हनुमान को लगी भूख
Kendra Bharati - केन्द्र भारती|Kendra Bharati - November 2022
श्री हनुमत कथा : १६
उमेश कुमार चौरसिया
हनुमान को लगी भूख

(गतांक से आगे)

हनुमान समुद्र पार करते हुए लंका तक पहुँचने में लम्बी यात्रा तय करके आए हैं। मार्ग में सम्पूर्ण समय भूख-प्यास इत्यादि किसी भी बात पर उनका ध्यान ही नहीं गया, क्योंकि उनके मन में तो केवल और केवल सीतामाता तक पहुँचने की शीघ्रता थी, श्रीराम का कार्य ही उनका एकमात्र लक्ष्य था। अब जब सीतामाता के दर्शन हनुमान को हो गए और उन्होंने माता को श्रीराम का सन्देश भी दे दिया। इस प्रकार उनका सीतामाता की खोज का प्रथम कार्य पूर्ण हो गया। इससे उनके मन को कुछ विश्रान्ति का अनुभव भी हुआ है। तो फिर भूख तो लगनी स्वाभाविक ही है।

हनुमान को अब भूख का अनुभव होने लगा तो विनयपूर्वक माता सीता से कहने लगे- “माते, मुझे भूख लगी है। यहाँ चारों ओर इस वाटिका में तो अनेक प्रकार के मीठे फल दिखाई पड़ रहे हैं, यदि आपकी आज्ञा हो तो मैं इनका सेवन कर अपनी क्षुधा को तृप्त कर लूँ।”

हनुमान की इस बालसुलभ प्रार्थना से सीता भी मुस्कुरा उठीं, बोलीं- “अवश्य पुत्र, तुम ये फल खा सकते हो, किन्तु ध्यान रहे यहाँ अनेकानेक असुर पहरा दे रहे हैं।" 

निर्भय हनुमान ने कहा- “आपकी आज्ञा मिल गई माते, अब इन असुरों का तो मुझे कदापि भय नहीं है। आप मेरी चिन्ता न करें माते।”

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