अनेकता में एकता के वाहक देश भारत को पर्वों का देश कहा जाता है। भारतीय पर्वों की लंब सूची में स्नान पर्वों का विशेष महत्त्व है। इन्हीं स्नान पर्वों में शामिल है कुम्भ पर्व। समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त अमृत के लिए जब देवताओं तथा राक्षसों में टकराव हुआ तो देवता अमृत की रक्षा के लिए विभिन्न कंदराओं में छिपे। उसी दौरान अमृत की कुछ बूंद जिन चार स्थानों पर गिरीं, वहां कुम्भ नामक पर्व मनाया जाता है। प्राचीन भारतीय ग्रंथों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि अमृत कलश कुछ बूंदे, जिन स्थानों पर गिरीं, उनमें से अमृत की , इलाहाबाद (अब प्रयागराज, उ. प्र.), नासिक-त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र), उज्जैन (म. प्र.) तथा हरिद्वार (उ.प्र.) का समावेश है। उत्तर प्रदेश की प्रमुख धार्मिक नगरी इलाहाबाद में जिसे कुछ दिनों पहले ही प्रयागराज नाम दिया गया है, में इस वर्ष अर्धकुम्भ का आयोजन किया जाएगा। मकरसंक्रांति (14 जनवरी) से शुरू होने वाला यह अर्धकुम्भ मेला शिवरात्रि (4 मार्च) को समाप्त होगा। कुम्भ मेले में शाही स्नान की परंपरा का अनुपालन प्रयागराज में होने वाले अर्धकुम्भ में भी किया जाएगा। इसके तहत 14 तथा 15 जनवरी, 2019 को पहला शाही स्नान होगा, जबकि 4 फरवरी, 2019 को मौनी अमावस्या के दिन दूसरा शाही स्नान होगा। वसंत पंचमी के दिन 10 फरवरी को तीसरा, माघी एकादशी के दिन 16 फरवरी को चौथा, 19 फरवरी माघी पुर्णिमा को पांचवां तथा महाशिवरात्रि के अवसर पर 4 मार्च को छठवां शाही स्नान होगा। इन सभी शाही स्नानों में एक बात बड़ी प्रखरता से देखने को मिलेगी कि नदी के तट पर भेदभाव भूल कर सभी एक साथ आस्था की डुबकी लगाते हुए दिखाई देंगे। कुम्भ पर्व पर आस्था की डुबकी लगाने वालों में सभी वर्गों के लोगों का समावेश रहता है। कुम्भ के दौरान होने वाले शाही स्नान में नागा साधुओं का विशेष महत्त्व होता है, ये शाही स्नान का मुख्य आकर्षण होते हैं। कुम्भ स्नान में नागा साधुओं को विशेष महत्त्व इसलिए दिया जाता है, क्योंकि इन्हें भगवान शिव का प्रतिनिधि माना जाता है, इसलिए पहले नागा साधु स्नान करते हैं, उसके बाद अन्य लोगों को स्नान करने का अवसर दिया जाता है।
एकता का परिचायक
Diese Geschichte stammt aus der January 2025-Ausgabe von Sadhana Path.
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सर्दियों में भी रखें वास्तु का ख्याल
सर्दी के इस मौसम में कुछ वास्तु उपाय करके आप सकारात्मक परिणाम प्राप्त कर सकते हैं कौन से हैं वो उपाय आइए लेख के माध्यम से जानें?
विश्व का महापर्व नववर्ष
विश्व के सभी देशों की अपनी अलग परंपराएं और पर्व होते हैं। किन्तु नववर्ष एक ऐसा पर्व है जो सभी देशों द्वारा एक साथ मनाया जाता है। भले ही इस पर्व को मनाने के तरीके अलग हों।
हम नित्य नवीन हों
जीवन में नवीनता का अर्थ क्या है नित्य नवीनता, नित्यनूतन सकारात्मकता। उस परमात्मा के उद्देश्य को पूर्ण करना जिसने बड़े प्रेम से सृष्टि और मनुष्य की रचना की है, इस शरीर में सब कुछ होते हुए भी प्राण निकलने पर इस शरीर में दुर्गंध आने लगती है। अगर हम एक पेंटिंग बनाते हैं तो हम कितने खुश होते हैं यदि कोई पेंटिंग खराब कर दे तो हमें कितना बुरा लगता है। हम सब ईश्वर की बनाई हुई एक सुन्दर कृति हैं हम जब बुरे कर्म करते हैं तो उस परमेश्वर को कितना दुख होता होगा, नवीन हम तभी बनेंगे जब हम नकारात्मक विचार त्यागेंगे और जीवन के सकारात्मक उद्देश्य को आत्मसात करेंगे। महात्मागांधी ने कहा है -
सामाजिक आदर्श का प्रतीक बने कुम्भ मेला
स्नान, दान का महापर्व कुम्भ आस्था का ऐसा मेला है जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु जन पहुंचते हैं। मेला किन अर्थों में महत्त्वपूर्ण व किस प्रकार सामाजिक आदर्श का प्रतीक बन सकता है। आइए जानते हैं लेख से।
हिन्दू ग्रंथों में महाकुम्भ
महाकुम्भ की महिमा का गुणगान हमारे धर्मग्रंथों में भी मिलता है। महाकुम्भ पर क्या कहते हैं हमारे धर्म ग्रंथ व कुम्भ में स्नान के महत्त्व को? आइए जानते हैं लेख से
जीवनशैली में बदलाव लाकर बनाएं पैन्क्रियाज को सेहतमंद
पाचन संबंधी परेशानियां हैं तो पेट से संबंधित कोई भी छोटी-सी समस्या को न करें नजरअंदाज, ऐसा न हो कि पैन्क्रियाटाइटिस या पैन्क्रियाटिक कैंसर जैसे रोग का करना पड़े सामना। सावधान रहें, स्वच्छ और पौष्टिक आहार को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
शरीर ही बताए अच्छी सेहत का राज
अब आपके दिमाग में सवाल उठेगा कि हमारी मानसिक और शारीरिक सेहत अच्छी है, इसका पता कैसे लगे? तो बता दें कि यह जानने के लिए आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है। आपका शरीर खुद ही बताएगा कि आप आंतरिक रूप से स्वस्थ हैं कि नहीं। इन 11 लक्षणों से जानें, जो सेहतमंद होने की निशानी है।
सर्दी का मौसम व बच्चों की देखभाल ऐसे करें
सर्दियां शुरू हुई नहीं कि माएं अपने नन्हे-मुन्नों को सिर से पैर तक ऊनी कपड़ों से ढंक देती हैं ताकि उनके नवजात शिशुओं को कहीं से भी ठंड अपनी चपेट में ना ले सके। ऊनी कपड़ों के अलावा कुछ उपाय भी हैं, जिनसे आपके शिशु ठंड में भी राहत की सांस ले सकते हैं।
महीनों और मौसम के साथ बदलता मिज़ाज
साल के 12 महीनों में सिर्फ कैलेंडर के पेज ही नहीं बदलते बल्कि हर महीने के अनुसार हमारा मूड भी बदलता रहता है। तो चलिए जानते हैं क्यों और कैसे बदल जाता है हर मौसम के हिसाब से मूड...
डिटॉक्स वॉटर से कम करें वजन
पानी का स्वाद और पोषण बढ़ाने के लिए उसमें कई तरह के फलों और सब्जियों को मिलाकर डिटॉक्स वॉटर बनाया जाता है। ये वॉटर आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के साथ वजन भी नियंत्रित करता है।