मूर्खों का शहर अक्कलपुर
Champak - Hindi|April First 2023
मुरलीधर को यात्रा करना पसंद था. एक दिन वह एक नए शहर अक्कलपुर पहुंचा. उस ने देखा कि गेट हल्के से खुले हुए थे. सिक्योरिटी गार्ड्स गहरी नींद में सोए हुए थे...
नेहा भाटिया
मूर्खों का शहर अक्कलपुर

शहर में प्रवेश करने पर उन्होंने देखा, सड़कें धूल भरी और सुनसान थीं. कुछ दुकानें थीं, लेकिन एक भी दुकानदार वहां नजर नहीं आ रहा था.

आखिरकार उस ने एक आदमी को देखा और एक मुसकान के साथ उससे पूछा कि उसे कुछ खाना और पानी कहां से मिल सकता है. उस आदमी ने अपना सिर उठाया और बुदबुदाते हुए कहा, "क्या?”

मैं ने कहा, “क्या आप मुझे कोई ऐसी जगह बता सकते हैं, जहां से मैं कुछ खाना और पानी खरीद सकता हूं?”

उस आदमी ने ऐसा अभिनय किया जैसे उस ने किसी भूत को देखा हो और वह भाग गया.

‘अजीब बात है,‘ मुरलीधर ने मन ही मन सोचा और आगे बढ़ गया. कुछ देर चलने के बाद वह एक नाले पर पहुंचा, जिस में कई फलों के पेड़ थे. उस ने जल्द पानी पीया और कुछ फल तोड़ने के लिए एक पेड़ पर चढ़ गया. तभी उस ने देखा कि एक आदमी धातु के ने कुछ बड़े बेलन लिए हुए है और सूरज को अपनी कुहनियों को उठा कर इशारा कर रहा है.

मुरलीधर उस आदमी के पास गया और बोला, "उह, हैलो, तुम क्या कर रहे हो?” आदमी ने कोई जवाब नहीं दिया.

“मैं यह जानना चाहता था कि तुम क्या कर रहे हो? मेरा नाम मुरलीधर है... और मैं एक..."

“क्या तुम देख नहीं रहे हो? मैं धूप इकट्ठा कर रहा हूं,” उस आदमी ने गुस्से से कहा.

“धूप इकट्ठा कर रहे हो? लेकिन क्यों?”

“क्या तुम मूर्ख हो? कल जब सूरज नहीं निकलेगा तो क्या होगा? अगर तुम जिंदा रहना चाहते हो, तो तुम्हें अपने लिए कुछ धूप इकट्ठी कर लेनी चाहिए.“

“लेकिन तुम इस तरह धूप इकट्ठा नहीं कर सकते.”

उस आदमी ने अपना सिर हिलाया और चला गया. मुरलीधर आश्रय खोजने के लिए शहर की सड़कों की ओर चल दिया. रास्ते में उसे एक सुनसान मंदिर दिखाई दिया. वह यह देख कर हैरान रह गया कि चौकोर प्रांगण के बीचोंबीच एक बिना छत वाला सादा चौक है जिस के बीच में एक बड़ी पथरीली चट्टान है. एक आदमी उस विशालकाय भूरे रंग के पत्थर पर बारबार अपना माथा पटक रहा था.

मुरलीधर उसे रोकने उस आदमी के पास पहुंचा.

Diese Geschichte stammt aus der April First 2023-Ausgabe von Champak - Hindi.

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