असामान्य यानी अत्यन्त विशेष और सम्भावनाओं से भरी हुई। आज जब हम १३५ करोड़ की आबादीवाले अपने देश को देखते हैं, जिसमें लगभग १२० करोड़ मोबाइल कनेक्शन हो चुके हैं, तो समझ में आने लगता है कि हम किस किस्म की क्रान्ति से गुजर चुके हैं।
दूरसंचार के क्षेत्र में हमारी यात्रा बहुत लम्बी रही है। कौन विश्वास करेगा कि यह यात्रा लगभग १७० वर्ष पुरानी है! अंग्रेजों को दूरसंचार की ताकत बहुत पहले समझ में आ गई थी क्योंकि इतने बड़े देश पर कब्जा बनाए रखने के लिए सन्देशों के तेज आदान-प्रदान की व्यवस्था उनके लिए वरदान सिद्ध होनेवाली थी। इसीलिए उन्होंने दूरसंचार का जाल बिछाने में बड़ी तेजी दिखाई। इसकी एक मिसाल यह है कि वर्ष १८७६ में अलेक्जेंडर ग्राहम बेल द्वारा टेलीफोन का आविष्कार किए जाने के सात वर्ष के भीतर ही भारत में मुम्बई, मद्रास (चेन्नई) और कलकत्ता में टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित कर दिए गए थे। हालांकि दूरसंचार की कहानी इससे भी पहले शुरू हो गई थी, लेकिन शुरू में उसका ताल्लुक टेलीग्राफ से था।
Diese Geschichte stammt aus der Kendra Bharati - May 2023-Ausgabe von Kendra Bharati - केन्द्र भारती.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष