चंपकवन स्कूल के प्रधानाध्यापक शेरसिंह बहुत ही सख्त थे. वे छोटीछोटी बातों पर भी बच्चों को कड़ी सजा देते थे.
लेकिन स्कूल के बच्चे भी शैतानी करने में किसी से कम नहीं थे. बारबार सजा मिलने पर भी वे शैतानियां करने से बाज नहीं आ रहे थे. शैतानी करने में चीकू खरगोश और उसका दोस्त जंपी बंदर, सैली गिलहरी, ऐली हाथी और गीगी जिराफ सब से आगे थे.
एक दिन शेरसिंह ने चीकू को उस की शैतानी पर सजा देने के लिए अपने औफिस बुलाया और उस को कान पकड़ कर खड़े रहने को कहा.
तभी डिक्की गधा जो स्कूल में चौकीदार था, हाथों में झंडा ले कर आया और शेरसिंह से बोला, "सर, गणतंत्र दिवस के लिए झंडा आ गया है."
"ठीक है डिक्की, इसे अलमारी के पीछे रख दो. मैं अभी स्कूल का राउंड लगा कर आता हूं और तुम चीकू, छुट्टी के समय तक कान पकड़ कर यहीं खड़े रहोगे."
हालांकि चीकू कान पकड़े प्रधानाध्यापक के कमरे में खड़ा था, लेकिन तब भी उस के दिमाग में शैतानी सूझ रही थी.
छुट्टी का समय हो गया था. सब जल्दीजल्दी अपना काम निबटा रहे थे, तभी चीकू ने मौका पाकर अलमारी के पीछे से झंडा उठाया और उसे अपने कोट के अंदर छिपा लिया.
छुट्टी होते ही वह कार्यालय से बाहर आया और बैग ले कर सीधे घर पहुंचा. उस का घर स्कूल के पास ही था.
घर पर बैग पटक कर वह सीधे अपने दोस्त जंपी के पास गया.
"जंपी, देखो मेरे पास झंडा है," अभी जंपी कोई जवाब देता तभी वहां उस के और दोस्त भी आ गए, क्योंकि छुट्टी के बाद सब खेलने के लिए इकट्ठे हो जाते थे.
सैली गिलहरी ने चीकू के हाथ में झंडा देख कर अपने दो दांत गड़ाए और कहा, "अरे, यह झंडा नहीं यह तो 'तिरंगा है.' "
ऐली ने अपनी सूंड़ उठा कर कहा, "अरे जंपी, तिरंगा तो स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर स्कूलों में फहराया जाता है. गणतंत्र दिवस तो कल ही है."
Diese Geschichte stammt aus der January Second 2023-Ausgabe von Champak - Hindi.
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