उनके साथ अप्पप्पन यानी उन के दादाजी भी रहते थे, जो बड़े गुस्सैल थे, लेकिन प्यार और गर्मजोशी से मुसकराने वाले भी थे. वे अपने किसी न किसी काम में लगे रहते थे.
एक दिन उन के लिविंगरूम का नजारा ही कुछ और था. सबकुछ इधरउधर, तितरबितर फैला पड़ा था. अप्पप्पन ने टीवी का रिमोट ढूंढा, तकिए के नीचे, कुरसी के पीछे, चारों तरफ देखा, लेकिन रिमोट का कोई अतापता नहीं था. खीज में सिकुड़ी भौंहों के साथ उन्होंने अपने सफेद बालों पर कंघी की.
'रिमोट कहां है?' वे बड़बड़ाते हुए गुर्राए. जुड़वां बच्चों तियान और जुआन की हुड़दंग पर एकाएक ब्रेक लग गया. वे एकदम शांत हो गए. फिर उन्होंने एकदूसरे की तरफ इशारा किया व आरोप लगाया, "इस ने रिमोट लिया था, मैं ने नहीं," अप्पप्पन की त्योरियां चढ़ गईं. वे गरजे, "उसे ढूंढ़ो, तुम ढूंढ़ोगे, ठीक."
दोनों ने रिमोट ढूंढ़ना शुरू किया चारों तरफ ढूंढ़ा. कुरसी के नीचे, तकिए, कुशन, सोफा, बेड सभी जगह ढूंढ़ा. साथ ही तियान की चीख और जुआन की खिलखिलाहट कमरे में गूंजती रही.
अचानक रिमोट मिल गया. अब शांति फैल गई. कमरे में शांति थी, लेकिन फिर भी अप्पप्पन ने उन्हें डांटते हुए कहा, "सावधान, कोई हंगामा नहीं."
Diese Geschichte stammt aus der May First 2024-Ausgabe von Champak - Hindi.
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