गुजरात के अमरेली के पास अरठिता के भीमजी गोहिल के तीसरे पुत्र थे हमीरजी । हमेशा अपने साथियों के साथ ही दिखते थे। हँसता चेहरा, मित्रों के साथ हंसी मजाक, व्यायाम और युद्ध क्रीड़ा, पूर्वजों की कीर्ति को सुनना, शिव भक्ति उनकी मुख्य प्रवृत्ति थी। उनके मित्र उनसे और वे अपने मित्रों से कभी अलग न होते। एक बार हमीर्जी अपने मित्रों के साथ युद्ध क्रीड़ा खेलकर वापस आए। सभी भूखे थे। हमीरजी खाने के लिए जल्दी करने लगे। भाभी ने कहा कि खाने की इतनी जल्दी क्या है? जल्दी खाना खा कर सोमनाथ को बचाने जाना है क्या? राजनीति की बातों से अनभिज्ञ हमीरजी ने अपनी भाभी से पूछा, “क्या? सोमनाथ पर कोई संकट है? भाभी ने कहा, "बादशाह की सेना सोमनाथ को नष्ट करने के लिए निकल चुकी है। उन्होंने यात्रा शुरू कर दी है। सेना अभी रास्ते में है।"
उस समय मुहम्मद तुगलक दिल्ली की गद्दी पर आसीन था। जूनागढ़ में अपने सूबेदार समसुद्दीन की हार के कारण बादशाह ने जफर खान को गुजरात का सूबेदार नियुक्त किया। समय के साथ जफर खान सुबेदार से स्वतंत्र होकर गुजरात का शासक बन बैठा। जफर खान ने सोमनाथ में एक शाही थाना स्थापित क्रिया और रसूल खान को थानेदार नियुक्त किया। जफर खान मूर्तिपूजा का कट्टर विरोधी था। उसकी नजर सोमनाथ के मन्दिर पर थी, क्योंकि हिन्दुओं की इस मन्दिर में बड़ी आस्था थी।
जफर खान का फरमान छूटा कि मन्दिर में बड़ी संख्या में हिन्दुओं को इकट्टा न होने दिया जाए। ऐसे समय में वहाँ शिवरात्रि का मेला लगा। रसूल खान और उनके आदमियों ने मेले में आए हुए लोगों को भगाना शुरू कर दिया और उनसे लड़ने लगा। इससे स्थिति और बिगड़ गई, लोग भड़क गए। लोगों ने रसूल खान को उसके परिवार और आदमियों समेत मार डाला। जफर खान को जब यह समाचार मिला तो वह क्रोधित हो उठा। मूर्तिपूजा, समसुद्दीन की हार, रसूल खान की मृत्यु कितनी ही बातें उसके हृदय में कांटे की तरह चुभ रही थीं। जफर खान सौराष्ट्र पर चढ़ आया। दरवाजे को तोड़ देनेवाले हाथी साथ में है, बड़ी-बड़ी तोपों के साथ, वह सोमनाथ मन्दिर पर आक्रमण करने के लिए काबुली, मकरानी, अफधानी और पठानी सैनिकों की एक सेना के साथ निकला है।
Diese Geschichte stammt aus der February 2023 Issue -Ausgabe von Kendra Bharati - केन्द्र भारती.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष