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सोना मोहपात्रा
मैं ऐक्टिविस्ट नहीं कलाकार हूं, संगीत बनाना मेरा काम है
शादीशुदा बेटी के जीवन में क्या सही है मां का दखल
मां और बेटी का रिश्ता बेहद अंतरंग व अनोखा होता है. लेकिन, बेटी की चिंता के चलते मां का उस के शादीशुदा जीवन में दखल देना अकसर कई मुसीबतें खड़ी कर देता है..
गरीबों की आड़ में पंडितों का जुगाड़
धर्म बेहद संवेदनशील विषय है और इसे धंधा कहने पर अकसर लोगों में आक्रोश उमड़ आता है. परंतु जब सभी आंकड़े व तथ्य भी यह सिद्ध करते हों कि धर्म धंधे से ज्यादा कुछ नहीं, क्या तब भी इस की पैरवी करना समझदारी है?
चिंता और विकार से भरा रोग ओसीडी
ओसीडी होने पर व्यक्ति को मालूम ही नहीं होता कि उस के दिमाग में जो विचार आ रहे हैं वे सही भी हैं या नहीं. इस दौरान वह एक ही कार्य को बारबार करने के लिए बाध्य हो जाता है. यह दिमागी बीमारी ठीक तो नहीं हो सकती लेकिन इलाज से लक्षणों को नियंत्रण में लाने में मदद मिल सकती है.
डरना नहीं जीना है हमें
माना विश्व कोरोना से भयभीत है लेकिन इस का मतलब यह नहीं कि हम इस डर के चलते जीना ही छोड़ दें. बीमार होने से पहले बीमारी के भय में जीना बेवजह की दोहरी मार है. आइए जानें कि किस तरह हम कोरोना वायरस के इस दौर में सामान्य रह सकते हैं.
मास्क एक फायदे अनेक
यह सच है कि कोरोना जानलेवा बीमारी है, मगर बेअदबी से रहने वालों के लिए जीवन में इस से कितना बदलाव आएगा, क्या यह जानना नहीं चाहेंगे...
कोरोना के बहाने पतिपत्नी शोध प्रबंध
वैसे तो समझदार पति अपनी पत्नी के नजदीक खास मौके पर पहले ही सुरक्षित हो कर जाते हैं. यही नहीं, सुरक्षित साधन भी जेब में होते हैं. पर अब तो भइया, कोरोना के चलते, जरा भी सावधानी हटी तो सब प्यारमोहब्बत धरी रह जाएगी.
लौकडाउन के बाद रैस्टोरैंट्स का हाल
कोरोना ने जीवन के हर पहलू को तो बदल ही दिया है तो खाना खाने की सामन्य शैली कैसे न प्रभावित होती. डाइनिंग के नए स्टाइल व सुरक्षा नीतियों से लैस रैस्टोरैंट्स लौकडाउन के बाद कुछ इस तरह के दिखेंगे.
लौकडाउन में ढूंदें जिंदगी की चाबी
जिंदगी में कभी भी कुछ भी हो सकता है, लौकडाउन ने यह बात साबित कर दी है. हम सब इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि खुशियां ढूंढ़ना इंसान के अपने हाथ में है
औनलाइन वैडिंग क्या आगे भी रहेगी औन?
कभी परंपरा और दिखावे की भेंट चढ़ रही शादियां आजकल बिलकुल सादगी से आयोजित की जा रही हैं. लोग इसे एक बेहतर शुरुआत मान रहे हैं. आखिर क्यों...
उपलब्धि पर सवाल कहीं बुधिया जैसा हश्र न हो ज्योति का
तिल का ताड़ और राई का पहाड़ बनाना हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है. वजह, चमत्कार बेच कर पैसा बनाने की चाल है जो अब गरीब दलित लड़की ज्योति को ब्रैड बना कर चली जा रही है. आज जो लोग उस के आगेपीछे डोल रहे हैं वे न पहले उस के साथ थे न आगे होंगे.
आत्मनिर्भरता के माने तुम जानो तुम्हारा काम जाने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उन के भाषण दोनों धार खोने लगे हैं. वे अब मुद्दे की बातें कम करते हैं, इधरउधर की ज्यादा हांकते हैं. भाषणों में संस्कृत के श्लोक वगैरह का प्रयोग बताता है कि वे वास्तविकता से आंखें बंद किए हुए हैं जो सभी के लिए नुकसानदेह है. उन के लिए भी, भाजपा के लिए भी और आम लोगों के लिए भी. कैसे, आइए देखते हैं.
"अब मैं यथार्थ कहानी वाली फिल्मों को प्राथमिकता दूंगा" पंकज त्रिपाठी
अपने दमदार किरदारों और बेहतरीन अदाकारी के लिए मशहूर पंकज त्रिपाठी भी लौकडाउन के चलते काम करने में असमर्थ हैं. लेकिन, लौकडाउन के इस समय को पंकज ने एक बहुत ही अलग अंदाज में इस्तेमाल किया है. पेश हैं पंकज त्रिपाठी से खास बातचीत के कुछ अंश
शब्दों की बाढ़ और हिंदी कहानियां
विषयों के अलावा हिंदी कहानी की भाषाशैली भी अकसर चर्चा का कारण रही है. उस की संपूर्णता पर भी संदेह जबतब व्यक्त किया जाता रहा है, लेकिन इसे कहानी की विपन्नता नहीं कहा जा सकता.
शराब माफिया के दबाव में सरकार
कोरोना से बचाव के लिए सरकार ने शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था. बीच राह में ही सरकार ने अपनी जेब भरने के लिए शराब की बिक्री पर लगा प्रतिबंध हटा लिया. जिस के चलते शराब अब न केवल कोरोना को फैलाने में सहायक होगी बल्कि घरेलू हिंसा का कारण भी बनेगी.
हाइौक्सीक्लोरोक्वीन रोचक जानकारी
दुनियाभर में मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन चर्चा का विषय बनी हुई है. फिलहाल कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए कोई दवा या वैक्सीन अभी तक नहीं बनी है, इसलिए कोरोना वायरस के संक्रमण रोकने में यह दवा कारगर साबित हो रही है.
कोरोना से ज्यादा घातक पाखंड का वायरस
यह आस्था नहीं बल्कि चालाकी है कि प्राकृतिक आपदाओं से लड़ने के बजाय उन्हें भगवान की देन मान कर लोगों को डराया जाए. कोरोना के कहर से धर्मकर्म के जरिए निबटने की शिवराज सिंह की कोशिश एक बड़े खोखलेपन को उजागर करती है.
कोविड-19 के इलाज में कारगर प्लाज्मा थेरैपी
भारत में प्लाज्मा थेरैपी से किसी बीमारी से जंग पहली बार शुरू हुई है. विश्व के कई देश इसे अपना चुके हैं और इस के परिणाम भी सकारात्मक निकले हैं. आइए जानें क्या है प्लाज्मा थेरैपी और यह किस तरह कोरोना से लड़ने में कारगर है.
बैंक में मृतक के खाते वारिस के दावे
व्यक्ति के जीवन का कोई भरोसा नहीं है. जो, आज है कल नहीं भी हो सकता. ऐसे में व्यक्ति की संपत्ति को ले कर उस के वारिस कभी बैंक के, तो कभी कोर्ट के चक्कर काटने को मजबूर हो जाते हैं. सो, अपनी मृत्यु से पहले ही व्यक्ति को अपनी संपत्ति से जुड़े फैसले कर देने चाहिए.
रिवर्स माइग्रेशन का संकट कोरोना से भी बड़ा
कोरोना वायरस की चेन तोड़ने के लिए भारत के पास लौकडाउन एकमात्र रास्ता है. लेकिन इस के बाद बहुत बड़ी संख्या में होने वाला रिवर्स माइग्रेशन बहुत से नए संकटों को जन्म देगा, जिन से निबटने के लिए भारत के पास कोई योजना, कोई सर्वे या कोई ब्लूप्रिंट नहीं है. भयावह बेरोजगारी का यह संकट देश के अंदर तो होगा ही, देश के बाहर से भी आएगा.
"मैं सफलता के मद में कभी चूर नहीं हुआ" अरुण बख्शी
अरुण बख्शी उन लोगों में से एक हैं जो संगीत व अभिनय के क्षेत्र में आज भी सक्रिय हैं. 40 वर्षों के कैरियर के टर्निंग पौइंट्स के अपने अनुभव को उन्होंने विस्तार से बताया.
भारत में इंग्लिश भाषा नहीं रुतबा है
देश में आधुनिक कहलाने की पहली शर्त इंग्लिश बोलना आना हो गई है तो इस की अपनी अलग वजहें भी हैं. लेकिन सरकारी स्तर पर इंग्लिश को अनावश्यक प्रोत्साहन दिए जाने से हिंदी की ज्यादा दुर्दशा हुई है. जानिए, कैसे.
मैरिड लाइफ बनाएं रोमांटिक
शादी के बाद पतिपत्नी पर जैसेजैसे जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ने लगता है वैसेवैसे उन की सैक्स लाइफ पर उस का असर पड़ने लगता है. रोजाना के कामों में व्यस्त हो जाने से उन की सैक्स लाइफ से रोमांटिक लमहे गायब से हो जाते हैं. आइए, जानते हैं कुछ छोटीछोटी ऐक्टिविटी टिप्स, जिन से वे अपने जीवन में रोमांच और रोमांस का भरपूर आनंद ले सकें.
मलेरिया की दवा निर्यात के बहाने इमेज मेकिंग
कोरोना संकट से निबटने के लिए केंद्र सरकार को जो बेहतर प्रबंध करने चाहिए थे, वे वह नहीं कर पाई. अब कुछ देशों को दवा की खेप भेज कर उस ने अपनी इमेज मेकिंग में इजाफा जरूर कर लिया है. पर इस महासंकट से देशवासियों को वह कैसे उबारेगी, यह देखने वाली बात होगी.
भगवान नहीं विज्ञान दिलाएगा कोरोना से मुक्ति
भगवान के नाम पर विज्ञान को नकारने वाला हर तत्त्व आज कोरोना से लड़ने के लिए किसी पर आधारित है तो वह विज्ञान है. विज्ञान न हो तो भगवान का तो क्या, इंसान का भी कोई अस्तित्व नहीं है. आखिर, अब भी
गरीब बच्चे कैसे करें औनलाइन पढ़ाई
जिस मजदूर और मजबूर के पास अपने बच्चे की फीस देने के पैसे नहीं होते, उसे स्कूल भेज वह निश्चित हो जाता है कि उस का बच्चा मिडडे मील से अपना पेट भरने में सक्षम होगा. क्या वह गरीब उस की औनलाइन पढ़ाई के लिए उसे स्मार्टफोन और इंटरनेट उपलब्ध करा पाएगा?
चेस्ट पेन पैनिक अटैक, हार्ट अटैक या कोविड-19 अटैक?
कई लोग कोरोना के इस माहौल में चेस्ट पेन होने से डर रहे हैं कि कहीं वे कोरोना वायरस की चपेट में तो नहीं आ गए हैं, हालांकि चेस्ट पेन होने के एक नहीं कई कारण होते हैं. हो सकता है आप का यह दर्द पैनिक अटैक हो. ऐसे में घबराएं नहीं, डाक्टर से मिल कर इलाज कराएं.
पालघर मौब लिंचिंग बवाल क्यों
पालघर के अमानवीय और बर्बर हादसे का ठीकरा पुलिस के सिर फोड़ कर बचा नहीं जा सकता. दरअसल, मौब लिंचिंग कोई नई बात नहीं है. अकसर दलित मुसलमान ही इस का शिकार होते रहे हैं. इस बार नई बात 2 साधुओं का इस का शिकार हो जाना रही लेकिन हल्ला मचा रहे लोग अपनी गिरेबान में झांक कर देखेंगे तो उन्हें काफी कुछ समझ आएगा...
कोरोना मोरचे पर मरख्यमंत्री जिम्मेदारी और जज्बा
कोरोना के दीर्घकालिक नतीजे जब आएंगे तब हालात कुछ और होंगे, लेकिन अभी इम्तिहान राज्यों के मुख्यमंत्रियों का है कि वे कैसी सहूलियतें मुहैया करा पाते हैं. मुख्यमंत्रियों की ही जिम्मेदारी हो जाती है कि आम लोगों को कम से कम परेशानियां हों और संक्रमण भी कम से कम फैले. आइए, देखें कौन कितने पानी में है.
हड़बड़ी के फैसले महागड़बड़
केंद्र सरकार ने देश में लौकडाउन लागू किया नहीं बल्कि थोपा है जिस के चलते गरीब, मजदूर, शोषित तबके के लोग रोटी के लिए तड़पते रहे.