21 वीं सदी: कितना भारत बदला
DASTAKTIMES|January 2025
नई सदी अपने 25वें यानी सिल्वर जुबली साल में दाखिल हो चुकी है। दस्तक टाइम्स भी 20वीं सालगिरह मना रहा है। इस खास विशेषांक में हम बता रहे हैं कि इन गुजरे सालों में हिंदुस्तान कैसे और कितना बदल चुका है ।
अरुण कुमार त्रिपाठी
21 वीं सदी: कितना भारत बदला

अब संविधानवाद की ओर

21वीं सदी के पहले दो दशकों में भारत की राजनीति ने नई करवट ली है। इस नए भारत में नेहरू मॉडल पर चारों तरफ से सवाल उठ रहे हैं। गांधीवाद के अवशेष विदाई की दहलीज़ पर है। हिंदुत्ववादी सिद्धांतों को मान्यता मिल रही है और नई सदी में संविधान चर्चाओं के केन्द्र में आ गया है और उसका महत्व अब लोग ज्यादा समझने लगे हैं। 20वीं सदी में भारत पर राज करने वाली कांग्रेस वेंटीलेटर पर है। भगवा रंग कांग्रेस विहीन भारत की कल्पनाओं में खोया है । वाम मोर्चा भी लगभग अप्रासंगिक हो गया है। 21वीं सदी में भारतीय राजनीति के बदलते संदर्भों का आकलन कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक चिंतक अरुण कुमार त्रिपाठी।

भारतीय राजनीति में तीन दशक पहले सामाजिक न्याय, धार्मिक राष्ट्रवाद और वैश्वीकरण की जो तीन प्रमुख प्रवृत्तियां उभरी थीं, वही पिछले दो दशकों में हावी रही हैं। इन्हें सरल भाषा में मंडल, कमंडल और भूमंडल का नाम दिया जाता है। उनमें से कभी दो प्रवृत्तियां मिल जाती रही हैं और तीसरे को हाशिए पर ठेल देती थीं लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि उनमें एक किस्म का अंतर्द्वद्व और अंतर्संबंध है। किसी एक प्रवृत्ति में इतनी क्षमता नहीं है कि वह अकेले राजनीतिक सत्ता पर काबिज हो सके। लेकिन जैसे ही उसमें दूसरी मिल जाती है तो तीसरी प्रवृत्ति कमजोर पड़ जाती है और वे दोनों मिलकर सत्ता पर कब्जा जमा लेती हैं। हाल में एक चौथी प्रवृत्ति भी उभरी है जिसका नाम है संविधानवाद। उसका अर्थ है नागरिकों के मौलिक अधिकार, संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता और स्वतंत्रता, समता, बंधुत्व, न्याय और नागरिकों की गरिमा के मूल्यों की रक्षा के लिए राजनीति। यह अपने आप में आधुनिक समाज का एक दर्शन है जो तमाम विपरीत प्रवृत्तियों को समावेशी बनाकर किसी राष्ट्र को एक निश्चित दिशा में ले जाता है। लेकिन संविधानवाद अकेले कुछ कर पाएगा, इसकी संभावना कम ही दिखती है। इसीलिए इसने अपने साथ जाति जनगणना का मुद्दा भी जोड़ने का प्रयास किया है। लेकिन संविधानवाद के लिए जिस तरह की नैतिकता चाहिए, वह समाज में दिखती नहीं है। समाज में झूठ या अफवाह फैलाने और उस पर विश्वास करने जो प्रवृत्ति बढ़ी है, वह सभी मूल्यों को उल्टा-पुल्टा कर रही है।

Diese Geschichte stammt aus der January 2025-Ausgabe von DASTAKTIMES.

Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.

Diese Geschichte stammt aus der January 2025-Ausgabe von DASTAKTIMES.

Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.

WEITERE ARTIKEL AUS DASTAKTIMESAlle anzeigen
सत्य का ज्ञान ही सब दुःखों से दिला सकता है मुक्ति
DASTAKTIMES

सत्य का ज्ञान ही सब दुःखों से दिला सकता है मुक्ति

भले ही कोई किसी जाति, पन्थ, राष्ट्र अथवा विशेष प्रवृत्तियों वाला व्यक्ति हो और बदले में धन अथवा अन्य किसी भी रूप में किसी प्रतिफल की आकांक्षा न करते हुए मानवमात्र की सेवा ही उसके जीवन का उद्देश्य हो, यही यथार्थ सेवा है।

time-read
4 Minuten  |
January 2025
आज का स्त्री विमर्श बंदर के हाथ में उस्तरा
DASTAKTIMES

आज का स्त्री विमर्श बंदर के हाथ में उस्तरा

चर्चित स्त्रीवादी लेखिका गीताश्री ने अपने लेख की शुरुआत में आलोचक व लेखक अखिलेश श्रीवास्तव 'चमन' का नाम लिए बगैर उनकी एक टिप्पणी के आधार पर उनके मर्दवादी नज़रिए पर लानत - मलानत भेजी। एक लेखक की टिप्पणी पर एक नामचीन लेखिका इतनी भड़क जाएं कि अपनी बात शुरू करने के लिए उन्हें संदर्भित करना पड़े तो जाहिर है लेखक की टिप्पणी बेमानी नहीं रही होगी । उसने कोई ऐसी रग छुई है जहां किसी कोने में दर्द छुपा है। बीते 20 साल के स्त्री विमर्श लेखन का एक समानांतर पक्ष जानने के लिए 'दस्तक टाइम्स' ने चमनजी से आग्रह किया कि जो 'सदविचार' उन्होंने किसी साहित्यिक जलसे में दिया था, उसे वह हमारे मंच पर विस्तार दें ताकि मौजूदा दौर के स्त्री विमर्श की एक सटीक तस्वीर पाठकों के सामने आए। तो मुलाहिजा फरमाइये मि. चमन का यह आलेख |

time-read
3 Minuten  |
January 2025
देह की आजादी नहीं स्त्री विमर्श
DASTAKTIMES

देह की आजादी नहीं स्त्री विमर्श

देह की आजादी नहीं स्त्री विमर्श

time-read
3 Minuten  |
January 2025
बिहार के लिए क्यों जरूरी हो गए नीतीश कुमार
DASTAKTIMES

बिहार के लिए क्यों जरूरी हो गए नीतीश कुमार

बिहार की राजनीति पिछले 25 वर्षों में नीतीश कुमार और लालू यादव एंड संस के इर्द-गिर्द घूम रही है। जंगलराज के दौर के बाद जब नीतीश कुमार सत्ता के केन्द्र बिन्दु बने तो उनकी छवि सुशासन बाबू की बनी और बिहार तरक्की के पैमाने पर देश में तेजी से बढ़ते राज्यों में से एक हो गया। नई सदी में बिहार का सियासी सफरनामा पेश कर रहे हैं पटना के वरिष्ठ पत्रकार दिलीप कुमार।

time-read
4 Minuten  |
January 2025
DASTAKTIMES

हेमंत ने दिया राजनीति को नया मुहावरा

झारखंड ने राजनीति में स्थापना काल से ही कई सियासी उतार-चढ़ाव देखे हैं। प्रदेश के लोगों ने 24 साल के राजनीतिक कालखंड में कई मुख्यमंत्रियों को देखा है। कई बार तो बॉलीवुड 'थ्रिलर' की तरह सूबे में नेतृत्व परिवर्तन हुए हैं। झारखंड के चौथी बार सीएम बनने वाले हेमंत सोरेन ने स्थायित्व का नया मुहावरा गढ़ के सूबे की राजनीति को एक नई दिशा दी। नई सदी में झारखंड की राजनीति में आए उतार- चढ़ाव का आकलन कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उदय कुमार चौहान।

time-read
7 Minuten  |
January 2025
सियासत के धूमकेतु बन कर उभरे धामी
DASTAKTIMES

सियासत के धूमकेतु बन कर उभरे धामी

ऐसे में उत्तराखंड के राजनीतिक क्षितिज पर पुष्कर सिंह धामी एक धूमकेतु बन कर उभरे। नई युवा दृष्टि, नया विज़न और नई इच्छा शक्ति से उत्तराखंड तरक्की की नई डगर पर चल निकला है। उत्तराखंड भ्रष्टाचार के दलदल से बाहर निकला है, समान नागरिक संहिता, सख्त नकलविरोधी कानून देशभर में एक नज़ीर बन गए। धामी की कम बोलने और ज्यादा करने की अनूठी कार्यशैली ने उत्तराखंड के जनमानस को यकीन दिला दिया है कि उत्तराखंड की बागडोर सही और सशक्त हाथों में सौंपी गई है। अब इस यकीन को बनाए रखना ही उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है।मौजूदा सदी में उत्तराखंड की 24 साल की विकास यात्रा का ब्योरा दे रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत।

time-read
10+ Minuten  |
January 2025
फिर जुटा महाकुम्भ
DASTAKTIMES

फिर जुटा महाकुम्भ

7वीं सदी के राजा हर्षवर्धन की तर्ज पर छह साल पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेला प्राधिकरण का गठन कर ऐतिहासिक कुंभ मेले को संस्थागत रूप दिया था। 2019 के कामयाब अर्धकुंभ ने प्रयागराज के आसपास की तमाम लोकसभा सीटें बीजेपी की झोली में डाल दी थीं। और इस कामयाबी का सेहरा योगी के सिर बंधा। तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संगम के सफाईकर्मियों के पांव पखार कर आशीर्वाद लेकर सबको चौंका दिया था। इस बार महाकुंभ है, करोड़ों श्रद्धालुओं का स्वागत करने के लिए योगी की टीम तैयार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक महीने पहले ही तैयारियों का जायजा ले चुके हैं। इस बार का मेला कई मायनों में अनूठा होगा। पढ़िए प्रयागराज से जाने-माने पत्रकार देवेन्द्र शुक्ल की यह रिपोर्ट।

time-read
4 Minuten  |
January 2025
खेती किसानी अब महंगा सौदा
DASTAKTIMES

खेती किसानी अब महंगा सौदा

नई सदी में कृषि के क्षेत्र में भारत ने कई झंडे गाड़े। दुनिया में दुग्ध उत्पादन में हम पहले और फलों एवं सब्जियों के उत्पादन में दूसरे स्थान पर आ चुके हैं। साल 1950 में खाद्यान्न पैदावार पांच करोड़ टन थी और आज 50 करोड़ टन है लेकिन विडंबना देखिए, देश की आधी आबादी खेती-किसानी में लगी है, बावजूद इसके कृषि का जीडीपी में योगदान केवल 17 फीसदी है। यानी एक बड़ी आबादी खेती के नाम पर पल रही है। जिसका देश के विकास में कोई सीधा योगदान नहीं है। यह वे लाखों किसान और उनके आश्रित हैं जो खेती छोड़ना चाहते हैं क्योंकि यह एक महंगा सौदा हो चुकी है। भारत में खेती-किसानी के हाल का ब्योरा पेश कर रहे हैं कृषि विशेषज्ञ अखिलेश मिश्र।

time-read
8 Minuten  |
January 2025
बदल गई दुनिया
DASTAKTIMES

बदल गई दुनिया

पिछले बीस साल में दुनिया 360 डिग्री बदल गई। नई अर्थव्यवस्थाएं विकसित हुईं। भूराजनीतिक संघर्ष बढ़े और ग्लोबल पावर डायनेमिक्स में फोकस आतंकवाद से क्लाइमेट एक्शन की ओर शिफ्ट होता दिखा। 21वीं सदी की दुनिया का हाल बता रहे हैं रणनीतिक स्तंभकार और वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक के.एस.तोमर।

time-read
10+ Minuten  |
January 2025
कारोबार को लगे पंख
DASTAKTIMES

कारोबार को लगे पंख

21वीं सदी में भारतीय अर्थव्यवस्था ने जबरदस्त रफ्तार पकड़ी। 2010 में पहली बार भारतीय अर्थव्यवस्था ने 1 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा हासिल किया। इस मुकाम पर पहुंचने में आज़ाद भारत को 63 साल का सफर तय करना पड़ा, लेकिन ट्रिगर दब चुका था। अगले सात साल यानी 2017 तक यह दो ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गई और फिर तीन साल में यानी 2020 में इसने तीन ट्रिलियन डॉलर का निशान भी पार कर लिया | अर्थव्यवस्था के हैरतअंगेज उतार-चढ़ाव और इस रफ़्तार की दिलचस्प कहानी बता रहे हैं आर्थिक मामलों के जाने-माने विशेषज्ञ आलोक जोशी ।

time-read
10+ Minuten  |
January 2025