रिंपी खरगोश और मोमो चूहा स्कूल से घर वापस लौट रहे थे. रास्ते में उन्हें पेड़ की डाल पर किन्नी कौवा बैठा दिखाई दिया.
"रिंपी, जल्दी चलो, अगर किन्नी ने हमें देख लिया तो वह फिर से हमारा मजाक उड़ाएगा."
"हां, तुम ठीक कह रहे हो. हमें बेकार में उस से अनावश्यक बहस में नहीं पड़ना चाहिए," रिंपी भी सहमति में सिर हिलाते हुए बोला और दोनों तेज कदमों से वहां से जाने लगे, लेकिन तब तक किन्नी की नजर उन पर पड़ चुकी थी.
"अरे, रिंपी और मोमो, स्कूल हो आए? स्कूल जा कर कुछ अक्ल बढ़ी या अभी भी मूर्ख ही रह गए," किन्नी ने उसे चिढ़ाते हुए कहा.
"किन्नी, तुम खुद तो स्कूल जाते नहीं हो और हमारा मजाक उड़ा रहे हो?" मोमो चिढ़ कर बोला.
"हाहाहा, स्कूल तुम्हारे जैसे मूर्खों के लिए है जिस से तुम्हारी अक्ल तेज हो, मेरे जैसे बुद्धिमान प्राणी के लिए नहीं."
"तुम और बुद्धिमान? ऐसा कौन सा बुद्धिमानी का काम किया है तुम ने?" रिंपी ने चिढ़ कर कहा.
"हम सभी कौवे जन्म से ही बुद्धिमान होते हैं, क्या तु ने मेरे परदादा की बुद्धिमानी के बारे में नहीं सुना? कैसे उन्होंने एक बरतन में पत्थर के टुकड़े डाल कर पानी का स्तर उठा कर पानी पी कर अपनी प्यास बुझाई थी," किन्नी गर्व भरे स्वर में बोला.
"किन्नी, अगर तुम्हारे परदादा बुद्धिमान थे तो ये जरूरी नहीं कि तुम भी बुद्धिमान हों, पढ़नेलिखने से से ही ज्ञान बढ़ता है और बुद्धि का विकास होता है," रिंपी ने समझाने का प्रयास किया.
"यह तुम नहीं तुम्हारी ईर्ष्या बोल रही है. तुम्हें ये सोच कर ही खराब लग रहा है कि हम कौवे जन्म से बुद्धिमान होते हैं," किन्नी हंसते हुए बोला तो रिंपी और मोमो उस से कुछ कहे बिना वहां से चले गए.
इसलिए बात को काफी दिन बीत गए. एक शाम रिंपी और मोमो मैदान में खेल रहे थे. खेलतेखेलते उन्हें प्यास लगने लगी.
"बस, मोमो खेलना बहुत हो चुका, अब घर चलते हैं," रिंपी हांफते हुए बोला.
Diese Geschichte stammt aus der December Second 2022-Ausgabe von Champak - Hindi.
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