मधुबन में वसंतऋतु का आगमन हो चुका था, जिस से जंगल का मौसम बदलने लगा था. ठंडी हवाएं चलनी बंद हो गई थीं, उस की जगह शीतल व सुहानी हवाएं बहने लगी थीं. शीतऋतु में ठिठुरते हुए पेड़पौधों को जैसे नया जीवन मिल गया और वे से लहराने लगे थे. उन की शाखाओं पर तरहतरह के फूल खिलने लगे थे, जिस की वजह से हवा में खुशबू फैल गई थी. फूलों की रंगबिरंगी पंखड़ियां भंवरों और मधुमक्खियों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही थीं. वे एक फूल से उड़ कर दूसरे फूल पर जा कर पराग बटोरने में मग्न थे.
मधुबन के कुछ पक्षी जो ठंड के कारण दूसरे वनों में चले गए थे, वे अपनी मांदों और ठिकानों में लौटने लगे थे. उन की मधुर चहचहाट चारों ओर गुंजायमान हो रही थी, जिस से वसंतऋतु का आकर्षण और बढ़ गया था.
कुछ जानवर जो शीतऋतु के कारण शीत निद्रा में चले गए थे, वे भी अपनी मांदों और बिलों से बाहर निकल कर फिर जंगल में भ्रमण करने लगे थे. कुछ छोटेछोटे जीव, जिन का जन्म सर्दियों में हुआ था अभी तक भीतर ही दुबके हुए थे, वे अब कुछ बड़े हो गए थे और वसंतऋतु के आते ही खेलने लगे थे.
जैसेजैसे दिन लंबे होते जा रहे थे, सूरज तेजी से चमकने लगा था जिस से जंगल में गर्माहट फैल गई। थी. पेड़पौधों के फलनेफूलने से पशुपक्षियों के खानेपीने की सामग्री भी पर्याप्त होने लगी थी अब जंगल पशुपक्षियों की सुखद आवाज से जीवंत हो गया था. सब खुश थे कि हम इतने खास मौसम का आनंद उठा रहे हैं.
इसी दौरान जंगल के राजा शेर सिंह ने एक सभा बुलाई, जिस में मधुबन के सभी जानवर शामिल हुए. सभा में यह ऐलान किया गया कि जंगल के सभी जानवर वसंतऋतु के आगमन का उत्सव एकसाथ मनाएंगे और एक बहुत बड़ी पार्टी रखेंगे.
Diese Geschichte stammt aus der February Second 2023-Ausgabe von Champak - Hindi.
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