किसी व्यक्ति के कार्य का मूल्यांकन करना है, या उस व्यक्ति द्वारा किये गए कार्य का यश-अपयश देखना हैं, तो उस व्यक्ति के पश्चात, उसके कार्य की स्थिति क्या है, यह देखना उचित होगा। उदाहरणार्थ छत्रपति शिवाजी महाराज। मात्र पचास वर्ष का जीवन। उन्होंने हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना की और लगभग तीस वर्ष उन्होंने शासन किया। किन्तु उनके मृत्यु के पश्चात उस हिन्दवी स्वराज्य की स्थिति कैसी थी? हिन्दुस्थान का शहंशाह औरंगजेब तीन लाख की चतुरंग सेना लेकर महाराष्ट्र में आया था, इसी हिन्दवी स्वराज्य को मसलने के लिए, सदा के लिए समाप्त करने के लिए।
परिणाम?
सारी जोड़-तोड़ करने के बाद, वह संभाजी महाराज से मात्र २ - ४ दुर्ग (किले) ही जीत सका। आखिरकार छल-कपट कर के, ११ मार्च, १६८६ को औरंगजेब ने संभाजी महाराज को तड़पा-तड़पा के, अत्यन्त क्रूरता के साथ समाप्त किया। उसे लगा, अब तो हिन्दुओं का राज्य, यूं मसल दूंगा। लेकिन मराठों ने, शिवाजी महाराज के दूसरे पुत्र राजाराम महाराज के नेतृत्व में संघर्ष जारी रखा । आखिर ३ मार्च, १७०० को राजाराम महाराज भी चल बसे। औरंगजेब ने सोचा, “चलो, अब तो कोई नेता भी नहीं बचा इन मराठों का। अब तो जीत अपनी ही है।"
किन्तु शिवाजी महाराज की प्रेरणा से सामान्य व्यक्ति, मावले, किसान... सभी सैनिक बन गए। मानो महाराष्ट्र में घास की पत्तियां भी भाले और बर्धी बन गई। आलमगीर औरंगजेब इस हिन्दवी स्वराज्य को जीत न सका। पूरे २६ वर्ष वह महाराष्ट्र में, भारी भरकम सेना लेकर मराठों से लड़ता रहा। इन छब्बीस वर्षों में उसने आगरा / दिल्ली का मुँह तक नहीं देख सका। आखिरकार ८६ वर्ष की आयु में, ३ मार्च, १७०७ को, उसकी महाराष्ट्र के अहमदनगर के पास मौत हो गई, और उसे औरंगाबाद के पास दफनाया गया। जो औरंगजेब हिन्दवी स्वराज्य को मिटाने निकला था, उसकी कब्र उसी महाराष्ट्र में खुदी। मुगल वंश मानो समाप्त हुआ। मराठों का दबदबा दिल्ली पर चलने लगा। बाद मे तो हिन्दुओं ज लाल किल्ले की प्राचीर पर फहरने लगा । मात्र दो तीन जिलों तक फैला हुआ हिन्दवी स्वराज्य छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु के पश्चात सारे भारतवर्ष में फैल गया। अटक के भी उस पार तक गया।
Diese Geschichte stammt aus der Kendra Bharati - June 2023-Ausgabe von Kendra Bharati - केन्द्र भारती.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
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