गोविंदसिंहजी ने पूछा : "तू पढ़ा-लिखा है?"
"नहीं गुरुजी ! मैं अनपढ़ हूँ।"
"धनुष-बाण चलाना जानता है?"
"नहीं गुरुजी ! नहीं जानता।"
'अच्छा तो तुझे क्या आता है?"
"गुरुजी! मैं किसान हूँ, घोड़ों की अच्छी तरह देखभाल कर सकता हूँ।”
गोविंदसिंहजी ने उसे अस्तबल में घोड़ों की सेवा दे दी और कहा : ‘‘मैं प्रतिदिन तुझे याद करने के लिए 'जपुजी साहिब' की एक पंक्ति दूँगा, तू उसे दोहराते रहना।"
बेला बड़ी तत्परता से सेवा करने लगा। गोविंदसिंहजी रोज उसे एक पंक्ति देते और वह दिनभर उसे बड़े प्रेम से गुनगुनाता रहता।
एक दिन गोविंदसिंहजी घोड़े पर सवार हो के युद्ध के लिए जा रहे थे, इतने में वह आया, बोला : ‘‘गुरुजी ! मुझे आज के लिए पंक्ति दे दीजिये।"
Diese Geschichte stammt aus der July 2023-Ausgabe von Rishi Prasad Hindi.
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
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समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।