मेन्स क्लोथिंग स्टोर यानी पुरुषों के कपड़ों की दुकान पर सेल्समैन के रूप में काम करते हुए डमरू गधे का यह पहला दिन था. दुकान में चारों में ओर कपड़ों का निरीक्षण करते हुए जब डमरू चल रहा था तो वह थोड़ा हैरान दिख रहा था.
वह रौकी गैंडा, जो मालिक था उस के पास गया. रौकी कैशियर की डैस्क पर बैठा पड़ताल में लगा हुआ था.
डमरू ने पूछा, “मालिक, क्या हम सैकंड हैं, कपड़े बेच रहे हैं? सारे कपड़े तो पुराने, फटे और मुरझाए से दिख रहे हैं. इतना ही नहीं, इन शर्ट्स में से तो कुछ की एक ही बाजू है, दूसरी बाजू है ही नहीं.” परंतु रौकी खुश लग रहा था.
वह हंसा और उस ने विस्तार से बताया, "नहीं, आजकल ये ही कपड़े फैशन में हैं और लोगों को भी इस तरह के कपड़े पसंद आते हैं."
त्योरियां चढ़ाते हुए डमरू ने पूछा, "बड़ी अजीब बात है. आखिर कोई ऐसे कपड़े क्यों पहनेगा?”
रौकी मुसकराया और चुलबुले अंदाज में बोला, "इन्हें छोड़ दो डमरू, ये न तो तुम्हारे लिए हैं और न ही मेरे लिए मेरे विचार से केवल एकदो व्यक्ति ही ऐसे कपड़े पहनते हैं."
तभी चीनू चीते ने दुकान में प्रवेश किया. डमरू तुरंत उस के स्वागत में आगे बढ़ा.
साफ दिख रहा था, चीनू ने वहां जो कुछ भी देखा, उस से वह बहुत खुश दिखाई दे रहा था. उस ने कुछ दे कमीजें चुनीं और डमरू को पकड़ा दी, वह कैशियर की टेबल पर कमीजों को रख आया.
चीनू रौकी के पास आया और खुशी से बोला, "मैं ये कमीज लूंगा. असल में तुम्हारे कलैक्शन को मैं इतना ज्यादा पसंद करता हूं कि मैं 100 कमीजों के और्डर देना चाहता हूं."
खुश होते हुए रौकी ने सोचा कि वह और्डर से कितना रूपया कमाएगा.
जब चीनू हर चीज की कीमत चुकाने वाला था, ठीक तभी डमरू मुसकराया और बड़ी मासूमियत से बोला, "सर, इस तरह की कमीजों को खरीदने वाला एक पागल ही होगा."
एक पल के लिए चीनू और रौकी अवाक रह गए थे.
तब चीनू गुस्से में चीखने लगा, “क्या कहा? मुझे ऐसा कहने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई?”
घबराते हुए डमरू ने रौकी की तरफ इशारा करते हुए विस्तार से बताया, “अररर... मैं नहीं, सर, ये हैं, जो ऐसा बोल रहे थे, जब आप यहां दुकान में प्रवेश कर रहे थे."
Diese Geschichte stammt aus der November First 2022-Ausgabe von Champak - Hindi.
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