एक दिन अमेरिका से तनु के चाचाजी का फोन आय कि वे होली पर सपरिवार भारत आ रहे हैं. तनु यह सुन कर बड़ी खुश हुई, जब उसे पता चला कि चाचाजी की बेटी सलोनी जो उस की हमउम्र है, वह भी आ रही है. उस के साथ मिल कर वह होली पर धमाल मचाएगी.
तनु अपने पापा के साथ सलोनी और उस के मम्मी पापा को लेने एअरपोर्ट गई.
वहां से लौटते समय तनु और सलोनी ने कार में खूब बातें कीं. बातों ही बातों में तनु ने सलोनी से कहा, “सलोनी, इस बार होली खेलने में तुम्हारे साथ खूब मजा आएगा."
"ओह इडियट तनु, तुम यह क्या कह रही हो? सुनो, मैं बिलकुल भी होली नहीं खेलूंगी. मुझे तो रंगों से ही नफरत है, " सलोनी ने चिढ़ते हुए कहा.
सलोनी की यह बात सुन कर तनु हैरान रह गई. उसे समझ नहीं आ रहा था कि होली खेलने के नाम पर सलोनी इतना भड़क क्यों गई? वह उसे 'इडियट' क्यों कह रही है और उसे रंगों से इतनी नफरत क्यों है?
घर पहुंच कर तनु ने चाचाजी से पूछा कि सलोनी गुस्से में क्यों है?
"तनु, पिछली होली पर जब हम सलोनी के मामा के घर मथुरा गए थे तब बच्चों ने सलोनी को गोपी की तरह तैयार किया था. लड़कियों ने सलोनी को रंगों से इतना नहलाया कि वह बहुत घबरा गई. तब से उसके मन में होली के प्रति नफरत हो गई है, ” उस के चाचा ने समझाया.
"ओह, बेचारी सलोनी, अब समझ में आया कि सलोनी होली और रंगों के नाम पर इतनी भड़क क्यों गई थी,” तनु ने अपनी चचेरी बहन से सहानुभूति जताते हुए कहा.
"हम ने होली का डर और उस की रंगों से नफरत को दूर करने के बहुत से उपाय किए, लेकिन कामयाब नहीं हुए. अगर तुम्हारे पास इस का कोई उपाय हो तो मुझे बताओ,” उस के चाचा ने कहा.
तनु ने कुछ देर सोचा और फिर बोली, "चाचाजी, मेरे पास एक बहुत बढ़िया उपाय है, जिस की वजह से सलोनी होली और रंगों से नफरत नहीं करेगी, लेकिन आप को इस के बदले हमें दिल्ली चिड़ियाघर दिखाना होगा."
"तनु, तुम उपाय तो बताओ. मैं तुम्हारी हर शर्त पूरी करने के लिए तैयार हूं,” चाचाजी ने वादा किया.
Diese Geschichte stammt aus der March Second 2024-Ausgabe von Champak - Hindi.
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