कुछ समय पूर्व एक पत्रकार मिलने आए। बात-बात में उन्होंने पूछा कि स्वतंत्रता आन्दोलन में संघ का सहभाग क्या था? सम्भवतः वे भी संघ के खिलाफ चलनेवाले असत्य प्रचार के शिकार थे। मैंने उनसे प्रतिप्रश्न किया कि आप स्वतंत्रता आन्दोलन किसे मानते हैं? वे इसके लिए तैयार नहीं थे। कुछ बोल ही नहीं सके। फिर धीरे से शंकित स्वर में उन्होंने कहा, 'वही जो महात्मा गांधीजी ने किया था।
मैंने पूछा, “क्या लाल, बाल, पाल त्रिमूर्ति का कोई योगदान नहीं था? क्या सुभाष बाबू की कोई भूमिका स्वतंत्रता आन्दोलन में नहीं थी?" वे चुप थे। फिर मैंने पूछा कि गांधीजी के नेतृत्व में कितने सत्याग्रह हुए? वे अनजान थे। मैंने कहा कि तीन हुए- १६२१, १६३० और १६४२ । उन्हें जानकारी नहीं थी। मैंने कहा, "संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने (उनकी मृत्यु १६४० में हुई थी) संघ स्थापना से पहले (१६२१) और बाद के (१६३०) सत्याग्रह में भाग लिया था और उन्हें कारावास भी सहना पड़ा।"
यह घटना इसलिए कही कि एक योजनाबद्ध तरीके से आधा इतिहास बताने का एक प्रयास चल रहा है। भारत के लोगों को ऐसा मानने के लिए बाध्य किया जा रहा है कि स्वतंत्रता केवल कांग्रेस के और १६४२ के सत्याग्रह के कारण मिली है। और किसी ने कुछ नहीं किया। यह बात पूर्ण सत्य नहीं है। गांधीजी ने सत्याग्रह के माध्यम से, चरखा और खादी के माध्यम से सर्व सामान्य जनता को स्वतंत्रता आन्दोलन में सहभागी होने का एक सरल एवं सहज तरीका, साधन उपलब्ध कराया। और लाखों की संख्या में लोग स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ सके, यह बात सत्य है। परन्तु सारा श्रेय एक ही आन्दोलन या पार्टी को देना यह इतिहास से खिलवाड़ है, अन्य सभी के प्रयासों का अपमान है।
Diese Geschichte stammt aus der Kendra Bharati - August 2022 Issue-Ausgabe von Kendra Bharati - केन्द्र भारती.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष