घनश्यामदास बिड़ला ने स्वामी अखंडानंदजी से पूछा : "महाराज ! लम्बे आयुष्य के लिए कोई उपाय है ?"
अखंडानंदजी बोले : "हाँ-हाँ, क्यों नहीं ! तुम कोई बढ़िया काम चुनो जो धर्मानुकूल हो और तुम्हारा वह काम ऐसा हो कि लम्बा समय चले। संकल्प करो कि यह काम मुझे पूरा करना है, चाहे कितना भी समय लगे। उसे पूरा करने के संकल्प से तुम्हारा आयुष्य बढ़ेगा।"
आप भी अपने जीवन में कोई उत्तम-से-उत्तम कार्य करने का महासंकल्प धारण कीजिये। अपनी पूरी बुद्धि और शक्ति का सदुपयोग करते हुए अत्यंत दृढ़तापूर्वक अपने महासंकल्प को पूर्ण करने का प्रयास कीजिये।
मेरे पिताजी पक्षियों को दाना डालते थे। जो पक्षियों को दाना डालते रहते हैं न, उनको मृत्यु का समय पता चल जाता है।
हम समझने लायक हुए। पिताजी का संसार से जाने का समय आया तो वे तिथि पूछने लगे : "आज कौन-सी तिथि है ?"
माँ ने बताया : "आज फलानी तिथि है।"
कुछ दिन बीते फिर पूछा : "अच्छा, आज कौन-सी तिथि है ?"
माँ बोली : "आज अमुक तिथि है।"
"अच्छा, ४ दिन और रहना पड़ेगा...।"
माँ बोलती : "क्या बोलते हो ?"
बोले : "जायेंगे।"
"कहाँ ?"
Diese Geschichte stammt aus der September 2022-Ausgabe von Rishi Prasad Hindi.
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ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।