दोस्तों के बिना चीकू खुद को बड़ा उदास महसूस कर रहा था. उस की मां ने उसे उदास देखा और कहा, "चीकू, तुम बहुत उदास हो. हम इस बार कहीं घूमने भी नहीं जा पाए. चलो, इस बार तुम्हें तुम्हारी नानी के गांव घुमा कर लाती हूं."
यह सुनते ही चीकू खुशी से उछल पड़ा. उस की इच्छा बहुत दिनों से गांव घूमने की थी, क्योंकि दिल्ली में वह बहुत उदास हो रहा था.
अगले दिन वह अपनी मां के साथ गांव पहुंच गया. उस ने गांव के बच्चों को नदी में नहाते और मस्ती करते देखा. शाम को वे कबड्डी, कुश्ती, लुकाछिपी जैसे तमाम खेल खेलते.
चीकू ने जल्दी ही जंपी बंदर, सैली गिलहरी, गिगी जिराफ, ब्लैकी भालू, कैमी बछड़े आदि बच्चों से दोस्ती कर ली. अब चीकू भी इन सब के साथ खूब मस्ती करता. दिल्ली में तो उस के कुछ ही दोस्त थे, वे भी दूरदूर रहते थे, लेकिन यहां तो उस को ऐसा लगता था जैसे पूरा गांव ही उस का दोस्त हो.
एक दिन गांव के बच्चों ने एक अलग तरह का खेल खेलने का फैसला किया. उन्होंने इसे 'अदालत' नाम दिया. चीकू के दोस्त जंपी के लिए एक कुरसी रखी गई थी और कुरसी के सामने एक मेज रखी गई. मेज पर एक लकड़ी का हथौड़ा रखा हुआ था.
उस कुरसी के पीछे न्याय की देवी का तराजू पकड़े और आंख पर काली पट्टी बांधे चित्र भी टांगा गया था. उस कुरसी पर बैठते ही जंपी न्यायाधीश बन गया और बच्चों के झगड़े सुलझाने लगा.
Diese Geschichte stammt aus der June First 2023-Ausgabe von Champak - Hindi.
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आए गांधी बाबा
\"बाबा, इतनी सुबहसुबह आप कहां चल दिए?\" स्काई पार्क में बैठे गांधी बाबा के क्रांतिकारी साथियों ने पूछा. वह मुसकरा दिए...