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लंबे समय से चल रही खांसी हो सकती है टीबी
Sadhana Path|February 2024
टीबी या ट्यूबरक्लोसिस दुनिया भर में मौजूद जानलेवा और संक्रामक बीमारियों में एक है। हमारे देश में यह तपेदिक या क्षय रोग के नाम से भी जानी जाती है। यह किसी को भी हो सकती है लेकिन समुचित इलाज कराने पर यह ठीक भी हो सकती है।
- रजनी अरोड़ा
लंबे समय से चल रही खांसी हो सकती है टीबी

टीबी माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्यूलोसिस बैक्टीरिया से होता है। बैक्टीरिया हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलते हैं। यह ड्रॉपलेट इंफेक्शन है। टीबी रोगी के छींकने, खांसने या फिर थूकने के दौरान निकली बैक्टीरिया युक्त बूंदें हवा में फैल जाती हैं। जब कोई स्वस्थ व्यक्ति मरीज के थूक, बलगम और सांस के संपर्क में आता है, तो टीबी के बैक्टीरिया सांस के माध्यम से उसके शरीर में पहुंच जाते हैं। इसके साथ ही टीबी थूक के ड्रॉपलेट न्यूक्लीआई यानी सूखने के बाद बचे छोटे से कण से भी फैल सकता है और किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। सबसे पहले फेफड़ों को अपनी चपेट में लेते हैं। समुचित उपचार न होने पर बैक्टीरिया फेफड़ों से खून में मिलकर शरीर के दूसरे अंगों तक भी पहुंच जाता है और उन्हें संक्रमित करता है। 

टीबी का प्रकार

गुप्त तपेदिक (लेटन्ट टीबी) जिसमें बैक्टीरिया सुप्तावस्था में होता है, जो बहुत कम बढ़ता है। रोगी को तपेदिक के तो कोई लक्षण नजर नहीं आते, लेकिन अक्सर वो किसी न किसी बीमारी की चपेट में आता रहता है।

दूसरी स्टेज में इम्युनिटी कमजोर होने पर सुप्तावस्था में पड़ा क्षयरोग के बैक्टीरिया सक्रिय होकर तेजी से मल्टीप्लाई करने लगता है। व्यक्ति पर अटैक करते हैं और उसमें टीबी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। यह फेफड़ों में (थोरेसिक) या फेफड़ों के बाहर (एक्स्ट्राथोरेसिक) शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है जैसे - आंतों, लिम्फनोड, सर्वाइकल, लिवर, हड्डियों, स्पाइन, मस्तिष्क। तीसरी स्टेज-ट्यूबरकुलर सीक्वेल स्टेज होती है जिसमें टीबी के बाद होने वाली परेशानियां होती है। 

क्या है लक्षण 

टीबी से व्यक्ति के शरीर की चार कार्यप्रणालियां प्रभावित होती हैं- प्रजनन क्षमता, इम्यून सिस्टम, मस्कूलर सिस्टम यानी जोड़ो में तकलीफ।

गुप्त टीबी में व्यक्ति को बार-बार सर्दी-जुकाम होना, वजन में कमी, भूख न लगना, पेट फूलना, एसिडिटी, कब्ज जैसी पाचन तंत्र संबंधी समस्याएं, बहुत ज्यादा थकावट और कमजोरी, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। संभव हो तो उसे लेटन्ट टीबी की जांच जरूर करानी चाहिए।

टीबी होने पर मरीज में ये लक्षण देखे जाते हैं-

Diese Geschichte stammt aus der February 2024-Ausgabe von Sadhana Path.

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