महाभारत में एक प्रसंग है यक्ष प्रश्न यक्ष युधिष्ठिर से कुछ प्रश्न पूछते हैं और युधिष्ठिर अत्यन्त समझदारी से उनके उत्तर देते हैं। सभी प्रश्न न केवल महत्त्वपूर्ण और जानने समझने योग्य हैं अपितु वर्तमान सन्दर्भों में भी उनकी प्रासंगिकता कम नहीं हुई है। इसी से यक्ष प्रश्न आज एक मुहावरा बन गया है। यक्ष ने युधिष्ठिर से एक प्रश्न पूछा था कि मनुष्य का साथ कौन देता है? युधिष्ठिर ने उत्तर दिया कि धैर्य ही मनुष्य का साथी होता है। यदि आज के परिप्रेक्ष्य में देखें तो स्पष्ट है कि धैर्य ही मनुष्य का वास्तविक व उत्तम साथी है। धैर्य के अभाव में, धैर्य से रहित मनुष्य सरलता से जीवनयापन नहीं कर सकता।
आज हमारे समक्ष जितनी भी समस्याएँ हैं वो सब धैर्य का पालन न करने के कारण ही हैं। जीवन जीने की जो कला है वह है धर्म धर्म के अभाव में उत्कृष्ट जीवन तो दूर सामान्य जीवन जीना भी असम्भव है। धैर्य, जीवन जीने की कला अथवा धर्म का पहला लक्षण है। कहा गया है:-
धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रिय निग्रहः ।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्म लक्षणम् ।।
Diese Geschichte stammt aus der Kendra Bharati September 2022-Ausgabe von Kendra Bharati - केन्द्र भारती.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष