![चक दे इंडिया! चक दे इंडिया!](https://cdn.magzter.com/1427090692/1698954004/articles/bFh-Dv1Iw1699445909026/1699446060223.jpg)
टीम की जीत में हर खिलाड़ी अपना योगदान दे रहा है। रोहित शर्मा की अगुआई वाली टीम इस टूर्नामेंट में एकजुट दिख रही है और सभी एक दूसरे की सफलता का जश्न मनाते दिखे हैं। भारतीय टीम के प्रदर्शन के पीछे यह भी एक बड़ा कारण है क्योंकि ड्रेसिंग रूम का सकारात्मक माहौल खिलाड़ियों के प्रदर्शन को प्रभावित करता है। यह विश्वकप की अंक तालिका में नजर भी आ रहा है और टीम शीर्ष पर मौजूद है। भारतीय खिलाड़ी हर स्थिति में एक दूसरे के साथ खड़े हैं और यही बात उन्हें विश्वकप जीतने की प्रबल दावेदार बनाती है।
भारतीय क्रिकेट टीम का वर्ल्ड कप 2023 में शानदार प्रदर्शन जारी है। खचाखच भरे हुए लखनऊ के इकाना स्टेडियम में भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप में जीत का छक्का लगाते हुए पॉइंट टेबल के टॉप पर पहुंच गई। टीम ने शानदार अंदाज में सेमीफाइनल में अपना स्थान पक्का किया । रोहित शर्मा की कप्तानी पारी और गेंदबाजों के जबरदस्त परफॉर्मेंस ने 230 रन के आसान लक्ष्य के बावजूद भारत ने इंग्लैंड को 100 रन के भारी अंतर से हराया और वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के जीत के सफर को रुकने नहीं दिया। वहीं, भारत से हार के साथ ही इंग्लैंड का रिटर्न टिकट पक्का हो गया। भारतीय टीम का अब तक का सफर शानदार रहा है और उसने लगातार छह मैच जीतकर विश्व कप ट्राफी जीतने की ओर कदम बढ़ा दिये हैं। टीम इंडिया के अब तक के प्रदर्शन से यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि भारत ही इस बार वर्ल्ड कप जीतने वाला है। रोहित शर्मा की शानदार कप्तानी, विराट कोहली की दमदार बल्लेबाजी और साथी खिलाड़ियों की एकजुटता और जीत के प्रति जुनून इस बात का इशारा करता है कि टीम इंडिया ही इस बार वर्ल्ड कप विजेता बनेगी।
टीम इंडिया की सफलता का मंत्र
Diese Geschichte stammt aus der November 2023-Ausgabe von DASTAKTIMES.
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![सत्य का ज्ञान ही सब दुःखों से दिला सकता है मुक्ति सत्य का ज्ञान ही सब दुःखों से दिला सकता है मुक्ति](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1953879/UeGXkLx_B1736427422331/1736428171097.jpg)
सत्य का ज्ञान ही सब दुःखों से दिला सकता है मुक्ति
भले ही कोई किसी जाति, पन्थ, राष्ट्र अथवा विशेष प्रवृत्तियों वाला व्यक्ति हो और बदले में धन अथवा अन्य किसी भी रूप में किसी प्रतिफल की आकांक्षा न करते हुए मानवमात्र की सेवा ही उसके जीवन का उद्देश्य हो, यही यथार्थ सेवा है।
![आज का स्त्री विमर्श बंदर के हाथ में उस्तरा आज का स्त्री विमर्श बंदर के हाथ में उस्तरा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1953879/WyKWxklF-1736427108307/1736427392753.jpg)
आज का स्त्री विमर्श बंदर के हाथ में उस्तरा
चर्चित स्त्रीवादी लेखिका गीताश्री ने अपने लेख की शुरुआत में आलोचक व लेखक अखिलेश श्रीवास्तव 'चमन' का नाम लिए बगैर उनकी एक टिप्पणी के आधार पर उनके मर्दवादी नज़रिए पर लानत - मलानत भेजी। एक लेखक की टिप्पणी पर एक नामचीन लेखिका इतनी भड़क जाएं कि अपनी बात शुरू करने के लिए उन्हें संदर्भित करना पड़े तो जाहिर है लेखक की टिप्पणी बेमानी नहीं रही होगी । उसने कोई ऐसी रग छुई है जहां किसी कोने में दर्द छुपा है। बीते 20 साल के स्त्री विमर्श लेखन का एक समानांतर पक्ष जानने के लिए 'दस्तक टाइम्स' ने चमनजी से आग्रह किया कि जो 'सदविचार' उन्होंने किसी साहित्यिक जलसे में दिया था, उसे वह हमारे मंच पर विस्तार दें ताकि मौजूदा दौर के स्त्री विमर्श की एक सटीक तस्वीर पाठकों के सामने आए। तो मुलाहिजा फरमाइये मि. चमन का यह आलेख |
![देह की आजादी नहीं स्त्री विमर्श देह की आजादी नहीं स्त्री विमर्श](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1953879/hDKn_PuEK1736427019300/1736427100927.jpg)
देह की आजादी नहीं स्त्री विमर्श
देह की आजादी नहीं स्त्री विमर्श
![बिहार के लिए क्यों जरूरी हो गए नीतीश कुमार बिहार के लिए क्यों जरूरी हो गए नीतीश कुमार](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1953879/YdeGjU6HA1736426572744/1736426967325.jpg)
बिहार के लिए क्यों जरूरी हो गए नीतीश कुमार
बिहार की राजनीति पिछले 25 वर्षों में नीतीश कुमार और लालू यादव एंड संस के इर्द-गिर्द घूम रही है। जंगलराज के दौर के बाद जब नीतीश कुमार सत्ता के केन्द्र बिन्दु बने तो उनकी छवि सुशासन बाबू की बनी और बिहार तरक्की के पैमाने पर देश में तेजी से बढ़ते राज्यों में से एक हो गया। नई सदी में बिहार का सियासी सफरनामा पेश कर रहे हैं पटना के वरिष्ठ पत्रकार दिलीप कुमार।
हेमंत ने दिया राजनीति को नया मुहावरा
झारखंड ने राजनीति में स्थापना काल से ही कई सियासी उतार-चढ़ाव देखे हैं। प्रदेश के लोगों ने 24 साल के राजनीतिक कालखंड में कई मुख्यमंत्रियों को देखा है। कई बार तो बॉलीवुड 'थ्रिलर' की तरह सूबे में नेतृत्व परिवर्तन हुए हैं। झारखंड के चौथी बार सीएम बनने वाले हेमंत सोरेन ने स्थायित्व का नया मुहावरा गढ़ के सूबे की राजनीति को एक नई दिशा दी। नई सदी में झारखंड की राजनीति में आए उतार- चढ़ाव का आकलन कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उदय कुमार चौहान।
![सियासत के धूमकेतु बन कर उभरे धामी सियासत के धूमकेतु बन कर उभरे धामी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1953879/gGaV0Tlo61736424822102/1736425273436.jpg)
सियासत के धूमकेतु बन कर उभरे धामी
ऐसे में उत्तराखंड के राजनीतिक क्षितिज पर पुष्कर सिंह धामी एक धूमकेतु बन कर उभरे। नई युवा दृष्टि, नया विज़न और नई इच्छा शक्ति से उत्तराखंड तरक्की की नई डगर पर चल निकला है। उत्तराखंड भ्रष्टाचार के दलदल से बाहर निकला है, समान नागरिक संहिता, सख्त नकलविरोधी कानून देशभर में एक नज़ीर बन गए। धामी की कम बोलने और ज्यादा करने की अनूठी कार्यशैली ने उत्तराखंड के जनमानस को यकीन दिला दिया है कि उत्तराखंड की बागडोर सही और सशक्त हाथों में सौंपी गई है। अब इस यकीन को बनाए रखना ही उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है।मौजूदा सदी में उत्तराखंड की 24 साल की विकास यात्रा का ब्योरा दे रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत।
![फिर जुटा महाकुम्भ फिर जुटा महाकुम्भ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1953879/f9tbPEacs1736424455049/1736424757249.jpg)
फिर जुटा महाकुम्भ
7वीं सदी के राजा हर्षवर्धन की तर्ज पर छह साल पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेला प्राधिकरण का गठन कर ऐतिहासिक कुंभ मेले को संस्थागत रूप दिया था। 2019 के कामयाब अर्धकुंभ ने प्रयागराज के आसपास की तमाम लोकसभा सीटें बीजेपी की झोली में डाल दी थीं। और इस कामयाबी का सेहरा योगी के सिर बंधा। तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संगम के सफाईकर्मियों के पांव पखार कर आशीर्वाद लेकर सबको चौंका दिया था। इस बार महाकुंभ है, करोड़ों श्रद्धालुओं का स्वागत करने के लिए योगी की टीम तैयार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक महीने पहले ही तैयारियों का जायजा ले चुके हैं। इस बार का मेला कई मायनों में अनूठा होगा। पढ़िए प्रयागराज से जाने-माने पत्रकार देवेन्द्र शुक्ल की यह रिपोर्ट।
![खेती किसानी अब महंगा सौदा खेती किसानी अब महंगा सौदा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1953879/qyWGH0-Sd1736424033245/1736424366631.jpg)
खेती किसानी अब महंगा सौदा
नई सदी में कृषि के क्षेत्र में भारत ने कई झंडे गाड़े। दुनिया में दुग्ध उत्पादन में हम पहले और फलों एवं सब्जियों के उत्पादन में दूसरे स्थान पर आ चुके हैं। साल 1950 में खाद्यान्न पैदावार पांच करोड़ टन थी और आज 50 करोड़ टन है लेकिन विडंबना देखिए, देश की आधी आबादी खेती-किसानी में लगी है, बावजूद इसके कृषि का जीडीपी में योगदान केवल 17 फीसदी है। यानी एक बड़ी आबादी खेती के नाम पर पल रही है। जिसका देश के विकास में कोई सीधा योगदान नहीं है। यह वे लाखों किसान और उनके आश्रित हैं जो खेती छोड़ना चाहते हैं क्योंकि यह एक महंगा सौदा हो चुकी है। भारत में खेती-किसानी के हाल का ब्योरा पेश कर रहे हैं कृषि विशेषज्ञ अखिलेश मिश्र।
![बदल गई दुनिया बदल गई दुनिया](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1953879/QT6-iOKxX1736423292787/1736424031301.jpg)
बदल गई दुनिया
पिछले बीस साल में दुनिया 360 डिग्री बदल गई। नई अर्थव्यवस्थाएं विकसित हुईं। भूराजनीतिक संघर्ष बढ़े और ग्लोबल पावर डायनेमिक्स में फोकस आतंकवाद से क्लाइमेट एक्शन की ओर शिफ्ट होता दिखा। 21वीं सदी की दुनिया का हाल बता रहे हैं रणनीतिक स्तंभकार और वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक के.एस.तोमर।
![कारोबार को लगे पंख कारोबार को लगे पंख](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1953879/niVVEgKa11736422163708/1736423237081.jpg)
कारोबार को लगे पंख
21वीं सदी में भारतीय अर्थव्यवस्था ने जबरदस्त रफ्तार पकड़ी। 2010 में पहली बार भारतीय अर्थव्यवस्था ने 1 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा हासिल किया। इस मुकाम पर पहुंचने में आज़ाद भारत को 63 साल का सफर तय करना पड़ा, लेकिन ट्रिगर दब चुका था। अगले सात साल यानी 2017 तक यह दो ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गई और फिर तीन साल में यानी 2020 में इसने तीन ट्रिलियन डॉलर का निशान भी पार कर लिया | अर्थव्यवस्था के हैरतअंगेज उतार-चढ़ाव और इस रफ़्तार की दिलचस्प कहानी बता रहे हैं आर्थिक मामलों के जाने-माने विशेषज्ञ आलोक जोशी ।