स्वामी विवेकानन्द को नयी पहचान दी राजस्थान ने
Kendra Bharati - केन्द्र भारती|January 2023
स्वामी विवेकानन्द का राजस्थान से विशेष सम्बन्ध रहा, इसमें खेतड़ी नरेश अजीत सिंह से उनकी आत्मीयता सर्वविदित है।
उमेश कुमार चौरसिया
स्वामी विवेकानन्द को नयी पहचान दी राजस्थान ने

स्वामीजी यहाँ आए तो विविदिषानन्द बनकर थे, पर यह खेतड़ी ही था जिसने उन्हें विश्वविख्यात विवेकानन्द का नाम दिया। यहीं से स्वामीजी के अमेरिका स्थित शिकागो की विश्व धर्म संसद में जाने की अधिकांश व्यवस्था भी हुई। यह भी राजस्थान की सभ्यता और संस्कृति का ही प्रभाव था कि विवेकानन्द ने अपनी पारम्परिक बंगाली व परिव्राजक संन्यासी की वेशभूषा के स्थान पर राजस्थानी साफा ( टरबन) और चोगा - कमरखी का आकर्षक वेश धारण किया, जो स्वामी विवेकानन्द की स्थायी पहचान बना। वे राजस्थानी परम्परानुसार भूमि पर बैठकर पट्टे पर ही भोजन किया करते थे। यह भी राजस्थान का ही सौभाग्य रहा कि रामकृष्ण मिशन जैसी जनकल्याणकारी संस्था के प्रारम्भ का प्रथम प्रयास भी यहीं से हुआ। विवेकानन्द स्वयं कहते थे कि 'यदि खेतड़ी के राजा न मिले होते तो शायद मैं वह सब नहीं कर पाता जो कर पाया हूँ।' इसीलिए उन्होंने अपने सहयोगी अखण्डानन्द आदि से भी राजस्थान से जुड़े रहने का आग्रह किया था।

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