एक बात और प्रधानमंत्री के रूप में उन के व्यस्त कार्यक्रमों के कारण उन के पास ज्यादा खाली समय नहीं था, लेकिन उन्होंने बच्चों के लिए समय निकाला, क्योंकि उन्हें उन के साथ रहना अच्छा लगता था.
उन्होंने बच्चों को संबोधित अपने पत्र में कहा था, "मुझे बच्चों के साथ रहना, उन से बात करना और उस से भी अधिक उन के साथ खेलना पसंद है. तब मैं भूल जाता हूं कि मैं बूढ़ा हो गया हूं और काफी समय बीत चुका है, जब मैं बच्चा हुआ करता था."
इन्हीं मैत्रीपूर्ण सरल विचारों के कारण बच्चों के लिए वे प्रधानमंत्री नहीं बल्कि उन के प्रिय चाचा थे, इसीलिए बच्चे उन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' कहते थे.
नेहरूजी का मानना था कि बच्चों को सुधारने का एकमात्र आसान तरीका प्यार से उन का दिल जीतना है. इसी विश्वास से जब भी वे बच्चों से मिलते, उन से दोस्ती करते थे.
उन्होंने बच्चों तक पहुंच बनाने के लिए पत्रों का सहारा लिया. 'भारत के बच्चों के नाम एक पत्र शीर्षक वाले ऐसे ही एक पत्र में नेहरूजी ने बच्चों को अपने आसपास के जीवन और सुंदरता के प्रति प्रेरित किया.
उन्होंने लिखा, "हमारा देश बहुत बड़ा है और हम सभी को बहुत कुछ करना है. अगर हम में से हर कोई अपना छोटा सा योगदान दे, तो देश समृद्ध होगा और आगे बढ़ेगा.”
चाचा नेहरूजी ने भारत के बच्चों के भविष्य को मजबूत बनाने के लिए कड़े कदम उठाए, क्योंकि वे जानते थे कि शिक्षित और जागरूक बच्चे ही कई वर्षों तक अंग्रेजों के शासन के बाद भारत की प्रगति की कुंजी हैं.
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जो ढूंढ़े वही पाए
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डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
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\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.
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पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
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