आम के एक विशाल पेड़ पर बहुत सारे जानवर रहते थे. औंगा ओरंगउटान, लूसी मैना और औलो उल्लू उसी पेड़ पर एकसाथ रहते थे. लूसी का घोंसला पेड़ की एक टहनी के सब से ऊपर था. औंगा का घर उस के ठीक नीचे था और औलो पेड़ के तने के अंदर रहता था. औंगा अकसर सभी जानवरों से झगड़ता रहता था. वह अपने पड़ोसियों से भी लड़ताझगड़ता रहता था.
एक दिन औंगा जब सब्जी बाजार से वापस आ रहा था तो उस ने अपने पेड़ के पास बहुत से बच्चों को क्रिकेट खेलते हुए देखा. बौल उस के निकट आ कर गिरी.
बौल को देख कर औंगा चिल्लाया, “आजकल सभी बच्चे शरारती हो गए हैं. अगर बौल मुझे लगी होती तो सभी चीजें जिन्हें मैं ने खरीदा है, नीचे गिर जातीं."
“औंगा, तुम्हें बौल लगी नहीं है तो इतना गुस्सा क्यों कर रहे हो? बच्चों को बौल वापस दे दो,” औलो ने उसे समझाया.
"औलो, मुझे तुम पर शर्म आती है. बच्चे गलत काम कर रहे हैं और तुम उन का समर्थन कर रहे हो,” औंगा ने कहा और बौल फेंक कर वहां से चल दिया.
अगले दिन लूसी अपने घर को साफ कर रही थी. जब उस ने कुछ कूड़ा बाहर की ओर फेंका तो इस में से कुछ औंगा के घर पर गिर के गया. औंगा गुस्सा हो गया और अपने घर के सारे कचरे को उस के घर में फेंक दिया.
“औंगा, यह कचरा मेरे घर में डालने का क्या मतलब है?” लूसी ने पूछा.
“अगर तुम्हारे घर का कचरा मेरे घर में आता है तो मेरे घर का कचरा भी तुम्हारे घर में ही जाएगा, ' औंगा ने कहा.
Diese Geschichte stammt aus der December First 2022-Ausgabe von Champak - Hindi.
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दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"