अगर तुम रागिनी से पूछते कि स्कूल की लाइब्रेरी में सब से उबाऊ किताब कौन सी थी तो वह तुरंत कहती, "राजकुमार जो एक टावर में फंस गया था. सामान्यतया वह इस 800 पृष्ठों वाली किताब को उठाना नहीं चाहेगी, लेकिन उस की परीक्षा निकट आ रही थी, उस के मम्मीपापा ने सख्ती से उस पर नई किताबें खरीदने की पाबंदी लगा रखी थी. इस के अतिरिक्त उस ने लाइब्रेरी के अन्य नौवल्स को पढ़ लिया था, इसलिए उसे इस नीरस किताब पर संतोष करना पड़ा था.
यह वह दिन था, जब उसे इस नौवल को लौटाना था. लाइब्रेरी में जाने से पहले उस ने इस किताब को अपने ने स्कूल बैग से बाहर निकाला और हस्ताक्षर किए. कहने की आवश्यकता नहीं थी, उस ने इसे पढ़ना समाप्त नहीं किया था.
"मैं इस से बेहतरीन किताब लिख सकती थी,” वह बड़बड़ाई और यह जांचने के लिए अंतिम बार फिर से किताब को खोला कि कोई पृष्ठ मुड़ा हुआ तो नहीं है. लाइब्रेरियन को उस से बहुत घृणा होती थी जो किताब को नुकसान पहुंचाता था.
वह थोड़ी देर के लिए रुकी, “बिलकुल खाली ?” हैरानी से वह चिल्ला उठी. उस नौवल यानी उपन्यास के पृष्ठों को उस ने जल्दी से पहलटना शुरू कर दिया. “सारे पृष्ठ खाली हैं. लेकिन यह कैसे संभव हो सकता है? सारे शब्द, वाक्य इन्हीं पृष्ठों पर तो थे जब मैं ने थोड़ी देर पहले इन्हें पलटा था."
रागिनी को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था. वह इस उपन्यास को लौटा भी नहीं सकती थी. इस उपन्यास को लाइब्रेरियन वापस ले ही नहीं सकता था और इस के साथ खिलवाड़ करने के लिए निश्चित तौर पर लाइब्रेरियन उस पर जुर्माना लगाएगा.
तभी उस के बैग के अंदर सरसराहट हुई. ऐसा लग रहा था जैसे कोई छोटा जीव उस के बैग के अंदर घूम रहा था. रागिनी ने अपने बैग में झांक कर देखा और उस की पाठ्यपुस्तकों के बीच से एक छोटा सा लड़का निकला. हैरानी से रागिनी की चीख निकल गई और उस ने अपना बैग फर्श पर गिरा दिया.
Diese Geschichte stammt aus der February Second 2023-Ausgabe von Champak - Hindi.
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