निखिल और रवि के घर आसपड़ोस में थे. दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और अकसर एकदूसरे के घर आयाजाया करते थे. निखिल के चाचा फोरेस्ट औफिसर थे. स्कूल की छुट्टियों के दौरान नि निखिल के चाचा ने कहा, “तुम इस बार छुट्टियों में मेरे पास आ जाओ. मैं तुम्हें जंगल घुमाऊंगा, जहां मैं तुम्हें कोबरा सांप भी दिखाऊंगा.”
“पर चाचा, मैं आऊंगा कैसे?” निखिल ने पूछा.
“यहां से नेशनल पार्क 3 घंटे की दूरी पर ही तो है, तुम्हारा भाई आ कर तुम्हें छोड़ देगा, ' चाचा बोले.
“चाचा, क्या मैं अपने दोस्त रवि को साथ ला सकता हूं?”
“हां, हां, क्यों नहीं. मैं ड्यूटी जाऊंगा तो तुम अकेले बोर भी नहीं होगे."
दोनों दोस्तों ने अपने मम्मीपापा से स्वीकृति ली और यात्रा की तैयारी करने लगे.
निखिल ने कहा, “कपड़ों और गेम्स के अलावा हमें कुछ और सामान भी रखना होगा."
“क्या सामान?” रवि ने पूछा.
“जंगल में जा रहे हैं, इसलिए जंगली जानवरों से सामना हो गया तो अपने बचाव के लिए हमारे पास कुछ तो होना चाहिए.”
“लेकिन चाचा के रहते हमें क्या डर ?” रवि कहा.
"वे हर समय हमारे साथ थोड़े रहेंगे? हमें अपनी सुरक्षा का खुद भी ध्यान रखना होगा. एक तो हम दीवाली पर पटाखे छुड़ाने वाली पिस्तौल रखेंगे. मैं ने सुना है आवाज से डरकर जानवर दूर भाग जाते हैं."
“वे लाइट से भी डरते हैं. चलो, टौर्च भी रख लेते हैं," रवि ने राय दी.
दोनों पहली बार जंगल में घूमने जा रहे थे. जोश में भर कर उन्होंने सारी तैयारी कर ली.
3 दिन बाद वे दोनों चाचा के पास पहुंच गए. चाचा उन्हें देख कर बहुत खुश हुए.
वे बोले, "थोड़े दिन मेरा भी मन लग जाएगा, यहां अकेलापन लगता है."
जंगल का वातावरण बच्चों को बहुत अच्छा लगा. एकदम शांत, साफ हवा, ट्रैफिक का शोर नहीं, पक्षियों के चहचहाने की आवाजें बहुत अच्छी लग रही थीं. रात को थोड़ा डरावना लगा पर चाचा के साथ होने से उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई.
राजेश नाम का एक लड़का चाचा के पास रहता था. वही घर के सारे काम करता था. एक दिन शाम को चाय पीते समय निखिल ने पूछा, “चाचा, यहां कौनकौन से जानवर हैं?"
Diese Geschichte stammt aus der March Second 2023-Ausgabe von Champak - Hindi.
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होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
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पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"