होली आने वाली थी, सभी जानवरों ने दूसरों को रंगने की योजना बनानी शुरू कर दी थी. हर घर में खास पकवान बनने लगे और जंगल स्वादिष्ठ पकवानों की खुशबू से महक गया था.
जंपी बंदर और उस के दोस्तों ने नारियल के खाली खोलों को जमा किया, उन में रंग भरे और उन्हें दिया ताकि जो भी नीचे से गुजरे उस पर रंग डाला जा सके.
लंबे पेड़ों की शाखाओं में छिपा "यह काफी मजेदार होगा, है न? कोई भी यह अनुमान नहीं लगा पाएगा कि उस पर रंग कैसे लगा,” मिमी बंदर ने पेड़ की शाखाओं पर रंगों से भरे नारियल के खोल ठीक करने की कोशिश करते हुए कहा, लेकिन अचानक वह अपना संतुलन खो बैठा और नारियल का खोल टूट कर जंपी पर जा गिरा, जो पेड़ के नीचे खड़ा था. इस से जंपी को चोट लगी.
डमरू ने जंपी के सिर पर नारियल गिरते देखा तो वह जल्दी से उस की तरफ दौड़ा और उसे अपनी पीठ पर बिठा कर डाक्टर के पास भागा. डाक्टर ने जंपी के सिर पर पट्टी बांध दी. डमरू ने जंपी को वापस घर छोड़ दिया.
डमरू की लोकप्रियता और उसे मिलने वाले प्यार ने लोमड़ भाइयों बैडी और बेन्नी को ईर्ष्या से भर दिया.
लोमड़ भाइयों का डमरू के स्वभाव से एकदम अलग था. उन्हें दूसरों को परेशान करने और उन की चीजें चुराने में खुशी मिलती थी. वे डमरू की अच्छाइयां देखना सहन नहीं कर सकते थे.
"वह अभी हाल ही में वन में आया और हरेक का पसंदीदा बन गया,” नाराज बैडी ने बेन्नी से कहा.
"हां, वह मूर्ख है, लेकिन उस की अच्छाइयां मुझे परेशान करती हैं. आज वह होली पर होने वाले हास्य कवि सम्मेलन के लिए जंबो हाथी और चीकू खरगोश की मंच तैयार करने में मदद कर रहा है.' “हां, दो दिन पहले मीकू चूहा बीमार हो गया था.
डमरू मीकू के लिए मार्केट से काफी सामान लाया और उस के घर पहुंचा दिया,” बैडी ने कहा.
"मैं सोचता हूं कि उसे इस हद तक परेशान कर दूं कि वह हमारा जंगल छोड़ कर भाग जाए,” बेन्नी बोला.
“हां, हमें उस के हरेक की मदद करने वाले जुनून से पीछा छुड़ाना चाहिए. अरे, मुझे एक आइडिया सूझा है, क्यों न हम होली के दौरान उसे एक सबक सिखाएं ?” बैडी ने सुझाव दिया. “हां, जल्दी से मुझे अपनी योजना समझाओ, " बेन्नी ने उत्सुकता से कहा.
Diese Geschichte stammt aus der March Second 2024-Ausgabe von Champak - Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der March Second 2024-Ausgabe von Champak - Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.
फौक्सी को सबक
एक समय की बात है, एक घने, हरेभरे जंगल में जिंदगी की चहलपहल गूंज रही थी, वहां फौक्सी नाम का एक लोमड़ रहता था. फौक्सी को उस के तेज दिमाग और आकर्षण के लिए जाना जाता था, फिर भी वह अकसर अपने कारनामों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता था. उस के सब से अच्छे दोस्त सैंडी गौरैया, रोजी खरगोश और टिम्मी कछुआ थे.
बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.