आ रहा था. ओजस बगीचे में अपने दादाजी के साथ था, जो बगीचे में रखे गमलों में पौधों को पानी दे रहा था.
ओजस खेलतेखेलते और उन में नुकीली लकड़ी से छेद करने लगा. उस ने पत्तियों को बिलकुल छलनी कर दिया था. उस के सामने पत्तियों का ढेर लग चुका था. दादाजी ने जब यह सब देखा तो उन्हें बहुत बुरा लगा. उन्होंने पूछा, "अरे, ओजस, यह सब क्या कर रहे हो. तुम ने पेड़ से कुछ पत्तियां तोड़ लाया से इतनी पत्तियां क्यों तोड़ लीं. अब इन में छेद कर के क्या कर रहे हो?"
ओजस हैरान रह गया और उस ने धीरे से कहा, "कुछ नहीं दादाजी, मैं तो खेल रहा हूं."
"यह कैसा खेल है? क्या तुम पेड़ों को भूखा रखना चाहते हो?" उस के दादाजी ने पूछा.
"मैं समझा नहीं. भला मेरे खेल खेलने से पेड़ कैसे भूखे रहेंगे?" ओजस ने हैरानी से पूछा.
"तुम्हें इतना भी नहीं मालूम कि पेड़ सूर्य की रोशनी में अपनी पत्तियों के सहारे ही भोजन का निर्माण करते हैं. अगर तुम उन की पत्तियां ही तोड़ दोगे तो वे बेचारे भूखे ही मरेंगे ना," दादाजी ने समझाया.
Diese Geschichte stammt aus der October First 2022-Ausgabe von Champak - Hindi.
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