यह भारतभूमि का बड़ा प्रभाव है कि जो निर्गुण-निराकार है उसको हम सगुण-साकार करने में सक्षम हो जाते हैं और साकार हमारी उन्नति करने के लिए सब कुछ कर लेता है।
१७ अप्रैल को भगवान श्रीरामजी का अवतरण दिवस 'श्रीराम नवमी' है। त्रेतायुग में इसी दिन निर्गुण-निराकार परब्रह्म-परमात्मा अयोध्या में श्रीरामजी के रूप में अवतरित हुए थे। उन श्रीरामचन्द्रजी को हर युग में, हर घर में, प्रत्येक हृदय में अवतरित किया जा सकता है, कैसे? जानते हैं तत्त्ववेत्ता संत श्री आशारामजी बापू की अनुभवसम्पन्न अमृतवाणी द्वारा:
रामजी का प्राकट्य कहाँ होता है?
रावण के वध, दैत्य- दानवों के विनाश, धर्म की प्रतिष्ठा एवं सज्जनों के परित्राण यानी सब ओर से रक्षा करने के लिए चैत्र शुक्ल नवमी को स्वयं श्रीहरि रामरूप में अवतीर्ण हुए।
रामजी कहाँ जन्म लेते हैं? अयोध्या में, जहाँ लड़ाई-झगड़ा, राग-द्वेष, चिंता, भय, शोक नहीं है, किसीके घर पर ताला नहीं है। 'अयोध्या'... जहाँ युद्ध नहीं, अयुद्ध रहे अर्थात् बुद्धि न काम में फँसे न क्रोध में फँसे, न सफलता में हर्षित हो न विफलता में उद्विग्न हो। जहाँ समता है, शांति है, माधुर्य है, एक-दूसरे को समझने की सुयोग्यताएँ हैं। 'अवध'... जहाँ वध करने या वध की इच्छा रखने वाले लोग नहीं हैं।
रामजी कहाँ प्रकट होते हैं? कौसल्या के यहाँ। ‘कौसल्या' अर्थात् जो कुशलबुद्धि है। महामति माँ कौसल्या हार-श्रृंगार में रुचि नहीं रखतीं, एकांत, मौन उनको प्रिय है और गुरुदेव के वचनों में रुचि है।
Diese Geschichte stammt aus der March 2024-Ausgabe von Rishi Prasad Hindi.
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ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।
पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत
१० जनवरी को पुत्रदा एकादशी है। इसके माहात्म्य के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :
पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान
(पिछले अंक में आपने पंचकोष-साक्षी विवेक के अंतर्गत जाना कि पंचकोषों का साक्षी आत्मा उनसे पृथक् है । उसी क्रम में अब आगे...)
कुत्ते, बिल्ली पालने का शौक देता है गम्भीर बीमारियों का शॉक!
कुत्ते, बिल्ली पालने के शौकीन सावधान हो जायें !...
हिम्मत करें और ठान लें तो क्या नहीं हो सकता!
मनुष्य में बहुत सारी शक्तियाँ छुपी हुई हैं। हिम्मत करे तो लाख-दो लाख रुपये की नौकरी मिलना तो क्या, दुकान का, कारखाने का स्वामी बनना तो क्या, त्रिलोकी के स्वामी को भी प्रकट कर सकता है, ध्रुव को देखो, प्रह्लाद को, मीरा को देखो।
पुण्यात्मा कर्मयोगियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश
'अखिल भारतीय वार्षिक ऋषि प्रसाद-ऋषि दर्शन सम्मेलन २०२५' पर विशेष
मकर संक्रांति : स्नान, दान, स्वास्थ्य, समरसता, सुविकास का पर्व
१४ जनवरी मकर संक्रांति पर विशेष
समाजसेवा व परदुःखकातरता की जीवंत मूर्ति
२५ दिसम्बर को मदनमोहन मालवीयजी की जयंती है। मालवीयजी कर्तव्यनिष्ठा के आदर्श थे। वे अपना प्रत्येक कार्य ईश्वर-उपासना समझकर बड़ी ही तत्परता, लगन व निष्ठा से करते थे। मानवीय संवेदना उनमें कूट-कूटकर भरी थी।
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ब्रह्मवेत्ता संत तीर्थों में क्यों जाते हैं?
एक बड़े नगर में स्वामी शरणानंदजी का सत्संग चल रहा था। जब वे प्रवचन पूरा कर चुके तो मंच पर उपस्थित संत पथिकजी ने पूछा कि ‘“महाराज ! आप जो कुछ कहते हैं वही सत्य है क्या?\"