बाहरी शरीर के साथ आंतरिक शरीर की चिकित्सा करो
Rishi Prasad Hindi|May 2023
जिसने अपने मन को ध्यान में लगाया वह अपने-आपका मित्र है।
बाहरी शरीर के साथ आंतरिक शरीर की चिकित्सा करो

इसके बिना पूर्ण स्वस्थता सम्भव नहीं

रोग २ शरीरों में होते हैं - बाह्य शरीर में और आंतरिक शरीर (मनःशरीर, प्राणशरीर) में । उपचार बाहरी शरीर के होते हैं और रोग मनःशरीर, प्राणशरीर में होते हैं। आंतरिक शरीर का इलाज नहीं हुआ तो रोग पूर्णरूप से ठीक नहीं होता और लम्बे समय तक रहता है । 'मलेरिया ठीक हो गया...' फिर से मलेरिया हो जाता है। ऐसे ही कई बीमारियाँ थोड़ी । ठीक हुईं लेकिन फिर दूसरा रूप ले लेती हैं, २-५ साल में फिर से उभर आती हैं। कइयों दवाइयों के रिएक्शन (दुष्प्रभाव) को भी होते हैं। तो आंतरिक शरीर को रोग तोड़ देता है और चिकित्सा बाहर के शरीर की होती है इसलिए वे प्रयास विफल हो जाते हैं।

Diese Geschichte stammt aus der May 2023-Ausgabe von Rishi Prasad Hindi.

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